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सेसंतं चेव,
एवं महाकायस्स वि। प. गीतरतिस्स णं भंते ! कइ अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ? उ. अज्जो ! चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ,तं जहा
१.सुघोसा,२.विमला,३.सुस्सरा, ४. सरस्सती। सेसंतंचेव। एवं गीयजसस्स वि। सव्वेसिं एएसिं जहा कालस्स,
णवर-सरिसनामियाओ रायहाणीओ सीहासणाणि य।
सेसं तं चेव। -विया. स. १०, उ.५, सु.१९-२६ २२. जोइसिंदाणं अग्गमहिसी संखा परूवणंप. चंदस्स णं भंते ! जोइसिंदस्स जोइसरण्णो कई
अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ? उ. अज्जो !चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नताओ,तं जहा
१. चंदप्पभा, २. दोसिणाभा, ३. अच्चिमाली, ४. पभंकरा। एवं जहा जीवाभिगमे जोइसियउद्देसए तहेव।
द्रव्यानुयोग-(२) शेष वर्णन काल के समान जानना चाहिए।
इसी प्रकार महाकायेन्द्र के विषय में भी समझ लेना चाहिए। प्र. भन्ते ! गीतरतीन्द्र की कितनी अग्रमहिषियाँ कही गई हैं ? उ. हे आर्यों ! चार अग्रमहिषियाँ कही कई हैं, यथा
१.सुघोषा २. विमला, ४. सुस्सरा, ४. सरस्वती। शेष वर्णन पूर्ववत् जानना चाहिए। इसी प्रकार गीतयश इन्द्र के विषय में भी जान लेना चाहिए। इन सभी इन्द्रों का शेष सम्पूर्ण वर्णन कालेन्द्र के समान जानना चाहिए। विशेष-राजधानियों और सिंहासनों के नाम इन्द्रों के नाम के समान है।
शेष सभी वर्णन पूर्ववत् है। २२. ज्योतिष्केन्द्रों की अग्रमहिषियों का प्ररूपणप्र. भन्ते ! ज्योतिष्केन्द्र ज्योतिष्कराज चन्द्र की कितनी
अग्रमहिषियाँ कही गई हैं? उ. हे आर्यों ! ज्योतिष्केन्द्र चन्द्र की चार अग्रमहिषियाँ कही गई
हैं, यथा१. चन्द्रप्रभा,
२. ज्योत्स्नाभा, ३. अर्चिमाली,
४. प्रभंकरा। शेष समस्त वर्णन जीवाभिगम सूत्र के ज्योतिष्क उद्देशक में कहे अनुसार जानना चाहिए। इसी प्रकार सूर्य के विषय में भी जानना चाहिए (सूर्येन्द्र की, चार अग्रमहिषियाँ हैं) १. सूर्यप्रभा, २. आतप्रभा, ३. अर्चिमाली, ४. प्रभंकरा, शेष
सब वर्णन पूर्ववत् कहना चाहिए। प्र. भन्ते ! अंगारक (मंगल) नामक महाग्रह की कितनी
- अग्रमहिषियाँ कही गई हैं ? उ. हे आर्यों ! चार अग्रमहिषियाँ कही गई हैं, यथा
१. विजया, २. वैजयन्ती, ३. जयन्ती, ४. अपराजिता। शेष समग्र वर्णन चन्द्र के समान जानना चाहिए। विशेष-इसके विमान का नाम अंगारावतंसक और सिंहासन का नाम अंगारक कहना चाहिए। शेष समग्र वर्णन पूर्ववत् जानना चाहिए। इसी प्रकार व्यालक नामक ग्रह के विषय में भी जानना चाहिए। इसी प्रकार अठ्यासी (८८) महाग्रहों के विषय में भावकेतु ग्रह पर्यन्त जानना चाहिए। विशेष-अवतंसकों और सिंहासनों का नाम इन्द्र के नाम के अनुरूप है।
शेष सब वर्णन पूर्ववत् जानना चाहिए। २३. वैमानिकेन्द्रों की और लोकपालों की अग्रमहिषियों की संख्या
का प्ररूपणप्र. भन्ते ! देवेन्द्र देवराज शक्र की कितनी अग्रमहिषियाँ कही
सूरस्स वि
१. सुरप्पभा, २. आयवाभा, ३. अच्चिमाली,
४.पभंकरा,सेसं तं चेव। प. इंगालस्स णं भंते ! महग्गहस्स कइ अग्गमहिसीओ
पण्णत्ताओ? उ. अज्जो ! चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तं जहा
१.विजया,२. वेजयंती,३.जयंति,४. अपराजिया। सेसंजहा चंदस्स। णवर-इंगालवडेंसए विमाणं इंगालगंसि सीहासणंसि।
सेसंतंचेव। एवं वियालगस्स वि। एवं अट्ठासीतीए वि महागहाणं भाणियव्वं जाव भावकेउस्स। णवरं-वडेंसगा सीहासणाणि य सरिसनामगाणि।
सेसं तं चेव।
-विया. स. १०,उ.५, सु.२७-२९ २३. वेमाणियींदाणं लोकपालाण य अग्गमहिसी संखा परूवणं-
प. सक्कस्स णं भंते ! देविंदस्स देवरण्णो कइ अग्गमहिसीओ
पण्णत्ताओ?