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किं नेरइएहिंतो उववज्जंति जाव देवेहिंतो उववज्जंति?
उ. गोयमा ! नेरइएहितो वि उववज्जति जाव देवेहितो वि
उववज्जति। प. जइ नेरइएहितो उववज्जति,
किं रयणप्पभापुढविनेरइएहिंतो उववज्जति जाव
अहेसत्तमाएपुढविनेरइएहिंतो उववज्जति? उ. गोयमा ! रयणप्पभापुढविनेरइएहितो वि उववजंति
जाव अहेसत्तमापुढविनेरइएहितो वि उववज्जति।
प. जइ तिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति,
किं एगिदिएहिंतो उववज्जति जाव पंचेंदिएहितो
उववज्जति? उ. गोयमा ! एगिदिएहिंतो वि उववजंति जाव पंचेंदिएहितो
वि उववज्जति।२ प. जइ एगिदिएहिंतो उववजंति,
किं पुढविकाइएहिंतो उववज्जति जाव
वणस्सइकाइएहिंतो उववज्जति? उ. गोयमा ! एवं जहा पुढविकाइयाणं उववाओ भणिओ
तहेव एएसि पि भाणियव्यो।। णवर-देवेहिंतो जाव सहस्सारकप्पोवगवेमाणियदेवेहितो वि उववज्जति, नो आणयकप्पोवगवेमाणियदेवेहितो जाव नो अच्चुएहिंतो वि उववज्जति।
-पण्ण. प.६, सु.६५५ प. सम्मुच्छिम जलयराणं भंते ! कओहिंतो उववज्जति?
किं नेरइएहिंतो उववज्जति जावदेवेहिंतो उववज्जति?
द्रव्यानुयोग-(२) क्या वे नैरयिकों में से आकर उत्पन्न होते हैं यावत देवों में से
आकर उत्पन्न होते हैं? उ. गौतम !(वे) नैरयिकों में से आकर भी उत्पन्न होते हैं यावत्
देवों में से आकर भी उत्पन्न होते हैं। प्र. यदि नैरयिकों में से आकर उत्पन्न होते हैं तो क्या रलप्रभा पृथ्वी के नैरयिकों में से आकर उत्पन्न होते हैं यावत्
अधःसप्तम पृथ्वी के नैरयिकों में से आकर उत्पन्न होते हैं ? उ. गौतम ! रत्नप्रभापृथ्वी के नैरयिकों में से आकर भी उत्पन्न होते
हैं यावत् अधःसप्तम पृथ्वी के नैरयिकों में से आकर भी उत्पन्न
होते हैं। प्र. यदि तिर्यञ्चयोनिकों में से आकर उत्पन्न होते हैं तो क्या
एकेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिकों में से आकर उत्पन्न होते हैं यावत्
पंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिकों में से आकर उत्पन्न होते हैं ? उ. गौतम !(वे) एकेन्द्रिय तिर्यञ्चों में से आकर भी उत्पन्न होते
हैं यावत् पंचेन्द्रियतिर्यञ्चों में से आकर भी उत्पन्न होते हैं। प्र. यदि (वे) एकेन्द्रिय में से आकर उत्पन्न होते हैं तो क्या
पृथ्वीकायिकों में से आकर उत्पन्न होते हैं यावत्
वनस्पतिकायिकों में से आकर उत्पन्न होते हैं ? उ. गौतम ! इसी प्रकार जैसे पृथ्वीकायिकों का उपपात कहा है
वैसे ही पंचेन्द्रियतिर्यञ्चों का भी उपपात कहना चाहिए। विशेष-देवों में सहस्रारकल्पोपपन्न वैमानिक देवों पर्यन्त से उत्पन्न होते हैं, किन्तु आनतकल्पोपपन्न वैमानिक देवों में से अच्युतकल्पोपपन्न वैमानिक देवों पर्यन्त से उत्पन्न नहीं होते हैं।
उ. गोयमा ! उववाओ तिरियमणुस्सेहितो,
नो देवेहितो, नो नेरइएहितो, तिरिएहितो असंखेज्जवासाउयवज्जेहितो,
प्र. भंते ! सम्मूर्छिम जलचर जीव कहाँ से आकर उत्पन्न होते हैं ?
क्या नैरयिकों में से आकर उत्पन्न होते हैं यावत् देवों में से
आकर उत्पन्न होते हैं? उ. गौतम ! वे तिर्यञ्च और मनुष्यों में से आकर उत्पन्न होते हैं।
देवों में से और नारकों में से आकर उत्पन्न नहीं होते हैं। तिर्यञ्चों में से असंख्यातवर्षायु वाले तिर्यञ्चों में से आकर उत्पन्न नहीं होते हैं। मनुष्यों में से अकर्मभूमिज-अन्तीपज असंख्यात वर्षायुष्क वाले मनुष्यों में से आकर उत्पन्न नहीं होते हैं।
सम्मुर्छिम स्थलचर के लिए भी इसी प्रकार कहना चाहिए। प्र. भंते ! गर्भज जलचर जीव कहाँ से आकर उत्पन्न होते हैं?
अकम्मभूमग-अंतरदीवग-असंखेज्जवासाउयवज्जेहिंतो मणुस्सेहितो।
सम्मुच्छिम थलयरा एवं चेव -जीवा. पडि. १, सु. ३५-३६ प. गब्भवक्कंतिय-जलयरा णं भंते ! कओहिंतो
उववज्जति? किं नेरइएहितो उववज्जति जाव देवेहितो उववज्जति?
उ. गोयमा ! उववाओ नेरइएहिंतो जाव अहेसत्तमा,
क्या नैरयिकों में से आकर उत्पन्न होते हैं यावत् देवों में से
आकर उत्पन्न होते हैं? उ. गौतम ! नारकों में अधःसप्तम पृथ्वीपर्यन्त के नारकों में से
आकर उत्पन्न होते हैं। तिर्यञ्चों में असंख्यातवर्षायु वाले तिर्यञ्चों को छोड़कर शेष सब तिर्यञ्चों में से आकर उत्पन्न होते हैं।
तिरिक्खजोणिएसु सव्वेसु असंखेज्जवासाउयवज्जेहितो,
१. विया.स. २४, उ.२०,सु. १-२
२. विया.स.२४, उ. २०,सु.११