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मनुष्य
गति अध्ययन
(६) चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा 5. जातिसंपण्णे णाममेगे, णो चरित्तसंपण्णे, २. चरित्तसंपण्णे णाममेगे, णो जातिसंपण्णे, ३. एगे जातिसंपण्णे वि, चरितसंपण्णे वि.
४. एगे णो जातिसंपणे, णो चरित्तसंपण्णे । (७) चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा१. कुलसंपण्णे णाममेगे, णो बलसंपण्णे, २. बलसंपण्णे णाममेगे, णो कुलसंपण्णे, ३. एगे कुलसंपणे वि, बलसंपण्णे वि, ४. एगे णो कुलसंपण्णे, णो बलसंपण्णे । (८) चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा१. कुलसंपण्णे णाममेगे, णो रूवसंपण्णे, २. रूवसंपण्णे णाममेगे, णो कुलसंपण्णे, ३. एगे कुलसंपण्णे वि, रूपसंपणे वि. ४. एगे णो कुलसंपण्णे, णो रूवसंपण्णे । (९) चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा १. कुलसंपण्णे णाममेगे, णो सुयसंपण्णे, २. सुयसंपणे णाममेगे, णो कुलसंपण्णे, ३. एगे कुलसंपण्णे वि, सुयसंपण्णे वि, ४. एगे णो कुलसंपण्णे, णो सुयसंपण्णे । (१०) चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा
१. कुलसंपण्णे णाममेगे, णो सीलसंपण्णे, २. सीलसंपण्णे णाममेगे, णो कुलसंपण्णे, ३. एगे कुलसंपण्णे वि, सीलसंपण्णे वि, ४. एगे णो कुलसंपण्णे, णो सीलसंपण्णे । (११) चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा
१. कुलसंपण्णे णाममेगे, णो चरित्तसंपण्णे, २. घरित्तसंपण्णे णाममेगे, णो कुलसंपण्णे, ३. एगे कुलसंपण्णे वि, चरित्तसंपण्णे वि,
४. एगे णो कुलसंपण्णे, णो चरित्तसंपण्णे। (१२) चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा
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१. बलसंपण्णे णाममेगे णौ रूपसंपणे, २. रूवसंपण्णे णाममेगे, णो बलसंपणे, ३. एगे बलसंपण्णे वि, रूवसंपणे वि ४. एगे णो बलसंपणे णो रूवसंपण्णे । (१३) चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा१. बलसंपण्णे णाममेगे, णो सुयसंपण्णे, २. सुयसंपण्णे णाममेगे, णो बलसंपण्णे, ३. एगे बलसंपण्णे वि, सुयसंपणे वि, ४. एगे णो बलसंपण्णे, णो सुयसंपणे
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(६) पुरुष चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा
१. कुछ पुरुष जाति सम्पन्न होते हैं, चारित्र सम्पन्न नहीं होते हैं,
२. कुछ पुरुष चारित्र सम्पन्न होते हैं, जाति-सम्पन्न नहीं होते हैं,
३. कुछ पुरुष जाति सम्पन्न भी होते हैं और चारित्र - सम्पन्न भी होते हैं,
४. कुछ पुरुष न जाति सम्पन्न होते हैं और न चारित्र - सम्पन्न होते हैं। (७) पुरुष चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा
१. कुछ पुरुष कुल सम्पन्न होते हैं, बल-सम्पन्न नहीं होते हैं,
२. कुछ पुरुष बल - सम्पन्न होते हैं, कुल सम्पन्न नहीं होते हैं,
३. कुछ पुरुष कुल सम्पन्न भी होते हैं और बल-सम्पन्न भी होते हैं, ४. कुछ पुरुष न कुल सम्पन्न होते हैं और न बल-सम्पन्न होते हैं। (८) पुरुष चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा
१. कुछ पुरुष कुल सम्पन्न होते हैं, रूप-सम्पन्न नहीं होते हैं,
२. कुछ पुरुष रूप- सम्पन्न होते हैं, कुल सम्पन्न नहीं होते हैं,
३. कुछ पुरुष कुल सम्पन्न भी होते हैं और रूप-सम्पन्न भी होते हैं,
४. कुछ पुरुष न कुल सम्पन्न होते हैं और न रूप-सम्पन्न होते हैं। (९) पुरुष चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा
१. कुछ पुरुष कुल सम्पन्न होते हैं, श्रुत-सम्पन्न नहीं होते हैं, २. कुछ पुरुष श्रुत-सम्पन्न होते हैं, कुल सम्पन्न नहीं होते हैं, ३. कुछ पुरुष कुल सम्पन्न भी होते हैं और श्रुत-सम्पन्न भी होते हैं, ४. कुछ पुरुष न कुल सम्पन्न होते हैं और न श्रुत-सम्पन्न होते हैं। (१०) पुरुष चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा
१. कुछ पुरुष कुल सम्पन्न होते हैं, शील-सम्पन्न नहीं होते हैं, २. कुछ पुरुष शील-सम्पन्न होते हैं, कुल सम्पन्न नहीं होते हैं, ३. कुछ पुरुष कुल सम्पन्न भी होते हैं और शील-सम्पन्न भी होते हैं. ४. कुछ पुरुष न कुल सम्पन्न होते हैं और न शील-सम्पन्न होते हैं। (११) पुरुष चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा
१. कुछ पुरुष कुल सम्पन्न होते हैं, चारित्र सम्पन्न नहीं होते हैं, २. कुछ पुरुष चारित्र - सम्पन्न होते हैं, कुल सम्पन्न नहीं होते हैं,
३. कुछ पुरुष कुल सम्पन्न भी होते हैं और चारित्र - सम्पन्न भी होते हैं.
४. कुछ पुरुष न कुल-सम्पन्न होते हैं और न चारित्र सम्पन्न होते हैं। (१२) पुरुष चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा
१. कुछ पुरुष बल - सम्पन्न होते हैं, रूप-सम्पन्न नहीं होते हैं, २. कुछ पुरुष रूप- सम्पन्न होते हैं, बल-सम्पन्न नहीं होते हैं,
३. कुछ पुरुष बल सम्पन्न भी होते हैं और रूप- सम्पन्न भी होते हैं, ४. कुछ पुरुष न बल-सम्पन्न होते हैं और न रूप-सम्पन्न होते हैं। (१३) पुरुष चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा
१. कुछ पुरुष बल-सम्पन्न होते हैं, श्रुत-सम्पन्न नहीं होते हैं,
२. कुछ पुरुष श्रुत-सम्पन्न होते हैं, बल-सम्पन्न नहीं होते हैं,
३. कुछ पुरुष बल-सम्पन्न भी होते हैं और श्रुत-सम्पन्न भी होते हैं,
४. कुछ पुरुष न बल-सम्पन्न होते हैं और न श्रुत-सम्पन्न होते हैं।