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मनुष्य गति अध्ययन
(५) चत्तारि पकंथगा पण्णत्ता,तंजहा१. कुलसंपण्णे णाममेगे, णो बलसंपण्णे, २. बलसंपण्णे णाममेगे,णो कुलसंपण्णे, ३. एगे कुलसंपण्णे वि, बलसंपण्णे वि, ४. एगे णो कुलसंपण्णे, णो बलसंपण्णे। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता,तं जहा१. कुलसंपण्णे णाममेगे, णो बलसंपण्णे, २. बलसंपण्णे णाममेगे,णो कुलसंपण्णे, ३. एगे कुलसंपण्णे वि, बलसंपण्णे वि, ४. एगे णो कुलसंपण्णे, णो बलसंपण्णे। (६) चत्तारि पकंथगा पण्णत्ता,तं जहा१. कुलसंपण्णे णाममेगे,णो रूवसंपण्णे, २. रूवसंपण्णे णाममेगे, णो कुलसंपण्णे, ३. एगे कुलसंपण्णे वि, रूवसंपण्णे वि, ४. एगे णो कुलसंपण्णे,णो रूवसंपण्णे। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता,तं जहा१. कुलसंपण्णे णाममेगे,णो रूवसंपण्णे, २. रूवसंपण्णे णाममेगे, णो कुलसंपण्णे, ३. एगे कुलसंपण्णे वि, रूवसंपण्णे वि, ४. एगेणो कुलसंपण्णे, णो रूवसंपण्णे। (७) चत्तारि पकंथगा पण्णत्ता,तं जहा१. कुलसंपण्णे णाममेगे, णो जयसंपण्णे, २. जयसंपण्णे णाममेगे,णो कुलसंपण्णे, ३. एगे कुलसंपण्णे वि,जयसंपण्णे वि, ४. एगे णो कुलसंपण्णे, णो जयसंपण्णे। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता,तं जहा१. कुलसंपण्णे णाममेगे,णो जयसंपण्णे, २. जयसंपण्णे णाममेगे,णो कुलसंपण्णे, ३. एगे कुलसंपण्णे वि,जयसंपण्णे वि, ४. एगे णो कुलसंपण्णे,णो जयसंपण्णे। (८) चत्तारि पकंथगा पण्णत्ता,तं जहा१. बलसंपण्णे णाममेगे,णो रूवसंपण्णे, २. रूवसंपण्णे णाममेगे, णो बलसंपण्णे, ३. एगे बलसंपण्णे वि, रूवसंपण्णे वि, ४. एगे णो बलसंपण्णे,णो रूवसंपण्णे। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता,तं जहा१. बलसंपण्णे णाममेगे,णो रूवसंपण्णे, २. रूवसंपण्णे णाममेगे, णो बलसंपण्णे, ३. एगे बलसंपण्णे वि, रूवसंपण्णे वि, ४. एगे णो बलसंपण्णे, णो रूवसंपण्णे। (९) चत्तारि पकंथगा पण्णत्ता,तं जहा१. बलसंपण्णे णाममेगे,णो जयसंपण्णे, २. जयसंपण्णे णाममेगे,णो बलसंपण्णे,
१३५३ (५) घोड़े चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ घोड़े कुल-सम्पन्न होते हैं, बल-सम्पन्न नहीं होते हैं, २. कुछ घोड़े बल-सम्पन्न होते हैं, कुल-सम्पन्न नहीं होते हैं, ३. कुछ घोड़े कुल-सम्पन्न भी होते हैं और बल-सम्पन्न भी होते हैं, ४. कुछ घोड़े न कुल-सम्पन्न होते हैं और न बल-सम्पन्न होते हैं। इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ पुरुष कुल-सम्पन्न होते हैं, बल-सम्पन्न नहीं होते हैं, २. कुछ पुरुष बल-सम्पन्न होते हैं, कुल-सम्पन्न नहीं होते हैं, ३. कुछ पुरुष कुल-सम्पन्न भी होते हैं और बल-सम्पन्न भी होते हैं, ४. कुछ पुरुष न कुल-सम्पन्न होते हैं और न बल-सम्पन्न होते हैं। (६) घोड़े चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ घोड़े कुल-सम्पन्न होते हैं, रूप-सम्पन्न नहीं होते हैं, २. कुछ घोड़े रूप-सम्पन्न होते हैं, कुल-सम्पन्न नहीं होते हैं, ३. कुछ घोड़े कुल-सम्पन्न भी होते हैं और रूप-सम्पन्न भी होते हैं, ४. कुछ घोड़े न कुल-सम्पन्न होते हैं और न रूप-सम्पन्न होते हैं। इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ पुरुष कुल-सम्पन्न होते हैं, रूप-सम्पन्न नहीं होते हैं, २. कुछ पुरुष रूप-संम्पन्न होते हैं, कुल-सम्पन्न नहीं होते हैं, ३. कुछ पुरुष कुल-सम्पन्न भी होते हैं और रूप-सम्पन्न भी होते हैं, ४. कुछ पुरुष न कुल-सम्पन्न होते हैं और न रूप-सम्पन्न होते हैं। (७) घोड़े चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ घोड़े कुल-सम्पन्न होते हैं, जय-सम्पन्न नहीं होते हैं, २. कुछ घोड़े जय-सम्पन्न होते हैं, कुल-सम्पन्न नहीं होते हैं, ३. कुछ घोड़े कुल-सम्पन्न भी होते हैं और जय-सम्पन्न भी होते हैं, ४. कुछ घोड़े न कुल-सम्पन्न होते हैं और न जय-सम्पन्न होते हैं। इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ पुरुष कुल-सम्पन्न होते हैं, जय-सम्पन्न नहीं होते हैं, २. कुछ पुरुष जय-सम्पन्न होते हैं, कुल-सम्पन्न नहीं होते हैं, ३. कुछ पुरुष कुल-सम्पन्न भी होते हैं और जय-सम्पन्न भी होते हैं, ४. कुछ पुरुष न कुल-सम्पन्न होते हैं और न जय-सम्पन्न होते हैं। (८) घोड़े चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ घोड़े बल-सम्पन्न होते हैं, रूप-सम्पन्न नहीं होते हैं, २. कुछ घोड़े रूप-सम्पन्न होते हैं, बल-सम्पन्न नहीं होते हैं, ३. कुछ घोड़े बल-सम्पन्न भी होते हैं और रूप-सम्पन्न भी होते हैं, ४. कुछ घोड़े न बल-सम्पन्न होते हैं और न रूप-सम्पन्न होते हैं। इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ पुरुष बल-सम्पन्न होते हैं, रूप-सम्पन्न नहीं होते हैं, २. कुछ पुरुष रूप-सम्पन्न होते हैं, बल-सम्पन्न नहीं होते हैं, ३. कुछ पुरुष बल-सम्पन्न भी होते हैं और रूप-सम्पन्न भी होते हैं, ४. कुछ पुरुष न बल-सम्पन्न होते हैं और न रूप-सम्पन्न होते हैं। (९) घोड़े चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ घोड़े बल-सम्पन्न होते हैं, जय-सम्पन्न नहीं होते हैं, २. कुछ घोड़े जय-सम्पन्न होते हैं, बल-सम्पन्न नहीं होते हैं,