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तिर्यञ्च गति अध्ययन
उ. गोयमा ! तेउकाये सव्वसुहुमे, तेउकाये सव्वसुहुमतराए।
१२७१ उ. गौतम ! (इन तीनों) में से अग्निकाय सबसे सूक्ष्म है और
अग्निकाय ही सबसे सूक्ष्मतर है। प्र. भन्ते ! पृथ्वीकायिक और अप्कायिक (इन दोनों) में से कौन
सी काय सबसे सूक्ष्म है और कौन सी सूक्ष्मतर है? उ. गौतम ! (इन दोनों) में से अप्काय सबसे सूक्ष्म है और अप्काय
ही सबसे सूक्ष्मतर है। प्र. भन्ते ! इन पृथ्वीकायिक, अकायिक, तेजस्कायिक,
वायुकायिक और वनस्पतिकायिक (इन पांचों) में से कौन सी
काय सबसे बादर (स्थूल) है और कौन सी सबसे बादरतर है? उ. गौतम ! (इन पांचों) में से वनस्पतिकाय सर्वबादर है,
वनस्पतिकाय ही सबसे बादरतर है। प्र. भन्ते ! पृथ्वीकायिक, अप्कायिक, अग्निकायिक और वायुकायिक (इन चारों) में से कौन सी काय सबसे बादर है
और कौन-सी बादरतर है? उ. गौतम ! (इन चारों में से) पृथ्वीकाय सबसे बादर है और
पृथ्वीकाय ही सबसे बादरतर है। प्र. भन्ते ! अप्काय, तेजस्काय और वायुकाय (इन तीनों) में से
कौन सी काय सर्वबादर है और कौन सी बादरतर है ?
प. एयस्स णं भंते ! पुढविकाइयस्स आउक्काइयस्स य कयरे
काये सव्वसुहुमे, कयरे काये सव्वसुहुमतराए? उ. गोयमा ! आउकाये सव्वसुहुमे, आउकाये
सव्वसुहुमतराए। प. एयस्स णं भंते ! पुढविकाइयस्स आउकाइयस्स
तेउकाइयस्स वाउकाइयस्स वणस्सइकाइयस्स य कयरे
काये सव्वबायरे, कयरे काये सव्वबायरतराए? उ. गोयमा ! वणस्सइकाये सव्वबायरे, वणस्सइकाये
सव्वबायरतराए। प. एयस्स णं भंते ! पुढविकाइयस्स आउक्काइयस्स
तेउक्काइयस्स वाउकाइयस्स य कयरे काये सव्वबायरे,
कयरे काये सव्वबायरतराए? उ. गोयमा ! पुढविकाए सव्वबायरे, पुढविकाए
सव्वबायरतराए। प. एयस्स णं भंते ! आउकाइयस्स तेउकाइयस्स
वाउकाइयस्स य कयरे काये सव्वबायरे, कयरे काये
सव्वबायरतराए? उ. गोयमा ! आउकाये सव्वबायरे, आउकाये
सव्वबायरतराए। प. एयस्स णं भंते ! तेउकायस्स वाउकायस्स य कयरे काये
सव्वबायरे, कयरे काये सव्वबायरतराए? उ. गोयमा ! तेउकाए सव्वबायरे, तेउकाए सव्वबायरतराए।
-विया. स. १९, उ. ३, सु. २३-३० १७. पुढविकाइयाइ जीवाणं लोगेसुपरूवणं
अहेलोगे णं पंच बायरा पण्णत्ता,तं जहा१. पुढविकाइया, २. आउकाइया, ३. वाउकाइया,
४. वणस्सइकाइया, ५. ओराला तसा पाणा। एवं उड्ढलोगे वि। तिरियलोगे णं पंच बायरा पण्णत्ता,तं जहा१. एगिंदिया,
२. बेइंदिया, ३. तेइंदिया,
४. चउरिंदिया, ५. पंचिंदिया।
-ठाणं. अ.५, उ.३,सु.४४४ १८. पुढविसरीरस्स महालयत्त परूवणं
प. के महालए णं भंते ! पुढविसरीरे पण्णत्ते?
४. पण
उ. गौतम ! इन तीनों में से अप्काय सर्वबादर है और अप्काय ही
सबसे बादरतर है। प्र. भन्ते ! अग्निकाय और वायुकाय (इन दोनों) में से कौन-सी
काय सबसे बादर है कौन सी बादरतर है? उ. गौतम ! इन दोनों में से अग्निकाय सर्वबादर है और
अग्निकाय ही बादरतर है। १७. पृथ्वीकाय आदि का लोक में प्ररूपण
अधोलोक में पांच प्रकार के बादर जीव कहे गए हैं, यथा१. पृथ्वीकायिक, २. अकायिक ३. वायुकायिक, ४. वनस्पतिकायिक ५. उदार त्रस प्राणी। इसी प्रकार ऊर्ध्वलोक में भी पांच भेद जानने चाहिए। तिर्यक्लोक में पांच प्रकार के बादर जीव कहे गए हैं, यथा१. एकेन्द्रिय, २. द्वीन्द्रिय, ३. त्रीन्द्रिय,
४. चतुरिन्द्रिय, ५. पंचेन्द्रिय। १८. पृथ्वी शरीर की विशालता का प्ररूपणप्र. भन्ते ! पृथ्वीकायिक जीवों का शरीर कितना बड़ा कहा
गया है? उ. गौतम ! अनन्त सूक्ष्म वनस्पतिकायिक जीवों के जितने शरीर होते हैं, उतना एक सूक्ष्म वायुकाय का शरीर होता है। असंख्यात सूक्ष्म वायुकायिक जीवों के जितने शरीर होते हैं, उतना एक सूक्ष्म अग्निकाय का शरीर होता है। असंख्यात सूक्ष्म अग्निकाय के जितने शरीर होते हैं, उतना एक सूक्ष्म अप्काय का शरीर होता है।
उ. गोयमा ! अणंताणं सुहुमवणस्सइकाइयाणं जावइया
सरीरा से एगे सुहुमवाउसरीरे। असंखेज्जाणं सुहुमवाउसरीराणं जावइया सरीरा से एगे सुहुमतेउसरीरे। असंखेज्जाणं सुहुमतेउकाइयसरीराणं जावइया सरीरा से एगे सुहुमआउसरीरे।