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मनुष्य गति अध्ययन
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६३. महु-विस कुंभ दिट्ठतेण पुरिसाणं चउभंग परूवणं(१) चत्तारि कुंभा पण्णत्ता,तं जहा१. महुकुंभे णाममेगे महुपिहाणे,
२. महुकुंभे णाममेगे विसपिहाणे,
३. विसकुंभे णाममेगे महुपिहाणे,
४. विसकुंभे णाममेगे विसपिहाणे।
एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता,तं जहा१. महुकुंभे णाममेगे महुपिहाणे,
२. महुकुंभे णाममेगे विसपिहाणे,
३. विसकुंभेणाममेगे महुपिहाणे,
४. विसकुंभे णाममेगे विसपिहाणे।
१. हिययमपावमकलुस, जीहाऽविय महुरभासिणी णिच्च।
जम्मि पुरिसम्मि विज्जइ, से महुकुंभे महुपिहाणे ॥
२. हिययमपावमकलुसं जीहा य कडुयभासिणी णिच्च ।
जम्मि पुरिसम्मि विज्जइ,से महुकुंभे विसपिहाणे ॥
६३. मधु-विष कुंभ के दृष्टांत द्वारा पुरुषों के चतुर्भगों का प्ररूपण
(१) कुंभ चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ कुंभ मधु से भरे हुए होते हैं और उनके ढक्कन भी मधुमय
होते हैं, २. कुछ कुंभ मधु से भरे हुए होते हैं, परन्तु उनके ढक्कन विषमय
होते हैं, ३. कुछ कुंभ विष से भरे हुए होते हैं परन्तु उनके ढक्कन मधुमय
होते हैं, ४. कुछ कुंभ विष से भरे हुए होते हैं और उनके ढक्कन भी विषमय
होते हैं। इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ पुरुषों का हृदय भी मधु जैसा मधुरता से भरा हुआ होता
है और उनकी वाणी भी मधु जैसी मधुरता भरी हुई होती है, २. कुछ पुरुषों का हृदय मधु से भरा हुआ होता है, परन्तु उनकी
वाणी विष से भरी हुई होती है, ३. कुछ पुरुषों का हृदय विष से भरा हुआ होता है, परन्तु उनकी
वाणी मधु जैसी मधुरता भरी हुई होती है, ४. कुछ पुरुषों का हृदय विष से भरा हुआ होता है और उनकी
वाणी भी विष से भरी हुई होती है। १. जिस पुरुष का हृदय पाप और कलुषता रहित होता है तथा
जिसकी जिह्वा भी मधुर भाषिणी होती है ऐसा गुण जिसमें विद्यमान हो वह पुरुष मधु से भरे हुए और मधु के ढक्कन वाले
कुम्भ के समान होता है। २. जिस पुरुष का हृदय पाप और कलुषता रहित होता है, परन्तु जिसकी जिह्वा कटुभाषिणी होती है वह पुरुष मधु से भरे हुए
और विष के ढक्कन वाले कुम्भ के समान होता है। ३. जिस पुरुष का हृदय कलुषमय होता है परन्तु जिह्वा मधुर
भाषिणी होती है वह पुरुष विष से भरे हुए और मधु के ढक्कन
वाले कुम्भ के समान होता है! ४. जिस पुरुष का हृदय कलुषमय होता है और जिला भी
कटुभाषिणी होती है वह पुरुष विष से भरे हुए और विष के
ढक्कन वाले कुम्भ के समान होता है। ६४. पूर्ण-तुच्छ कुंभ के दृष्टांत द्वारा पुरुषों के चतुर्भगों का
प्ररूपण(१) कुंभ चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ कुंभ आकार से भी पूर्ण होते हैं और रखे जाने वाले द्रव्यों
से भी पूर्ण होते हैं, २. कुछ कुंभ आकार से पूर्ण होते हैं, परन्तु रखे जाने वाले द्रव्यों
से अपूर्ण होते हैं, ३. कुछ कुंभ आकार से अपूर्ण होते हैं, किन्तु रखे जाने वाले द्रव्यों
से पूर्ण होते हैं, ४. कुछ कुंभ रखे जाने वाले द्रव्यों से भी अपूर्ण होते हैं और
आकार से भी अपूर्ण होते हैं।
इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ पुरुष आकार (जाति आदि) से पूर्ण होते हैं और गुणों से
भी पूर्ण होते हैं,
३. जहिययं कलुसमयं,जीहा य महुरभासिणी णिच्चं ।
जम्मि पुरिसम्मि विज्जइ,से विसकुंभे महुपिहाणे ॥
४. जंहिययं कलुसमय,जीहा वि य कडुयभासिणी णिच्चं । जम्मि पुरिसम्मि विज्जइ, से विसकुंभे विसपिहाणे ॥
-ठाणं. अ.४, उ.४, सु.३६० ६४. पुण्ण तुच्छ कुंभ दिट्टतेण पुरिसाणं चउभंग परूवणं
(१) चत्तारि कुंभा पण्णत्ता,तं जहा१. पुण्णे णाममेगे पुण्णे,
२. पुण्णे णाममेगे तुच्छे,
३. तुच्छे णाममेगे पुण्णे,
४. तुच्छे णाममेगे तुच्छे।
एवामेव चत्तरपुरिसजाया पण्णत्ता,तं जहा१. पुण्णे णाममेगे पुण्णे,