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एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा१. सुई णाममेगे सुई,
२. सुई णाममेगे असुई,
३. असुई णाममेगे सुई,
४. असुई णाममेगे असुई ।
(२) चत्तारि वत्था पण्णत्ता, तं जहा
१. सुई णाममेगे सुइपरिणए,
२. सुई णाममेगे असुइपरिणए,
३. असुई णाममेगे सुइपरिणए,
४. असुई णाममेगे असुपरिणए ।
एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता तं जहा
"
१. सुई णाममेगे सुइपरिणए.
२. सुई णाममेगे असुइपरिणए,
३. असुई णाममेगे सुइपरिणए,
४. असुई णाममेगे असुइपरिणए ।
(३) चत्तारि वत्था पण्णता, तं जहा
१. सुई णाममेगे सुइरूवे, २. सुई णाममेगे असुइरूवे,
३. असुई णाममेगे सुइरूवे,
४. असुई णाममेगे असुइरूवे । एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा
१. सुई णाममेगे सुइरूवे,
२. सुई णाममेगे असुइरूवे, ३. असुई णाममेगे सुइरूवे, ४. असुई णाममेगे असुइरूवे । ८०. कड दिट्ठतेण पुरिसाणं चउभंग परूवणं
-ठाणं. अ. ४, उ. १, सु. २४१
(१) चत्तारि कडा पण्णत्ता, तं जहा१. सुबकडे,
२. विदलकडे,
३. चम्मकडे,
४. कंबलकडे ।
द्रव्यानुयोग - (२)
इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा
१. कुछ पुरुष शरीर से भी पवित्र होते हैं और स्वभाव से भी पवित्र होते हैं,
२. कुछ पुरुष शरीर से पवित्र होते हैं, किन्तु स्वभाव से अपवित्र होते हैं,
३. कुछ पुरुष शरीर से अपवित्र होते हैं, किन्तु स्वभाव से पवित्र होते हैं.
४. कुछ पुरुष शरीर से भी अपवित्र होते हैं और स्वभाव से भी अपवित्र होते हैं।
(२) वस्त्र चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा
१. कुछ वस्त्र प्रकृति से पवित्र होते हैं और पवित्र रूप से ही परिणत होते हैं,
२. कुछ वस्त्र प्रकृति से पवित्र होते हैं, किन्तु अपवित्र रूप से परिणत होते हैं,
३. कुछ वस्त्र प्रकृति से अपवित्र होते हैं, किन्तु पवित्र रूप से परिणत होते हैं,
४. कुछ वस्त्र प्रकृति से अपवित्र होते हैं और अपवित्र रूप से ही परिणत होते हैं।
इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा
१. कुछ पुरुष शरीर से पवित्र होते हैं और पवित्र रूप में ही परिणत होते हैं,
२. कुछ पुरुष शरीर से पवित्र होते हैं, किन्तु अपवित्र रूप में परिणत होते हैं,
३. कुछ पुरुष शरीर से अपवित्र होते हैं, किन्तु पवित्र रूप में परिणत होते हैं,
४. कुछ पुरुष शरीर से अपवित्र होते हैं और अपवित्र रूप में परिणत होते हैं।
(३) वस्त्र चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा
१. कुछ वस्त्र प्रकृति से पवित्र और पवित्र रूप वाले होते हैं,
२. कुछ वस्त्र प्रकृति से पवित्र किन्तु अपवित्र रूप वाले होते हैं,
३. कुछ वस्त्र प्रकृति से अपवित्र, किन्तु पवित्र रूप वाले होते हैं, ४. कुछ वस्त्र प्रकृति से अपवित्र और अपवित्र रूप वाले होते हैं। इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा
१. कुछ पुरुष शरीर से पवित्र और पवित्र रूप वाले होते हैं, २. कुछ पुरुष शरीर से पवित्र, किन्तु अपवित्र रूप वाले होते हैं, ३. कुछ पुरुष शरीर से अपवित्र किन्तु पवित्र रूप वाले होते हैं, ४. कुछ पुरुष शरीर से अपवित्र और अपवित्र रूप वाले होते हैं। ८०. चटाई के दृष्टांत द्वारा पुरुषों के चतुर्भगों का प्ररूपण
(१) कट (चटाई) चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा
१. सुम्बकट - घास से बना हुआ,
२. विदलकट- बाँस के टुकड़ों से बना हुआ,
३. चर्मकट चमड़े से बना हुआ,
४. कम्बलकट-कम्बल से बना हुआ।