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(५) तओ पुरिसजाया पण्णत्ता,तंजहा१. फासंण फासेमीतेगे सुमणे भवइ, २. फासंण फासेमीतेगे दुम्मणे भवइ, ३. फासंण फासेमीतेगे णोसुमणे-णोदुम्मणे भवइ।
(६) तओ पुरिसजाया पण्णत्ता,तं जहा१. फासंण फासिस्सामीतेगे सुमणे भवइ, २. फासंण फासिस्सामीतेगे दुम्मणे भवइ, ३. फासण फासिस्सामीतेगे णोसुमणे-णोदुम्मणे भवइ।
-ठाणं. अ. ३, उ. २, सु. १६८ (१२२-१२७) २३. सुद्ध-असुद्ध मण संकप्पाइ विवक्खया पुरिसाणं चउभंग
पलवणं(१) चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता,तं जहा१. सुद्धे णाममेगे सुद्धमणे, २. सुद्धे णाममेगे असुद्धमणे,
द्रव्यानुयोग-(२) (५) पुरुष तीन प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ पुरुष स्पर्श नहीं करता हूँ इसलिए सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष स्पर्श नहीं करता हूँ इसलिए दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ पुरुष स्पर्श नहीं करता हूँ इसलिए न सुमनस्क होते हैं
और न दुर्मनस्क होते हैं। (६) पुरुष तीन प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ पुरुष स्पर्श नहीं करूँगा इसलिए सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष स्पर्श नहीं करूँगा इसलिए दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ पुरुष स्पर्श नहीं करूँगा इसलिए न सुमनस्क होते हैं और
न दुर्मनस्क होते हैं। २३. शुद्ध-अशुद्ध मन संकल्पादि की विवक्षा से पुरुषों के चतुर्भगों
का प्ररूपण(१) पुरुष चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ पुरुष जाति से शुद्ध होते हैं और शुद्ध मन वाले होते हैं, २. कुछ पुरुष जाति से शुद्ध होते हैं किन्तु अशुद्ध मन वाले
होते हैं, ३. कुछ पुरुष जाति से अशुद्ध होते हैं किन्तु शुद्ध मन वाले
होते हैं, ४. कुछ पुरुष जाति से अशुद्ध होते हैं और अशुद्ध मन वाले
होते हैं। (२) पुरुष चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ पुरुष जाति से शुद्ध होते हैं और शुद्ध संकल्प वाले
होते हैं, २. कुछ पुरुष जाति से शुद्ध होते हैं किन्तु अशुद्ध संकल्प वाले
३. असुद्धे णाममेगे सुद्धमणे,
४. असुद्धे णाममेगे असुद्धमणे। (२) चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता,तं जहा१. सुद्धे णाममेगे सुद्धसंकप्पे,
२. सुद्धे णाममेगे असुद्धसंकप्पे,
३. असुद्धे णाममेगे सुद्धसंकप्पे,
४. असुद्धे णाममेगे असुद्धसंकप्पे।
३. कुछ पुरुष जाति से अशुद्ध होते हैं किन्तु शुद्ध संकल्प वाले
होते हैं, ४. कुछ पुरुष जाति से अशुद्ध होते हैं और अशुद्ध संकल्प वाले
होते हैं। (३) पुरुष चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ पुरुष जाति से शुद्ध होते हैं और शुद्ध प्रज्ञा वाले होते हैं, २. कुछ पुरुष जाति से शुद्ध होते हैं किन्तु अशुद्ध प्रज्ञा वाले
(३) चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता,तं जहा१. सुद्धे णाममेगे सुद्धपण्णे, २. सुद्धे णाममेगे असुद्धपण्णे,
होते हैं,
३. असुद्धे णाममेगे सुद्धपण्णे,
४. असुद्धे णाममेगे असुद्धपण्णे।
(४) चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता,तंजहा१. सुद्धे णाममेगे सुद्धदिट्ठी, २. सुद्धे णाममेगे असुद्धदिट्ठी,
३. कुछ पुरुष जाति से अशुद्ध होते हैं किन्तु शुद्ध प्रज्ञा वाले
होते हैं, ४. कुछ पुरुष जाति से अशुद्ध होते हैं और अशुद्ध प्रज्ञा वाले
होते हैं। (४) पुरुष चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ पुरुष जाति से शुद्ध होते हैं और शुद्ध दृष्टि वाले होते हैं, २. कुछ पुरुष जाति से शुद्ध होते हैं किन्तु अशुद्ध दृष्टि वाले
होते हैं, ३. कुछ पुरुष जाति से अशुद्ध होते हैं किन्तु शुद्ध दृष्टि वाले
होते हैं, ४. कुछ पुरुष जाति से अशुद्ध होते हैं और अशुद्ध दृष्टि वाले
होते हैं।
३. असुद्धे णाममेगे सुद्धदिट्ठी,
४. असुद्धे णाममेगे असुद्धदिट्ठी।