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मनुष्य गति अध्ययन (६) तओ पुरिसजाया पण्णत्ता,तं जहा१. ण छिंदिस्सामीतेगे सुमणे भवइ, २. ण छिंदिस्सामीतेगे दुम्मणे भवइ, ३. ण छिंदिस्सामीतेगे णोसुमणे-णोदुम्मणे भवइ।
-ठाणं. अ.३, उ. २, सु. १६८(३२-३७) ८. वयण विवक्खया पुरिसाणं सुमणस्साइ-तिविहत्त परूवणं
(१) तओ पुरिसजाया पण्णत्ता,तं जहा१. बूइत्ता णामेगे सुमणे भवइ, २. बूइत्ताणामेगे दुम्मणे भवइ, ३. बूइत्ता णामेगे णोसुमणे-णोदुम्मणे भवइ।
(६) पुरुष तीन प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ पुरुष छेदन नहीं करूँगा इसलिए सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष छेदन नहीं करूँगा इसलिए दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ पुरुष छेदन नहीं करूँगा इसलिए न सुमनस्क होते हैं और
न दुर्मनस्क होते हैं। ८. बोलने की विवक्षा से पुरुषों के सुमनस्कादि त्रिविधत्व का
प्ररूपण(१) पुरुष तीन प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ पुरुष बोलने के बाद सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष बोलने के बाद दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ पुरुष बोलने के बाद न सुमनस्क होते हैं और न दुर्मनस्क
होते हैं। (२) पुरुष तीन प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ पुरुष बोलता हूँ इसलिए सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष बोलता हूँ इसलिए दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ पुरुष बोलता हूँ इसलिए न सुमनस्क होते हैं और न
दुर्मनस्क होते हैं। (३) पुरुष तीन प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ पुरुष बोलूँगा इसलिए सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष बोलूँगा इसलिए दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ पुरुष बोलूँगा इसलिए न सुमनस्क होते हैं और न दुर्मनस्क
(२) तओ पुरिसजाया पण्णत्ता,तं जहा१. बेमीतेगे सुमणे भवइ, २. बेमीतेगे दुम्मणे भवइ, ३. बेमीतेगे णोसुमणे-णोदुम्मणे भवइ।
(३) तओ पुरिसजाया पण्णत्ता,तं जहा१. बोच्छामीतेगे सुमणे भवइ, २. बोच्छामीतेगे दुम्मणे भवइ, ३. बोच्छामीतेगे णोसुमणे-णोदुम्मणे भवइ।
होते हैं।
(४) तओ पुरिसजाया पण्णत्ता,तं जहा१. अबूइत्ता णामेगे सुमणे भवइ, २. अबूइत्ता णामेगे दुम्मणे भवइ, ३. अबूइत्ता णामेगे णोसुमणे-णोदुम्मणे भवइ।
(५) तओ पुरिसजाया पण्णत्ता,तं जहा१. ण बेमीतेगे सुमणे भवइ, २. ण बेमीतेगे दुम्मणे भवइ, ३. ण बेमीतेगे णोसुमणे-णोदुम्मणे भवइ।
(६) तओ पुरिसजाया पण्णत्ता,तं जहा१. ण बोच्छामीतेगे सुमणे भवइ, २. ण बोच्छामीतेगे दुम्मणे भवइ, ३. ण बोच्छामीतेगे णोसुमणे-णोदुम्मणे भवइ।
-ठाणं. अ. ३, उ. २, सु. १६८(३८-४३) ९. भासण विवक्खया पुरिसाणं सुमणस्साइ तिविहत्त परूवणं
(४) पुरुष तीन प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ पुरुष न बोलने पर सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष न बोलने पर दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ पुरुष न बोलने पर न सुमनस्क होते हैं और न दुर्मनस्क
होते हैं। (५) पुरुष तीन प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ पुरुष बोलता नहीं हूँ इसलिए सुमनस्क होते है, २. कुछ पुरुष बोलता नहीं हूँ इसलिए दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ पुरुष बोलता नहीं हूँ इसलिए न सुमनस्क होते हैं और न
दुर्मनस्क होते है। (६) पुरुष तीन प्रकार के कहे गए है, यथा१. कुछ पुरुष नहीं बोलूँगा इसलिए सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष नहीं बोलूँगा इसलिए दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ पुरुष नहीं बोलूँगा इसलिए न सुमनस्क होते हैं और न
दुर्मनस्क होते हैं। ९. भाषण की विवक्षा से पुरुषों के सुमनस्कादि त्रिविधत्व का
प्ररूपण(१) पुरुष तीन प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ पुरुष संभाषण करने के बाद सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष संभाषण करने के बाद दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ पुरुष संभाषण करने के बाद न सुमनस्क होते हैं और न
दुर्मनस्क होते हैं।
(१) तओ पुरिसजाया पण्णत्ता,तं जहा१. भासित्ता णामेगे सुमणे भवइ, २. भासित्ता णामेगे दुम्मणे भवइ, ३. भासित्ता णामेगे णोसुमणे-णोदुम्मणे भवइ।