________________
१४६६
उ. गोयमा!जहण्णेणं एगं समयं,
उक्कोसेणं चउब्बीसं मुहुत्ता। दं. २-२४. एवं सिद्धवज्जा उव्वट्टणा वि भाणियव्या जाव अणुत्तरोववाइयत्ति।
णवर-जोइसिय-वेमाणिएसु चयणं ति अभिलावो कायव्वो।
-पण्ण.प.६,सु.६०७-६०८
२६.चउवीसदंडएसु उव्वट्टमाणेसु उव्वट्टणस्स चउभंग परूवणं-
प. दं.१.नेरइएणं भंते ! नेरइएहिंतो उववट्टमाणे,
१. किं देसेणं देसं उव्वइ, २. देसेणं सव्वं उव्वट्टइ, ३. सव्वेणं देसं उव्वट्टइ,
४. सव्वेणं सव्वं उव्वट्टइ? उ. गोयमा !१.नो देसेणं देसं उव्वट्टइ,
द्रव्यानुयोग-(२) उ. गौतम ! जघन्य एक समय,
उत्कृष्ट चौवीस मुहूर्त तक। दं.२-२४. जिस प्रकार उपपात विरह का कथन किया है उसी प्रकार सिद्धों को छोड़कर अनुत्तरोपपातिक देवों पर्यन्त उद्वर्तनाविरह का भी कथन करना चाहिए। विशेष-ज्योतिष्क और वैमानिक देवों के लिए (उद्वर्तन के स्थान पर) “च्यवन" शब्द का अभिलाप (प्रयोग) करना
चाहिए। २६. उद्वर्तमानादि चौबीस दंडकों में उद्वर्तन के चतुर्भगों का
प्ररूपणप्र. दं.१. भंते ! नारकों में से उद्वर्तमान (निकलता हुआ) नारक
जीव क्या, १. एक भाग से एक भाग को आश्रित करके निकलता है ? २. एक भाग से सर्व भाग को आश्रित करके निकलता है ? ३. सर्व भाग से एक भाग को आश्रित करके निकलता है? ४. सर्व भाग से सर्वभाग को आश्रित करके निकलता है? गौतम ! १. एक भाग से एक भाग को आश्रित करके नहीं निकलता है। २. एक भाग से सर्व भाग को आश्रित करके नहीं
निकलता है। ३. सर्व भाग से एक भाग को आश्रित करके नहीं
निकलता है। ४. सर्व भाग से सर्व भाग को आश्रित करके निकलता है। दं. २-२४. इसी प्रकार वैमानिक पर्यन्त उद्वर्तन कहना
चाहिए। प्र. दं.१. भंते ! नैरयिकों से निकला हुआ नैरयिक१. क्या एक भाग से एक भाग को आश्रित करके
निकला है? २. एक भाग से सर्व भाग को आश्रित करके निकला है? ३. सर्व भाग से एक भाग को आश्रित करके निकला है?
४. सर्व भाग से सर्व भाग को आश्रित करके निकला है? उ. गौतम ! १. एक भाग से एक भाग को आश्रित करके नहीं
निकला है। २. एक भाग से सर्व भाग को आश्रित करके नहीं निकला है। ३. सर्व भाग से एक भाग को आश्रित करके नहीं निकला है। ४. सर्व भाग से सर्व भाग को आश्रित करके निकला है। द.२-२४. इसी प्रकार वैमानिक पर्यन्त कहना चाहिए।
२. नो देसेणं सव्वं उव्वट्टइ,
३. नो सव्वेणं देसं उव्वट्टइ,
४. सव्वेणं सव्वं उव्वट्टइ। दं.२-२४.एवं जाव वेमाणिए।
-विया. स. १, उ.७, सु.३ प. दं.१. नेरइए णं भंते ! नेरइएहिंतो उव्वट्टे,
१. किं देसेणं देसं उव्वट्टे,
२. देसेणं सव्वं उव्वट्टे, ३. सव्वेणं देसं उव्वट्टे,
४. सव्वेणं सव्वं उव्वट्टे? उ. गोयमा !१.नो देसेणं देसं उव्वट्टे,
२. नो देसेणं सव्वे उव्वट्टे, ३. नो सव्वेणं देसे उव्वट्टे, ४. सव्वेणं सव्वं उव्वट्टे। दं.२-२४. एवं जाव वेमाणिए।
___-विया. स. १, उ.७, सु. ५ (२) प. दं.१.नेरइए णं भंते ! नेरइएहिंतो उव्वट्टमाणे,
१. किं अद्धेणं अद्धं उव्वट्टइ,
२. अद्धणं सव्वं उव्वट्टइ, ३. सव्वेणं अद्धं उव्वट्टइ, ४. सव्वेणं सव्वं उवट्टइ?
प्र. दं. १. भंते ! नैरयिकों से निकलता हुआ नारक जीव१. क्या अर्ध भाग से अर्धभाग को आश्रित करके
निकलता है? २. अर्धभाग से सर्व भाग को आश्रित करके निकलता है ? ३. सर्व भाग से अर्धभाग को आश्रित करके निकलता है ? ४. सर्व भाग से सर्व भाग को आश्रित करके निकलता है?