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२. खेमे णाममेगे अखेमे, ३. अखेमे णाममेगे खेमे, ४. अखेमे णाममेगे अखेमे।
(३) चत्तारि मग्गा पण्णत्ता, तं जहा१. खेमे णाममेगे खेमरूवे, २. खेमे णाममेगे अखेमरूवे, ३. अखेमे णाममेगे खेमरूवे, ४. अखेमे णाममेगे अखेमरूवे। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता,तं जहा१. खेमे णाममेगे खेमरूवे, २. खेमे णाममेगे अखेमरूवे, ३. अखेमे णाममेगे खेमरूवे,
४. अखेमे णाममेगे अखेमरूवे। -ठाणं.अ.४, सु. २, सु.२८९ ६६. जाण दिद्रुतेण पुरिसाणं जुत्ताजुत्ताणं चउभंग परूवणं
(१) चत्तारि जाणा पण्णत्ता,तं जहा१. जुत्ते णाममेगे जुत्ते,
२. जुत्ते णाममेगे अजुत्ते, ३. अजुत्ते णाममेगे जुत्ते, ४. अजुत्ते णाममेगे अजुत्ते। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता,तं जहा१. जुत्ते णाममेगे जुत्ते,
द्रव्यानुयोग-(२) २. कुछ पुरुष प्रांरभ में क्षेम होते हैं, किन्तु अन्त में अक्षेम होते हैं, ३. कुछ पुरुष प्रारंभ में अक्षेम होते हैं, किन्तु अन्त में क्षेम होते हैं, ४. कुछ पुरुष न प्रारंभ में क्षेम होते हैं और न अन्त में क्षेम
होते हैं। (३) मार्ग चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ मार्ग क्षेम होते हैं और क्षेम रूप वाले होते हैं, २. कुछ मार्ग क्षेम होते हैं और अक्षेम रूप वाले होते हैं, ३. कुछ मार्ग अक्षेम होते हैं और क्षेम रूप वाले होते हैं, ४. कुछ मार्ग अक्षेम होते हैं और अक्षेम रूप वाले होते हैं। इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ पुरुष क्षेम होते हैं और क्षेम रूप वाले होते हैं, २. कुछ पुरुष क्षेम होते हैं और अक्षेम रूप वाले होते हैं, ३. कुछ पुरुष अक्षेम होते हैं और क्षेम रूप वाले होते हैं,
४. कुछ पुरुष अक्षेम होते हैं और अक्षेम रूप वाले होते हैं। ६६. यान के दृष्टांत द्वारा पुरुषों के युक्तायुक्त चतुर्भगों का
प्ररूपण(१) यान चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ यान युक्त होकर और युक्त रूप वाले होते हैं, (यंत्र से जुड़े
और वस्त्राभरणों से युक्त होते हैं,) २. कुछ यान युक्त होकर अयुक्त रूप वाले होते हैं, ३. कुछ यान अयुक्त प्रकार होकर युक्त रूप वाले होते हैं, ४. कुछ यान अयुक्त होकर अयुक्त रूप वाले ही होते हैं। इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ पुरुष युक्त होकर और युक्त रूप वाले होते हैं, (गुणसंपन्न
और रूप संपन्न होते हैं) २. कुछ पुरुष युक्त होकर अयुक्त रूप वाले होते हैं, ३. कुछ पुरुष अयुक्त होकर युक्त रूप वाले होते हैं, ४. कुछ पुरुष अयुक्त होकर अयुक्त रूप वाले ही होते हैं। (२) यान चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ यान युक्त होकर युक्तपरिणत होते हैं (सामग्री से युक्त हैं
और यंत्रादि से जुड़े हुए हैं) २. कुछ यान युक्त होकर अयुक्त परिणत होते हैं, ३. कुछ यान अयुक्त होकर युक्त परिणत होते हैं, ४. कुछ यान अयुक्त होकर अयुक्त परिणत होते हैं। इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के कहे गए हैं,यथा१. कुछ पुरुष युक्त होकर और युक्तपरिणत होते हैं (ध्यान आदि ____ से समृद्ध होकर उन भावों में परिणत होते हैं), २. कुछ पुरुष युक्त होकर अयुक्त परिणत होते हैं, ३. कुछ पुरुष अयुक्त होकर युक्त परिणत होते हैं, ४. कुछ पुरुष अयुक्त होकर अयुक्त परिणत होते हैं। (३) यान चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ यान युक्त होकर युक्त रूप वाले होते हैं (यंत्र आदि से जुड़े
हुए होकर वस्त्राभरणों से सुशोभित होते हैं)
२. जुत्ते णाममेगे अजुत्ते, ३. अजुत्ते णाममेगे जुत्ते, ४. अजुत्ते णाममेगे अजुत्ते। (२) चत्तारि जाणा पण्णत्ता,तं जहा१. जुत्ते णाममेगे जुत्तपरिणए,
२. जुत्ते णाममेगे अजुत्तपरिणए, ३. अजुत्ते णाममेगे जुत्तपरिणए, ४. अजुत्ते णाममेगे अजुत्तपरिणए। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता,तं जहा१. जुत्ते णाममेगे जुत्तपरिणए,
२. जुत्ते णाममेगे अजुत्तपरिणए, ३. अजुत्ते णाममेगे जुत्तपरिणए, ४. अजुत्ते णाममेगे अजुत्तपरिणए। (३) चत्तारि जाणा पण्णत्ता,तं जहा१. जुत्ते णाममेगे जुतेरूवे,