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द्रव्यानुयोग-(२) पांच स्थानों से जीव सुगति में जाते हैं, यथा१. प्राणातिपात विरमण से यावत् ५. परिग्रहण विरमण से।
६.
६. दुर्गत सुगत के भेदों का प्ररूपण
दुर्गत (दुर्गति में उत्पन्न होने वाले) चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. नैरयिक दुर्गत, २. तिर्यञ्चयोनिक दुर्गत, ३. मनुष्य दुर्गत, ४. देव दुर्गत सुगत (सुगति में उत्पन्न होने वाले) चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. सिद्ध सुगत,
२. देव सुगत, ३. मनुष्य सुगत,
४. सुकुल में जन्म लेने वाला।
७. चार गतियों में पर्याप्तियां-अपर्याप्तियां
प्र. भन्ते ! नैरयिकों के कितनी पर्याप्तियां कही गई हैं ? उ. गौतम ! छ: पर्याप्तियाँ कही गई हैं, यथा
१. आहार पर्याप्ति यावत् ६. मनःपर्याप्ति। प्र. भंते ! नैरयिकों के कितनी अपर्याप्तियां कही गई हैं ? उ. गौतम ! छः अपर्याप्तियां कही गई हैं, यथा
१. आहार अपर्याप्ति यावत ६. मनःअपर्याप्ति।
पंचहिं ठाणेहिं जीवा सोगइं गच्छंति,तं जहा१. पाणाइवायवेरमणेणं जाव ५.परिग्गहवेरमणेणं।
-ठाणं.अ.५, उ.१,सु.३९१ दुग्गय सुगयाण य भेय परूवणंचत्तारि दुग्गया पन्नत्ता,तं जहा१.नेरइयदुग्गया, २. तिरिक्खजोणियदुग्गया, ३. मणुयदुग्गया, ४. देवदुग्गया। चत्तारि सोग्गया पन्नत्ता,तं जहा१. सिद्धसोग्गया, २. देवसोग्गया, ३. मणुयसोग्गया,
४. सुकुलपच्चायाया।
-ठाणं.अ.४, उ.१,सु.२६७ ७. चउगईसुपज्जत्ति-अपज्जत्तिओ
प. णेरइयाणं भंते ! कइ पज्जत्तीओ पण्णत्ताओ? उ. गोयमा ! छ पज्जत्तीओ पण्णत्ताओ, तं जहा
१. आहार पज्जत्ती जाव६.मणपज्जत्ती। प. णेरइयाणं भंते ! कइ अपज्जत्तीओ पण्णत्ताओ? उ. गोयमा ! छ अपज्जत्तीओ पण्णत्ताओ,तं जहा१. आहार अपज्जत्ती जाव ६. मणअपज्जत्ती।
-जीवा. पडि.१,सु.३२ प. सुहुमपुढविकाइयाणं भंते ! कइ पज्जत्तीओ पण्णत्ताओ? उ. गोयमा ! चत्तारि पज्जत्तीओ पण्णत्ताओ, तं जहा
१. आहार पज्जत्ती, २. सरीर पज्जत्ती,
३. इंदिय पज्जत्ती, ४. आणपाणु पज्जत्ती। प. सुहुमपुढविकाइयाणं भंते ! कइ अपज्जत्तीओ
पण्णत्ताओ? उ. गोयमा ! चत्तारि अपज्जत्तीओ पण्णत्ताओ,तं जहा१. आहार अपज्जत्ती जाव४.आणपाणु अपज्जत्ती।
-जीवा. पडि.१,सु.१३(१२) एवं जाव सुहुम बायर वणस्सइकाइयाण वि।
-जीवा. पडि. १, सु. १४-२६ बेइंदिय-तेइंदिय-चउरिंदियाणं पंच पज्जत्तीओ पण्णत्ताओ,तं जहा१. आहार पज्जत्ती, २. सरीर पज्जत्ती, ३. इंदिय पज्जत्ती, ४. आणपाणु पज्जत्ती, ५. भासा पज्जत्ती। बेइंदिय-तेइंदिय-चउरिंदियाणं पंच अपज्जत्तीओ, पण्णत्ताओ,तं जहा१. आहार अपज्जत्ती जाव ५.भासा अपज्जत्ती।
-जीवा. पडि. १, सु. २७-३० प. सम्मुच्छिम पंचिंदिय तिरिक्खजोणियजलयराणं भंते ! कइ
पज्जत्तीओ पण्णत्ताओ? उ. गोयमा ! पंच पज्जत्तीओ पण्णत्ताओ,तं जहा
१. आहार पज्जत्ती जाव ५.भासा पज्जत्ती। १. ठाणं.अ.३,उ.३,सु.१८७/३-४
प्र. भंते ! सूक्ष्म पृथ्वीकायिकों के कितनी पर्याप्तियां कही गई हैं ? उ. गौतम ! चार पर्याप्तियां कही गई हैं, यथा
१. आहार पर्याप्ति, २. शरीर पर्याप्ति,
३. इन्द्रिय पर्याप्ति, ४. आन-प्राण पर्याप्ति। प्र. भन्ते ! सूक्ष्म पृथ्वीकायिकों के कितनी अपर्याप्तियां कही
गई हैं? उ. गौतम ! चार अपर्याप्तियां कही गई हैं, यथा
१. आहार अपर्याप्ति यावत् ४. आनप्राण अपर्याप्ति।
इसी प्रकार सूक्ष्म-बादर वनस्पतिकायिक पर्यन्त जानना चाहिए। द्वीन्द्रिय-त्रीन्द्रिय-चतुरिन्द्रिय जीवों के पांच पर्याप्तियां कही गई हैं, यथा१. आहार पर्याप्ति, २. शरीर पर्याप्ति, ३. इन्द्रिय पर्याप्ति, ४. आनप्राण पर्याप्ति, ५. भाषा पर्याप्ति। द्वीन्द्रिय-त्रीन्द्रिय-चतुरिन्द्रिय जीवों में पांच अपर्याप्तियां कही गई हैं, यथा१. आहार अपर्याप्ति यावत् ५. भाषा अपर्याप्ति।
प्र. भंते ! सम्मूर्छिम पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक जलचर जीवों में
कितनी पर्याप्तियां कही गई हैं? उ. गौतम ! पांच पर्याप्तियां कही गई हैं, यथा
१. आहार पर्याप्ति यावत् ५. भाषा पर्याप्ति।