Book Title: Dravyanuyoga Part 2
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj & Others
Publisher: Agam Anuyog Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 780
________________ वुक्कंति अध्ययन ५. अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे सक्करप्पभाए, एगे वालुयप्पभाए, एगे धूमप्पभाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा। ६. अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे सक्करप्पभाए, एगे वालुयप्पभाए,एगे तमाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा। ७.अहवा एगे रयणप्पभाए,एगे सक्करप्पभाए, एगे पंकप्पभाए,एगे धूमप्पभाए,एगे तमाए होज्जा। ८.अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे सक्करप्पभाए, एगे पंकप्पभाए, एगे धूमप्पभाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा। ९. अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे सक्करप्पभाए, एगे पंकप्पभाए, एगे तमाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा। १०.अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे सक्करप्पभाए, एगे धूमप्पभाए, एगे तमाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा। ११.अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे वालुयप्पभाए, एगे पंकप्पभाए, एगे धूमप्पभाए, एगे तमाए होज्जा। १२.अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे वालुयप्पभाए, एगे पंकप्पभाए, एगे धूमप्पभाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा। १५१९ । ५. अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में, एक वालुकाप्रभा में, एक धूमप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में उत्पन्न होता है। ६. अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में, एक वालुकाप्रभा में, एक तमःप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में उत्पन्न होता है। ७. अथवा एक रलप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में, एक पंकप्रभा में, एक धूमप्रभा में और एक तमः:प्रभा में उत्पन्न होता है। ८. अथवा एक रलप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में, एक पंकप्रभा में, एक धूमप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में उत्पन्न होता है। ९. अथवा एक रलप्रभा में,एक शर्कराप्रभा में एक पंकप्रभा में, एक तमःप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में उत्पन्न होता है। १०. अथवा एक रत्नप्रभा में, एक सर्कराप्रभा में, एक धूमप्रभा में, एक तमःप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में उत्पन्न होता है। ११. अथवा एक रत्नप्रभा में, एक वालुकाप्रभा में, एक पंकप्रभा में, एक धूमप्रभा में और एक तमःप्रभा में उत्पन्न होता है। १२. अथवा एक रत्नप्रभा में, एक वालुकाप्रभा में, एक पंकप्रभा में, एक धूमप्रभा में और एक अधःसप्तम पृथ्वी में उत्पन्न होता है। १३. अथवा एक रत्नप्रभा में, एक वालुकाप्रभा में, एक पंकप्रभा में, एक तमःप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में उत्पन्न होता है। १४. अथवा एक रलप्रभा में, एक वालुकाप्रभा में, एक धूमप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में उत्पन्न होता है। १५. अथवा एक रत्नप्रभा में, एक पंकप्रभा में, एक धूमप्रभा में. एक तमःप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में उत्पन्न होता है। १६. अथवा एक शर्कराप्रभा में, एक वालुकाप्रभा में, एक पंकप्रभा में, एक धूमप्रभा में और एक तमःप्रभा में उत्पन्न होता है। १७. अथवा एक शर्कराप्रभा में, एक वालुकाप्रभा में, एक पंकप्रभा में, एक धूमप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में उत्पन्न होता है। १८. अथवा एक शर्कराप्रभा में, एक वालुकाप्रभा में, एक पंकप्रभा में, एक तमःप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में उत्पन्न होता है। १९. अथवा एक शर्कराप्रभा में, एक वालुकाप्रभा में, एक धूमप्रभा में, एक तमःप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में उत्पन्न होता है। २०. अथवा एक शर्कराप्रभा में, एक पंकप्रभा में, एक धूमप्रभा में, एक तमःप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में उत्पन्न होता है। १३.अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे वालुयप्पभाए, एगे पंकप्पभाए, एगे तमाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा। १४. अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे वालुयप्पभाए, एगे धूमप्पभाए, एगे तमाए,एगे अहेसत्तमाए होज्जा। १५.अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे पंकप्पभाए, एगे धूमप्पभाए, एगे तमाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा। १६.अहवा एगे सक्करप्पभाए, एगे वालुयप्पभाए, एगे पंकप्पभाए, एगे धूमप्पभाए, एगे तमाए होज्जा। १७.अहवा एगे सक्करप्पभाए, एगे वालुयप्पभाए, एगे पंकप्पभाए, एगे धूमप्पभाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा। १८.अहवा एगे सक्करप्पभाए, एगे वालुयप्पभाए, एगे पंकप्पभाए, एगे तमाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा। १९.अहवा एगे सक्करप्पभाए, एगे वालुयप्पभाए, एगे धूमप्पभाए, एगे तमाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा। २०.अहवा एगे सक्करप्पभाए, एगे पंकप्पभाए, एगे धूमप्पभाए, एगे तमाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा।

Loading...

Page Navigation
1 ... 778 779 780 781 782 783 784 785 786 787 788 789 790 791 792 793 794 795 796 797 798 799 800 801 802 803 804 805 806