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६. भूयाणंदे नागकुमारिंदे णागकुमारराया, ७. कालवाले, ८. कोलवाले, ९. संखवाले, १०. सेलवाले। जहा नागकुमारिंदाणं एयाए वत्तव्वयाए णीयं एवं इमाणं
नेयव्यं३. सुवण्णकुमाराणं
१. वेणुदेवे, २. वेणुदाली, १. चित्ते,
२. विचित्ते, ३. चित्तपक्खे, ४. विचित्तपक्खे। ४. विज्जुकुमाराणं
१. हरिक्कते, २. हरिस्सह, १. पभे,
२. सुप्पभे, ३. पभकते, ४. सुप्पभकते। ५. अग्गिकुमाराणं
१. अग्गिसीहे, २. अग्गिमाणवे, १. तेउ,
२. तेउसीहे, ३. तेउकते, ४. तेउप्पभे। ६. दीवकुमाराणं१. पुण्णे,
२. विसिटे, १. रूय,
२. सुरूय, ३. रूयकते, ४. रूयप्पभे। ७. उदहिकुमाराणं
१. जलकंते, २. जलप्पभे, १. जल,
२. जलरूय, ३. जलकंत, ४. जलप्पभ। ८. दिसाकुमाराणं
१. अमियगइ, २. अमियवाहणे, १. तुरियगइ, २. खिप्पगइ,
३. सीहगइ, ४. सीहविक्कमगइ। ९. वाउकुमाराणं
१. बेलंब, २. पभंजण, १. काल,
२. महाकाल, ३. अजण,
४. रिट्ठा। १०. थणियकुमाराणं
१. घोस, २. महाघोस, १. आवत्त, २. वियावत्त, ३. नंदियावत्त. ४. महानंदियावत्त।
द्रव्यानुयोग-(२) ६. नागकुमारेन्द्र नागकुमारराज भूतानन्द, ७. कालपाल,
८. कोलपाल, ९. शंखपाल, १०. शैलपाल। जिस प्रकार नागकुमारों के इन्द्रों के विषय में कहा उसी प्रकार
इन (देवों) के विषय में भी कहना चाहिए। ३. सुवर्णकुमार देवों पर
(इन्द्र-२)१. वेणुदेव, २. वेणुदालि। (लोकपाल-४) १. चित्र, २. विचित्र,
३. चित्रपक्ष, ४. विचित्रपक्ष। ४. विद्युत्कुमार देवों पर
(इन्द्र-२) १. हरिकान्त, २. हरिस्सह। (लोकपाल-४) १. प्रभ, २. सुप्रभ,
३. प्रभाकान्त, ४. सुप्रभाकान्त। ५. अग्निकुमार देवों पर
(इन्द्र-२)१.अग्निसिंह, २. अग्निमाणव। (लोकपाल-४) १. तेज, २. तेजःसिंह,
३. तेजस्कान्त, ४. तेजःप्रभ। ६. द्वीपकुमार देवों पर
(इन्द्र-२) १. पूर्ण, २. विशिष्ट । (लोकपाल-४) १.रूप, २. स्वरूप,
३. रूपकान्त, ४. रूपप्रभ। ७. उदधिकुमार देवों पर
(इन्द्र-२)१.जलकान्त, २. जलप्रभ। (लोकपाल-४)१.जल, २. जलरूप,
३. जलकान्त, ४. जलप्रभ। ८. दिशाकुमार देवों पर
(इन्द्र-२) १. अमितगति, २. अमितवाहन। (लोकपाल-४) १. तूर्य गति,२. क्षिप्रगति, ३. सिंह गति, ४. सिंह विक्रमगति। वायुकुमार देवों पर(इन्द्र-२)१. वेलम्ब, २. प्रभंजन। (लोकपाल-४)१. काल, २. महाकाल,
३. अंजन, ४. रिष्ट। १०. स्तनितकुमार देवों पर
(इन्द्र-२)१. घोष, २. महाघोष। (लोकपाल-४) १. आवर्त, २. व्यावर्त, ३. नन्दिकावर्त, ४. महानन्दिकावर्त। ये
(आधिपत्य करते हुए रहते हैं।) इन सबका कथन असुरकुमारों के समान कहना चाहिए। प्र. भंते ! पिशाचकुमारों (वाणव्यन्तर देवों) पर कितने देव
आधिपत्य करते हुए यावत् विचरण करते हैं? उ. गौतम ! उन पर दो-दो देव (इन्द्र) आधिपत्य करते हुए यावत्
विचरण करते हैं, यथा
एवं भाणियव्वं जहा असुरकुमारा। प. पिसाय कुमाराणं भंते ! देवाणं कइ देवा आहेवच्चं जाव
विहरंति? उ. गोयमा ! दो देवा आहेवच्चं जाव विहरंति,तं जहा