________________
देव गति अध्ययन
१४०३
उ. अज्जो ! अट्ठ अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ,तं जहा
१. पउमा, २. सिवा, ३. सुयो, ४. अंजू, ५. अमला, ६.अच्छरा,७.नवमिया,८.रोहिणी। तत्थं णं एगमेगाए देवीए सोलस-सोलस देविसहस्सा परियारो पन्नत्तो। पभू णं ताओ एगमेगा देवी अन्नाई सोलस-सोलस देविसहस्सा परियारं विउव्वित्तए। एवामेव सपुव्वावरेणं अट्ठावीत्तरं देविसयसहस्सं,
से तंतुडिए।
प. पभू णं भंते ! सक्के देविंदे देवराया सोहम्मे कप्पे
सोहम्मवडेंसए विमाणे सभाए सुहम्माए सक्कंसि सीहासंणसि तुडिएणं सद्धिं दिव्वाई भोगभोगाई भुंजमाणे विहरित्तए? उ. अज्जो ! सेसं जहा चमरस्स।
प. सक्कस्स णं भंते ! देविंदस्स देवरण्णो सोमस्स महारण्णो
कइ अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ? उ. अज्जो !चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ,तं जहा
१.रोहिणी,२.मदणा, ३.चित्ता,४.सोमा। तत्थ णं एगमेगा सेसं जहा चमरलोगपालाणं।
उ. हे आर्यों ! आठ अग्रमहिषियाँ कही गई हैं, यथा
१. पद्मा, २. शिवा, ३. श्रेया, ४. अंजू, ५. अमला, ६. अप्सरा,७. नवमिका,८.रोहिणी। इनमें से प्रत्येक देवी का सोलह-सोलह हजार देवियों का परिवार कहा गया है। इनमें से प्रत्येक देवी सोलह-सोलह हजार देवियों के परिवार की विकुर्वणा कर सकती हैं। इस प्रकार पूर्वापर सब मिलाकर एक लाख अट्ठाईस हजार देवियों का परिवार होता है। यह शक्र का अन्तःपुर है। यह एक त्रुटिक (देवियों का वर्ग)
कहलाता है। प्र. भन्ते ! क्या देवेन्द्र देवराज शक्र, सौधर्मकल्प (देवलोक) में
सौधर्मावतंसक विमान में सुधर्मासभा में शक्र नामक सिंहासन पर बैठकर अपने (उक्त) त्रुटिक के साथ भोग भोगने में
समर्थ हैं? उ. हे आर्यों ! इसका समग्र वर्णन चमरेन्द्र के समान जानना
चाहिए। प्र. भन्ते ! देवेन्द्र देवराज शक्र के लोकपाल सोम महाराजा की
कितनी अग्रमहिषियाँ कही गई हैं? उ. हे आर्यों ! चार अग्रमहिषियाँ कही गई हैं, यथा
१.रोहिणी, २. मदना, ३. चित्रा, ४. सोमा। इनमें से प्रत्येक अग्रमहिषी के देवी परिवार का वर्णन चमरेन्द्र के लोकपालों के समान जानना चाहिए। विशेष-स्वयम्प्रभ नामक विमान में सुधर्मासभा में सोम नामक सिंहासन पर बैठकर यावत् मैथुननिमित्तक भोग भोगने में समर्थ नहीं है इत्यादि पूर्ववत् जानना चाहिए। इसी प्रकार वैश्रमण लोकपाल पर्यन्त तृतीय शतक के अनुसार
कथन करना चाहिए। प्र. भन्ते ! देवेन्द्र देवराज ईशान की कितनी अग्रमहिषियाँ कही
गई हैं? उ. हे आर्यों ! आठ अग्रमहिषियाँ कही गई हैं, यथा
१. कृष्णा, २. कृष्णराजि,३. रामा, ४. रामरक्षिता, ५. वसु, ६. वसुगुप्ता,७. वसुमित्रा, ८. वसुन्धरा। इनमें से प्रत्येक अग्रमहिषियों के परिवार आदि का समस्त
वर्णन शक्रेन्द्र के समान जानना चाहिए। प्र. भन्ते ! देवेन्द्र देवराज ईशान के लोकपाल सोम महाराज की
कितनी अग्रमहिषियाँ कही गई हैं? उ. हे आर्यों ! चार अग्रमहिषियाँ कही गई हैं, यथा
१. पृथ्वी, २. रात्रि, ३. रजनी, ४. विद्युत। इनमें से प्रत्येक अग्रमहिषी की देविओं के परिवार आदि का समग्र वर्णन शक्रेन्द्र के लोकपालों के समान है।
इसी प्रकार वरुण लोकपाल पर्यन्त जानना चाहिए। २४. देवेन्द्र शक्र और ईशान के लोकपालों की अग्रमहिषियाँ
देवेन्द्र देवराज शक्र के लोकपाल सोम महाराज की आठ अग्रमहिषियाँ कही गई हैं।
णवरं-सयंपभे विमाणे सभाए सुहम्माए सोमंसि सीहासणंसि, सेसंतं चेव, एवं जाव वेसमणस्स जहा तइयसए।
प. ईसाणस्स णं भंते ! देविंदस्स देवरण्णो कइ अग्गमहिसीओ
पण्णत्ताओ? उ. अज्जो ! अट्ठ अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ,तं जहा
१. कण्हा, २. कण्हराई, ३. रामा, ४. रामरक्खिया, ५. वसू, ६.वसुगुप्ता,७. वसुमित्ता, ८.वसुंधरा। तत्थ णं एगमेगाए, सेसं जहा सक्कस्स।
प. ईसाणस्स णं भंते ! देविंदस्स देवरण्णो सोमस्स महारण्णो
कइ अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ? उ. अज्जो ! चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ,तं जहा
१. पुढवी,२. राई, ३. रयणी, ४.विज्जू। तत्थ णं सेसं जहा सक्कस्स लोगपालाणं।
एवं जाव वरुणस्स। -विया. स. १०, उ.५, सु.३०-३५ २४. देविंदसक्कईसाणाणं लोगपालाण य अग्गमहिसीओ
सक्कस्स णं देविंदस्स देवरण्णो सोमस्स महारण्णो अट्ठ
अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ। -ठाणं अ.८, सु.६१२ अन्तर-१. क. ठाणं. अ. ६, सु. ५०५ (छ अग्रमहिषियाँ)
ख. विया. स. १०, उ.५, सु.३४ (चार अग्रमहिषियां)