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(४) चत्तारि उसभा पण्णत्ता,तं जहा१. जाइसंपन्ने णाममेगे, नो रूवसंपन्ने, २. रूवसंपन्ने णाममेगे, नोजाइसंपन्ने, ३. एगे जाइसंपन्ने वि, रूवसंपन्ने वि,
[ द्रव्यानुयोग-(२)) (४) वृषभ चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ वृषभ जाति-सम्पन्न होते हैं, किन्तु रूप-सम्पन्न नहीं होते, २. कुछ वृषभ रूप-सम्पन्न होते हैं, किन्तु जाति-सम्पन्न नहीं होते, ३. कुछ वृषभ जाति-सम्पन्न भी होते हैं, और रूप-सम्पन्न भी
होते हैं, ४. कुछ वृषभ न जाति-सम्पन्न ही होते हैं और न रूप-सम्पन्न ही
४. एगे नोजाइसंपन्ने, नो रूवसंपन्ने।
होते हैं।
एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता,तं जहा१. जाइसंपन्ने णाममेगे, नो रूवसंपन्ने, २. रूवसंपन्ने णाममेगे, नो जाइसंपन्ने, ३. एगे जाइसंपन्ने वि, स्वसंपन्ने वि, ४. एगे नोजाइसंपन्ने, नो रूवसंपन्ने।
(५) चत्तारि उसभा पण्णत्ता,तं जहा१. कुलसंपन्ने णाममेगे, नो बलसंपन्ने, २. बलसंपन्ने णाममेगे, नो कुलसंपन्ने, ३. एगे कुलसंपन्ने वि,बलसंपन्ने वि, ४. एगे नो कुलसंपन्ने, नो बलसंपन्ने।
एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता,तं जहा१. कुलसंपन्ने णाममेगे, नो बलसंपन्ने, २. बलसंपन्ने णाममेगे, नो कुलसंपन्ने, ३. एगे कुलसंपन्ने वि, बलसंपन्ने वि, ४. एगे नो कुलसंपन्ने, नो बलसंपन्ने।
इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ पुरुष जाति-सम्पन्न होते हैं, किन्तु रूप-सम्पन्न नहीं होते, २. कुछ पुरुष रूप-सम्पन्न होते हैं, किन्तु जाति-सम्पन्न नहीं होते, ३. कुछ पुरुष जाति-सम्पन्न भी होते हैं और रूप-सम्पन्न भी होते हैं, ४. कुछ पुरुष न जाति-सम्पन्न ही होते हैं और न रूप-सम्पन्न ही
होते हैं। (५) वृषभ चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ वृषभ कुल-सम्पन्न होते हैं, किन्तु बल-सम्पन्न नहीं होते, २. कुछ वृषभ बल-सम्पन्न होते हैं, किन्तु कुल-सम्पन्न नहीं होते, ३. कुछ वृषभ कुल-सम्पन्न भी होते हैं और बल-सम्पन्न भी होते हैं, ४. कुछ वृषभ न कुल-सम्पन्न ही होते हैं और न बल सम्पन्न ही
होते हैं। इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ पुरुष कुल-सम्पन्न होते हैं, किन्तु बल-सम्पन्न नहीं होते, २. कुछ पुरुष बल-सम्पन्न होते हैं, किन्तु कुल-सम्पन्न नहीं होते, ३. कुछ पुरुष कुल-सम्पन्न भी होते हैं और बल-सम्पन्न भी होते हैं, ४. कुछ पुरुष न कुल-सम्पन्न ही होते हैं और न बल-सम्पन्न ही
होते हैं। (६) वृषभ चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ वृषभ कुल-सम्पन्न होते हैं, किन्तु रूप-सम्पन्न नहीं होते, २. कुछ वृषभ रूप-सम्पन्न होते हैं, किन्तु कुल-सम्पन्न नहीं होते, ३. कुछ वृषभ कुल-सम्पन्न भी होते हैं और रूप-सम्पन्न भी होते हैं, ४. कुछ वृषभ न कुल-सम्पन्न ही होते हैं और न रूप-सम्पन्न ही
होते हैं। इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ पुरुष कुल-सम्पन्न होते हैं, किन्तु रूप-सम्पन्न नहीं होते, २. कुछ पुरुष रूप-सम्पन्न होते हैं, किन्तु कुल-सम्पन्न नहीं होते, ३. कुछ पुरुष कुल-सम्पन्न भी होते हैं और रूप-सम्पन्न भी होते हैं, ४. कुछ पुरुष न कुल-सम्पन्न ही होते हैं और न रूप-सम्पन्न ही
होते हैं। (७) वृषभ चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ वृषभ बल-सम्पन्न होते हैं, किन्तु रूप-सम्पन्न नहीं होते, २. कुछ वृषभ रूप-सम्पन्न होते हैं, किन्तु बल-सम्पन्न नहीं होते, ३. कुछ वृषभ बल-सम्पन्न भी होते हैं और रूप-सम्पन्न भी होते हैं, ४. कुछ वृषभ न बल-सम्पन्न ही होते हैं और न रूप-सम्पन्न ही
होते हैं।
(६) चत्तारि उसभा पण्णत्ता, तं जहा१. कुलसंपन्ने णाममेगे, नो रूवसंपन्ने, २. रूवसंपन्ने णाममेगे, नो कुलसंपन्ने, ३. एगे कुलसंपन्ने वि, रूवसंपन्ने वि, ४. एगे नो कुलसंपन्ने, नो रूवसंपन्ने।
एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता,तं जहा१. कुलसंपन्ने णाममेगे, नो स्वसंपन्ने, २. स्वसंपन्ने णाममेगे, नो कुलसंपन्ने, ३. एगे कुलसंपन्ने वि, रूवसंपन्ने वि, ४. एगेनो कुलसंपन्ने, नो रूवसंपन्ने।
(७) चत्तारि उसभा पण्णत्ता,तं जहा१. बलसंपन्ने णाममेगे, नो रूवसंपन्ने, २. स्वसंपन्ने णाममेगे, नो बलसंपन्ने, ३. एगे बलसंपन्ने वि, रूवसंपन्ने वि, ४. एगे नो बलसंपन्ने, नो रूवसंपन्ने।