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[ मनुष्य गति अध्ययन
अपरियाविया (पलिओवमस्स असंखेज्जइभागं परियावियं) सुहंसुहेणं कालमासे कालं किच्चा अन्नयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववत्तारो भवंति।
देवलोयपरिग्गहा णं ते मणुयगणा पण्णत्ता समणाउसो!
-जीवा. पडि.३, सु१११/१७ (ख) १०६. हरिवास-रम्मयवासेसु मणुयाणं संपत्तजोव्वणासमय
परूवणंहरिवासरम्मयवासेसु मणुसस्स तेवट्ठिए राइदिएहिं संपत्तजोव्वणा भवंति।
-सम.६३,सु.२ १०७. खेत्तं कालंच पडुच्च मणुयाणं ओगाहणा आउंच परूवणं-
जंबुद्दीवे दीवे भरहेरवएसु वासेसु तीताए उस्सप्पिणीए सुसमाए समाए मणुया दो गाउयाई उड्ढं उच्चत्तेणं होत्था, दोण्णि य पलिओवमाई परमाउं पालइत्था। एवं इमीसे ओसप्पिणीए वि।
खांसकर या छींककर बिना किसी कष्ट के, बिना किसी दुःख के, बिना किसी परिताप के (पल्योपम का असंख्यातवां भाग आयुष्य भोगकर) सुखपूर्वक मृत्यु के अवसर पर मरकर किसी भी देवलोक में देव के रूप में उत्पन्न होते हैं। हे आयुष्मन् श्रमण! वे मनुष्य देवलोक में ही उत्पन्न होने वाले
कहे गए हैं। १०६. हरिवर्ष-रम्यक्वर्ष में मनुष्यों के यौवन प्राप्ति समय का
प्ररूपणहरिवर्ष और रम्यक्वर्ष के मनुष्य तिरेसठ (६३) दिन-रात में
यौवन अवस्था को प्राप्त हो जाते हैं। १०७. क्षेत्रकाल की अपेक्षा मनुष्यों की अवगाहना और आयु का
प्ररूपणजम्बूद्वीप द्वीप के भरत और ऐरवत क्षेत्र में अतीत उत्सर्पिणी सुषमा नामक काल (आरे) में मनुष्यों की ऊँचाई दो गाउ की और उत्कृष्ट आयु दो पल्योपम की थी। इसी प्रकार इस अवसर्पिणी के सुषमा काल के लिए जानना चाहिए। इसी प्रकार आगामी उत्सर्पिणी के सुषमा काल के लिए भी जानना चाहिए। जम्बूद्वीप द्वीप के भरत और ऐरवत क्षेत्र में अतीत उत्सर्पिणी के सुषमसुषमा नाम के आरे में मनुष्यों की ऊँचाई तीन गाउ की थी तथा उनकी उष्कृष्ट आयु तीन पल्योपम की थी। इसी प्रकार वर्तमान अवसर्पिणी तथा आगामी उत्सर्पिणी में भी जानना चाहिए। जम्बूद्वीप द्वीप में देवकुरु और उत्तरकुरु में मनुष्यों की ऊँचाई तीन गाउ की है और उत्कृष्ट आयु तीन पल्योपम की कही गई है। इसी प्रकार धातकीखण्ड तथा अर्धपुष्करवर द्वीप के पूर्वार्ध
और पश्चिमार्द्ध में जानना चाहिए। १. जम्बूद्वीप के भरत-ऐरवत क्षेत्र की अतीत उत्सर्पिणी के
सुषमसुषमा काल में मनुष्यों की ऊँचाई छह हजार धनुष्य की थी तथा उनकी उत्कृष्ट आयु तीन पल्योपम की थी।
एवमागमेस्साए उस्सप्पणीए वि।।
-ठाणं. अ.२, सु.९२
जंबुद्दीवे दीवे भरहेरवएसु वासेसु तीताए उस्सप्पिणीए सुसमसुसमाए समाए मणुया तिण्णि गाउयाई उड्ढे उच्चत्तेणं होत्था, तिण्णि पलिओवमाई परमाउं पालइत्था। एवं इमीसे ओसप्पिणीए, आगमेस्साए उस्सप्पिणीए।
जंबुद्दीवे दीवे देवकुरुउत्तरकुरासु मणुया तिण्णि गाउयाई उड्ढे उच्चत्तेणं पण्णत्ता, तिण्णि पलिओवमाई परमाउं पालयति। एवं जाव पुक्खरवरदीवड्ढपच्चत्थिमद्धे वि।
-ठाणं. अ.३, उ. १, सु. १५१/२ १. जंबुद्दीवे दीवे भरहेरवएसु वासेसु तीताए उस्सप्पिणीए
सुसमसुसमाए समाए मणुया छ धणुसहस्साई उड्ढे उच्चत्तेणं पण्णत्ता छच्च अद्धपलिओवमाई परमाउं पालयित्था। जंबुद्दीवे दीवे भरहेरवएसु वासेसु इमीसे ओसप्पिणीए सुसमसुसमाए समाए मणुया छ धणुसहस्साई उड्ड उच्चत्तेणं पण्णत्ता, छच्च अद्धपलिओवमाई परमाउं
पालयति। ३. जंबुद्दीवे दीवे भरहेरवएसु वासेसु आगमेस्साए
उस्सप्पिणी सुसमसुसमाए समाए मणुया छ धणुसहस्साई उड्ढं उच्चत्तेणं भविस्संति, छच्च अद्धपलिओवमाई
परमाउं पालइस्संति। ४. जंबुद्दीवे दीवे देवकुरुउत्तरकुरासु मणुया
छद्धणुसहस्साई उड्ढं उच्चत्तेणं पण्णत्ता, छच्च
अद्धपलिओवमाई परमाउं पालेंति। एवं धायइसंडदीवपुरथिमद्धे चत्तारि आलावगा जाव पुक्खरवरदीवड्ढपच्चत्थिमद्धे वि चत्तारि आलावगा।
-ठाणं.अ.६.सु.४९३
२. जम्बूद्वीप के भरत-ऐरवत क्षेत्र में वर्तमान अवसर्पिणी के
सुषमसुषमा काल में मनुष्यों की ऊँचाई छह हजार धनुष्य की है और उत्कृष्ट आयु तीन पल्योपम की है।
३. जम्बूद्वीप के भरत-ऐरवत क्षेत्र की आगामी उत्सर्पिणी के
सुषमसुषमाकाल में मनुष्यों की ऊँचाई छह हजार धनुष्य की होगी और उत्कृष्ट आयु तीन पल्योपम की होगी।
४. जम्बूद्वीप में देवकुरु तथा उत्तरकुरु में मनुष्यों की ऊँचाई छह
हजार धनुष्य की है तथा उत्कृष्ट आयु तीन पल्योपम की है।
इसी प्रकार धातकीखण्ड द्वीप के पूर्वार्द्ध और पश्चिमार्च में चार-चार आलापक यावत् अर्धपुष्करवरद्वीप के पश्चिमार्ड में चार आलापक कहने चाहिए।