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कर्म अध्ययन
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२. असत्य न बोलने से, ३. तथारूप श्रमण या माहन को वन्दन, नमस्कार यावत् पर्युपासना करके मनोज्ञ एवं प्रीतिकारक अशन, पान, खादिम और स्वादिम आहार से प्रतिलाभित करने से।
२. नो मुसं वइत्ता, ३. तहारूवं समणं वा, माहणं वा, वंदित्ता,नमंसित्ता
जाव पज्जुवासित्ता अन्नयरेणं मणुण्णेणं पीइकारएणंअसण-पाण-खाइमसाइमेणं
पडिलाभेत्ता। -विया. स. ५, उ.६, सु. १-४ ११३. जीव-चउवीसदंडएसु आउय बंधकाल परूवणं
प. दं.१. जीवे णं भंते ! जे भविए नेरइएसु उववज्जित्तए
सेणं भंते ! किं इहगए नेरइयाउयं पकरेइ? उववज्जमाणे नेरइयाउयं पकरेइ?
उववन्ने नेरइयाउयं पकरेइ? उ. गोयमा ! इहगए नेरइयाउयं पकरेइ,
नो उववज्जमाणे नेरइयाउयं पकरेइ, नो उववन्ने नेरइयाउयं पकरेइ। दं.२.एवं असुरकुमारेसुवि।
दं.३-२४ एवं जाव वेमाणिएसु।
-विया.स.७, उ.६.सु.२-४ ११४. आउयपरिणामभेया
नवविहे आउपरिणामे पण्णत्ते, तं जहा१. गइपरिणामे, २. गइबंधणपरिणामे, ३. ठिईपरिणामे, ४. ठिईबंधणपरिणामे, ५. उड्ढंगारवपरिणामे, ६. अहेगारवपरिणामे, ७. तिरियंगारवपरिणामे, ८. दीहंगारवपरिणामे,
९. हस्संगारवपरिणामे। -ठाणं. अ.९, सु. ६८६ ११५. आउयस्स जाइनामनिहत्ताइ छ बंध पगारा
प. कइविहे णं भंते !आउयबंधे पण्णत्ते? उ. गोयमा ! छव्विहे आउयबंधे पण्णत्ते,तं जहा
१. जाइनामनिहत्ताउए, २. गइनामनिहत्ताउए, ३. ठिईनामनिहत्ताउए, ४. ओगाहणानामनिहत्ताउए, ५. पदेसनामनिहत्ताउए,
अणभावनामनिहत्ताउए।१ -पण्ण.प.६,सु.६८४ ११६. चउवीसदंडएसु आउय बंध भेय परूवणं
प. दं.१.नेरइयाणं भंते ! कइविहे आउयबंधे पण्णत्ते?
११३. जीव-चौबीसदंडकों में आयुबंध का काल प्ररूपण
प्र. भंते ! जो जीव नैरयिकों में उत्पन्न होने योग्य है, क्या वह
इस भव में रहता हुआ नरकायु का बंध करता है? उत्पन्न होता हुआ नरकायु का बंध करता है, उत्पन्न होने पर नरकायु का बंध करता है? गौतम ! इस भव में रहते हुए नरकायु का बंध करता है, किन्तु नरक में उत्पन्न होते हुए नरकायु का बंध नहीं करता, उत्पन्न होने पर भी नरकायु का बंध नहीं करता। दं.२. इसी प्रकार असुरकुमारों के (आयुबन्ध के) विषय में कहना चाहिए। दं.३-२४ इसी प्रकार वैमानिक पर्यन्त (आयुबन्ध) कहना
चाहिए। ११४. आयु परिणाम के भेद
आयुपरिणाम नौ प्रकार के कहे गये हैं, यथा१. गति परिणाम, २. गति बन्धन परिणाम, ३. स्थिति परिणाम, ४. स्थिति बंधन परिणाम, ५. ऊर्ध्व गौरव परिणाम, ६. अधो गौरव परिणाम, ७. तिर्यक् गौरव परिणाम, ८. दीर्घ गौरव परिणाम,
९. ह्रस्व गौरव परिणाम। ११५. आयु के जातिनामनिधत्तादि के छःबंध प्रकार
प्र. भंते ! आयु का बन्ध कितने प्रकार का कहा गया है ? उ. गौतम ! आयु बन्ध छह प्रकार के कहे गये हैं, यथा
१. जातिनामनिधत्तायु, २. गतिनामनिधत्तायु, ३. स्थितिनामनिधत्तायु, ४. अवगाहनानामनिधत्तायु, ५. प्रदेशनामनिधत्तायु,
६. अनुभावनामनिधत्तायु। ११६. चौबीस दंडकों में आयु बंध के भेदों का प्ररूपण
प्र. दं.१. भंते ! नैरयिकों का आयुष्यबन्ध कितने प्रकार का
कहा गया है? उ. गौतम ! उनका आयुष्यबन्ध छह प्रकार के कहे गये हैं,
यथा१. जातिनामनिधत्तायु, २. गतिनामनिधत्तायु, ३. स्थितिनामनिधत्तायु, ४. अवगाहनानामनिधत्तायु,
उ. गोयमा ! छविहे आउयबंधे पण्णत्ते,तं जहा
१. जाइनामनिहत्ताउए, २. गइनामनिहत्ताउए, ३. ठिईनामनिहत्ताउए,
४. ओगाहणानामनिहत्ताउए, १. (क) ठाणं अ.६, सु.५३६(१)
(ख) विया.स.६,उ.८,सु.२७