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मनुष्य गति अध्ययन (२) चत्तारि हत्थी पण्णत्ता,तं जहा१. भद्दे णाममेगे भद्दमणे, २. भद्दे णाममेगे मंदमणे, ३. भद्दे णाममेगे मियमणे, ४. भद्दे णाममेगे संकिन्नमणे। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा१. भद्दे णाममेगे भद्दमणे, २. भद्दे णाममेगे मंदमणे, ३. भद्दे णाममेगे मियमणे, ४. भद्दे णाममेगे संकिन्नमणे। (३) चत्तारि हत्थी पण्णत्ता,तं जहा१. मंदे णाममेगे भद्दमणे, २. मंदे णाममेगे मंदमणे, ३. मंदे णाममेगे मियमणे, ४. मंदे णाममेगे संकिन्नमणे। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता,तं जहा१. मंदे णाममेगे भद्दमणे, २. मंदे णाममेगे मंदमणे, ३. मंदे णाममेगे मियमणे, ४. मंदे णाममेगे संकिण्णमणे। (४) चत्तारि हत्थी पण्णत्ता,तं जहा१. मिए णाममेगे भद्दमणे, २. मिए णाममेगे मंदमणे, ३. मिए णाममेगे मियमणे, ४. मिए णाममेगे संकिन्नमणे। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता,तं जहा१. मिए णाममेगे भद्दमणे, २. मिए णाममेगे मंदमणे, ३. मिए णाममेगे मियमणे, ४. मिए णाममेगे संकिन्नमणे। (५) चत्तारि हत्थी पण्णत्ता,तं जहा१. संकिन्ने णाममेगे भद्दमणे, २. संकिन्ने णाममेगे मंदमणे, ३. संकिन्ने णाममेगे मियमणे, ४. संकिन्ने णाममेगे संकिन्नमणे। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा१. संकिने णाममो भद्दमणे, २. संकिने णाममेगे मंदमणे, ३. संकिण्णे णाममेगे मियमणे,
४. संकिन्ने णाममेगे संकिन्नमणे। -ठाणं. अ.४, उ. २, सु. २८१ ७६. सेणा दिट्टतेण पुरिसाणं चउभंग परूवणं(१) चत्तारि सेणाओ पण्णत्ताओ, तं जहा१. जइत्ता णाममेगे, णो पराजिणित्ता,
(२) हाथी चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ हाथी भद्र होते हैं और उनका मन भी भद्र होता है, २. कुछ हाथी भद्र होते हैं, किन्तु उनका मन मंद होता है, ३. कुछ हाथी भद्र होते हैं, किन्तु उनका मन मृग होता है, ४. कुछ हाथी भद्र होते हैं, किन्तु उनका मन संकीर्ण होता है। इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ पुरुष भद्र होते हैं और उनका मन भी भद्र होता है, २. कुछ पुरुष भद्र होते हैं, किन्तु उनका मन मंद होता है, ३. कुछ पुरुष भद्र होते हैं, किन्तु उनका मन मृग होता है, ४. कुछ पुरुष भद्र होते हैं, किन्तु उनका मन संकीर्ण होता है। (३) हाथी चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ हाथी मंद होते हैं, किन्तु उनका मन भद्र होता है, २. कुछ हाथी मंद होते हैं और उनका मन भी मंद होता है, ३. कुछ हाथी मंद होते हैं, किन्तु उनका मन मृग होता है, ४. कुछ हाथी मंद होते हैं, किन्तु उनका मन संकीर्ण होता है। इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ पुरुष मंद होते हैं, किन्तु उनका मन भद्र होता है, २. कुछ पुरुष मंद होते हैं और उनका मन मंद होता है, ३. कुछ पुरुष मंद होते हैं, किन्तु उनका मन मृग होता है, ४. कुछ पुरुष मंद होते हैं, किन्तु उनका मन संकीर्ण होता है। (४) हाथी चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ हाथी मृग होते हैं, किन्तु उनका मन भद्र होता है, २. कुछ हाथी मृग होते हैं, किन्तु उनका मन मंद होता है, ३. कुछ हाथी मृग होते हैं और उनका मन भी मृग होता है, ४. कुछ हाथी मृग होते हैं, किन्तु उनका मन संकीर्ण होता है। इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ पुरुष मृग होते हैं, किन्तु उनका मन भद्र होता है, २. कुछ पुरुष मृग होते हैं, किन्तु उनका मन मंद होता है, ३. कुछ पुरुष मृग होते हैं और उनका मन भी मृग होता है, ४. कुछ पुरुष मृग होते हैं, किन्तु उनका मन संकीर्ण होता है। (५) हाथी चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ हाथी संकीर्ण होते हैं, किन्तु उनका मन भद्र होता है, २. कुछ हाथी संकीर्ण होते हैं, किन्तु उनका मन मंद होता है, ३. कुछ हाथी संकीर्ण होते हैं, किन्तु उनका मन मृग होता है, ४. कुछ हाथी संकीर्ण होते हैं और उनका मन भी संकीर्ण होता है। इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ पुरुष संकीर्ण होते हैं, किन्तु उनका मन भद्र होता है, २. कुछ पुरुष संकीर्ण होते हैं, किन्तु उनका मन मंद होता है, ३. कुछ पुरुष संकीर्ण होते हैं, किन्तु उनका मन मृग होता है,
४. कुछ पुरुष संकीर्ण होते हैं और उनका मन भी संकीर्ण होता है। ७६. सेना के दृष्टान्त द्वारा पुरुषों के चतुर्भगों का प्ररूपण(१) सेना चार प्रकार की कही गई हैं, यथा१. कुछ सेनाएँ विजय करती हैं, किन्तु पराजित नहीं होतीं,