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( मनुष्य गति अध्ययन
(२१) चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता,तं जहा
१. सीलसंपण्णे णाममेगे,णो चरित्तसंपण्णे,
२. चरित्तसंपण्णे णाममेगे, णो सीलसंपण्णे, ३. एगे सीलसंपण्णे वि, चरित्तसंपण्णे वि,
४. एगे णो सीलसंपण्णे,णो चरित्तसंपण्णे।
-ठाणं अ.४, उ.३, सु.३१९ ३८. णिक्कट्ठ-अणिक्कट्ठ भेएण पुरिसाणं चउभंग परूवणं(१) चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता,तं जहा१. णिक्कठे णाममेगे णिक्कठे,
२. णिक्कठे णाममेगे अणिक्कठे,
३. अणिक्कठे णाममेगे णिक्कठे,
- १३२९) (२१) पुरुष चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ पुरुष शील-सम्पन्न होते हैं और चारित्र-सम्पन्न नहीं
होते हैं, २. कुछ पुरुष चारित्र-सम्पन्न होते हैं, शील-सम्पन्न नहीं होते हैं, ३. कुछ पुरुष शील-सम्पन्न भी होते हैं और चात्रि-सम्पन्न भी
होते हैं, ४. कुछ पुरुष न शील-सम्पन्न होते हैं और न चारित्र-सम्पन्न
होते हैं। ३८.निष्कृष्ट अनिष्कृष्ट के भेद से पुरुषों के चतुभंगों का प्ररूपण(१) पुरुष चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ पुरुष शरीर से भी निष्कृष्ट (क्षीण) होते हैं और कषाय
से भी निष्कृष्ट (क्षीण) होते हैं, २. कुछ पुरुष शरीर से निष्कृष्ट होते है किन्तु कषाय से
अनिष्कृष्ट होते हैं, ३. कुछ पुरुष शरीर से अनिष्कृष्ट होते हैं किन्तु कषाय से
निष्कृष्ट होते हैं, ४. कुछ पुरुष शरीर से भी अनिष्कृष्ट होते हैं और कषाय से भी ___अनिष्कृष्ट होते हैं। (२) पुरुष चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ पुरुष शरीर से भी निष्कृष्ट होते हैं और उनकी आत्मा
भी निष्कृष्ट होती है, २. कुछ पुरुष शरीर से निष्कृष्ट होते हैं, परन्तु उनकी आत्मा
निष्कृष्ट नहीं होती है, ३. कुछ पुरुष शरीर से अनिष्कृष्ट होते हैं,परन्तु उनकी आत्मा
निष्कृष्ट होती है, ४. कुछ पुरुष शरीर से भी अनिष्कृष्ट होते हैं और आत्मा से भी
अनिष्कृष्ट होते हैं। ३९. दीन-अदीन परिणति आदि की विवक्षा से पुरुषों के
चतुभंगों का प्ररूपण(१) पुरुष चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ पुरुष बाहर से भी दीन होते हैं और अन्दर से भी दीन
४. अणिक्कठे णाममेगे अणिक्कठे।
(२) चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता,तं जहा१. णिक्कठे णाममेगे णिक्कट्ठप्पा,
२. णिक्कठे णाममेगे अणिक्कट्ठप्पा,
३. अणिक्कठे णाममेगे णिक्कट्ठप्पा,
४. अणिक्कठे णाममेगे अणिक्कट्ठप्पा।
-ठाणं अ.४, उ.४,सु.३५२ ३९. दीण-अदीण परिणयाइ विवक्खया पुरिसाणं चउभंग
परूवणं(१) चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता,तं जहा१. दीणे णाममेगे दीणे,
होते हैं,
२. दीणे णाममेगे अदीणे, ३. अदीणे णाममेगे दीणे, ४. अदीणे णाममेगे अदीणे।
(२) चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता,तं जहा१. दीणे णाममेगे दीणपरिणए, २. दीणे णाममेगे अदीणपरिणए, ३. अदीणे णाममेगे दीणपरिणए, ४. अदीणे णाममेगे अदीणपरिणए।
२. कुछ पुरुष बाहर से दीन होते हैं किन्तु अन्दर से अदीन होते हैं, ३. कुछ पुरुष बाहर से अदीन होते हैं किन्तु अंदर से दीन होते हैं, ४. कुछ पुरुष बाहर से भी अदीन होते हैं और अन्दर से भी अदीन ____ होते हैं। (२) पुरुष चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ पुरुष दीन होते हैं और दीन रूप में परिणत होते हैं, २. कुछ पुरुष दीन होते हैं किन्तु अदीन रूप में परिणत होते हैं, ३. कुछ पुरुष अदीन होते हैं किन्तु दीन रूप में परिणत होते हैं। ४. कुछ पुरुष अदीन होते हैं और अदीन रूप में ही परिणत होते है।