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(६) तओ पुरिसजाया पण्णत्ता,तं जहा१. ण एस्सामीतेगे सुमणे भवइ, २. ण एस्सामीतेगे दुम्मणे भवइ, ३. ण एस्सामीतेगेणोसुमणे-णोदुम्मणे भवइ।
-ठाण.अ.३, उ.२, सु.१६८(८-१३) ४. चिट्ठण विवक्खया पुरिसाणं सुमणस्साइ तिविहत्त परूवणं-
(१) तओ पुरिसजाया पण्णत्ता,तं जहा१. चिट्ठित्ता णामेगे सुमणे भवइ, २. चिट्ठित्ता णामेगे दुम्मणे भवइ, ३. चिट्ठित्ता णामेगे णोसुमणे-णोदुम्मणे भवइ।
(२) तओ पुरिसजाया पण्णत्ता,तं जहा१. चिट्ठामीतेगे सुमणे भवइ, २. चिट्ठामीतेगे दुम्मणे भवइ, ३. चिट्ठामीतेगे णोसुमणे-णोदुम्मणे भवइ।
(३) तओ पुरिसजाया पण्णत्ता,तं जहा१. चिट्ठिस्सामीतेगे सुमणे भवइ, २. चिट्ठिस्सामीतेगे दुम्मणे भवइ, ३. चिट्ठिस्सामीतेगे णोसुमणे-णोदुम्मणे भवइ।
द्रव्यानुयोग-(२) (६) पुरुष तीन प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ पुरुष न आऊँगा इसलिए सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष न आऊँगा इसलिए दुर्मनस्क होते हैं, .३. कुछ पुरुष न आऊँगा इसलिए न सुमनस्क होते हैं और न
दुर्मनस्क होते हैं। ४. ठहरने की विवक्षा से पुरुषों के सुमनस्कादि त्रिविधत्व का
प्ररूपण(१) पुरुष तीन प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ पुरुष ठहरने के बाद सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष ठहरने के बाद दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ पुरुष ठहरने के बाद न सुमनस्क होते हैं और न दुर्मनस्क
होते हैं। (२) पुरुष तीन प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ पुरुष ठहरता हूं इसलिए सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष ठहरता हूँ इसलिए दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ पुरुष ठहरता हूँ इसलिए न सुमनस्क होते हैं और न
दुर्मनस्क होते हैं। (३) पुरुष तीन प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ पुरुष ठहरूँगा इसलिए सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष ठहरूँगा इसलिए दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ पुरुष ठहरूँगा इसलिए न सुमनस्क होते हैं और न
दुर्मनस्क होते हैं। (४) पुरुष तीन प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ पुरुष न ठहरने पर सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष न ठहरने पर दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ पुरुष न ठहरने पर न सुमनस्क होते हैं और न दुर्मनस्क
होते हैं। (५) पुरुष तीन प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ पुरुष न ठहरता हूँ इसलिए सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष न ठहरता हूँ इसलिए दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ पुरुष न ठहरता हूँ इसलिए न सुमनस्क होते हैं और न
दुर्मनस्क होते हैं। (६) पुरुष तीन प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ पुरुष न ठहरूँगा इसलिए सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष न ठहरूँगा इसलिए दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ पुरुष न ठहरूँगा इसलिए न सुमनस्क होते हैं और न
दुर्मनस्क होते हैं। ५. बैठने की विवक्षा से पुरुषों के सुमनस्कादि त्रिविधत्व का
प्ररूपण(१) पुरुष तीन प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ पुरुष बैठने के बाद सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष बैठने के बाद दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ पुरुष बैठने के बाद न सुमनस्क होते हैं और न दुर्मनस्क
होते हैं।
(४) तओ पुरिसजाया पण्णत्ता,तं जहा१. अचिट्ठित्ता णामेगे सुमणे भवइ, २. अचिट्ठित्ता णामेगे दुम्मणे भवइ, ३. अचिट्ठित्ता णामेगे णोसुमणे-णोदुम्मणे भवइ।
(५) तओ पुरिसजाया पण्णत्ता,तं जहा१. ण चिट्ठामीतेगे सुमणे भवइ, २. ण चिट्ठामीतेगे दुम्मणे भवइ, ३. ण चिट्ठामीतेगे णोसुमणे-णोदुम्मणे भवइ।
(६) तओ पुरिसजाया पण्णत्ता,तं जहा१. ण चिट्ठिस्सामीतेगे सुमणे भवइ, २. ण चिट्ठिस्सामीतेगे दुम्मणे भवइ, ३. ण चिट्ठिस्सामीतेगे णोसुमणे-णोदुम्मणे भवइ।
-ठाणं. अ.३, उ.२, सु.१६८(१४-१८) ५. णिसीयण विवक्खया पुरिसाणं सुमणस्साइ तिविहत्त परूवण-
(१) तओ पुरिसजाया पण्णत्ता,तं जहा१. णिसिइत्ता णामेगे सुमणे भवइ, २. णिसिइत्ता णामेगे दुम्मणे भवइ, ३. णिसिइत्ता णामेगेणोसुमणे-णोदुम्मणे भवइ।