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दं.२-२४ एवं जाव वेमाणिया।'
एवं गइनामनिहत्ताउए वि, ठिईनामनिहत्ताउए वि,
ओगाहणानामनिहत्ताउए वि, पदेसनामनिहत्ताउए वि, अणुभावनामनिहत्ताउए वि। -पण्ण. प.६, सु. ६८७-६९०
द्रव्यानुयोग-(२) दं. २-२४ इसी प्रकार वैमानिकों तक आकर्षों का कथन करना चाहिए। १. इसी प्रकार-गतिनामनिधत्तायु, २. स्थितिनामनिधत्तायु ३. अवगाहनानामनिधत्तायु, ४. प्रदेशनामनिधत्तायु और ५. अनुभावनामनिधत्तायुबंध के आकर्षों का कथन करना
चाहिए। ११९. आकर्षों में आयु बंधकों का अल्पबहुत्व
प्र. भंते ! जघन्य एक, दो और तीन अथवा उत्कृष्ट आठ
आकर्षों से जातिनामनिधत्तायु का बन्ध करने वाले जीवों में कौन किनसे अल्प यावत् विशेषाधिक हैं ?
११९. आगरिसेहिं आउबंधगाणं अप्पबहुत्तंप. एएसि णं भंते ! जीवाणं जाइनामनिहत्ताउयं जहण्णेणं
एक्केण वा, दोहिं वा, तीहिं वा, उक्कोसेणं अट्ठहिं आगरिसेहिं पकरेमाणाणं कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा जाव विसेसाहिया वा?
उ. गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा जाइनामनिहत्ताउयं अट्ठहिं
आगरिसेहिं पकरेमाणा, सत्तहिं आगरिसेहिं पकरेमाणा संखेज्जगुणा, छहिं आगरिसेहिं पकरेमाणा संखेज्जगुणा, पंचहिं आगरिसेहिं पकरेमाणा संखेज्जगुणा, चउहिं आगरिसेहिं पकरेमाणा संखेज्जगुणा, तिहिं आगरिसेहिं पकरेमाणा संखेज्जगुणा, दोहिं आगरिसेहिं पकरेमाणा संखेज्जगुणा, एगेणं आगरिसेणं पकरेमाणा संखेज्जगुणा। एवं एएणं अभिलावेणं गइनामनिहत्ताउयं जाव अणुभावनिहत्ताउयं।
उ. गौतम ! जातिनामनिधत्तायु को आठ आकर्षों से बांधने वाले
जीव सबसे कम हैं, (उनसे) सात आकर्षों से बांधने वाले संख्यातगुणे हैं, (उनसे) छह आकर्षों से बांधने वाले संख्यातगुणे हैं, (उनसे) पांच आकर्षों से बांधने वाले संख्यातगुणे हैं, (उनसे) चार आकर्षों से बांधने वाले संख्यातगुणे हैं, (उनसे) तीन आकर्षों से बांधने वाले संख्यातगुणे हैं, (उनसे) दो आकर्षों से बांधने वाले संख्यातगुणे हैं, (उनसे) एक आकर्ष से बांधने वाले संख्यातगुणे हैं। इसी प्रकार इस अभिलाप से गतिनामनिधत्तायु यावत् अनुभागनामनिधत्तायु को बांधने वालों का अल्पबहुत्व जान लेना चाहिए। इस प्रकार ये छहों ही अल्पबहुत्वसम्बन्धी दण्डक
जीवादिकों के कहने चाहिए। १२). आयुकर्म के बंधक अबंधक आदि जीवों के अल्पबहुत्व का
प्ररूपणप्र. भंते ! इन आयुकर्म के बंधकों और अबंधकों, पर्याप्तकों
और अपर्याप्तकों, सुप्तों और जागृतों, समुद्घात करने वालों और न करने वालों, सातावेदकों और असातावेदकों, इन्द्रियोपयुक्तों और नो इन्द्रियोपयुक्तों, साकारोपयोगोपयुक्तों और अनाकारोपयोगोपयुक्तों में कौन किनसे
अल्प यावत् विशेषाधिक हैं? उ. गौतम ! १. सबसे अल्प आयुकर्म के बन्धक जीव हैं,
एवं एए छ प्पिय अप्पाबहुदंडगा जीवादिया भाणियव्या।
-पण्ण.प.६,सु.६९१-६९२ १२०. आउकम्मस्स बंधगाबंधगाइ जीवाणं अप्पबहुत्त परूवणं
प. एएसि णं भंते ! जीवाणं आउयस्स कम्मस्स बंधगाणं,
अबंधगाणं, पज्जत्तगाणं, अपज्जत्तगाणं, सुत्ताणं, जागराणं, समोहयाणं, असमोहयाणं, सायावेदगाणं, असायावेदगाणं, इंदियउवउत्ताणं, नो इंदियउवउत्ताणं, सागारोवउत्ताणं, अणागारोवउत्ताणं य कयरे
कयरेहिंतो अप्पा वा जाव विसेसाहिया वा? उ. गोयमा ! १. सव्वत्थोवा जीवा आउयस्स कम्मस्स बंधगा, २. अपज्जत्तगा संखेज्जगुणा, ३. सुत्ता संखेज्जगुणा, ४. समोहया संखेज्जगुणा, ५. सायावेयगा संखेज्जगुणा,
६. इंदिओवउत्ता संखेज्जगुणा, १. सम.सम.१५५/९
२. (उनसे) अपर्याप्तक संख्यातगुणे हैं, ३. (उनसे) सुप्तजीव संख्यातगुणे हैं, ४. (उनसे) समुद्घात करने वाले संख्यातगुणे हैं, ५. (उनसे) सातावेदक संख्यातगुणे हैं, ६. (उनसे) इन्द्रियोपयुक्त संख्यातगुणे हैं,