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कर्म अध्ययन
अबाहूणिया कम्मठिई, कम्मणिसेगो
प. ३०. अथिरणामस्स णं भंते ! कम्मस्स केवइयं कालं
ठिई पण्णता? उ. गोयमा ! जहण्णेणं सागरोवमस्स दो सत्तभागा
पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणगं, उक्कोसेणं वीसं सागरोवमकोडाकोडीओ, वीस य वाससयाई अबाहा, अबाहूणिया कम्मठिई, कम्मणिसेगो।
३१. सुभणामए जहा थिरणामस्स।
३२. असुभणामए जहा अथिरणामस्स।
३३. सुभगणामए जहा थिरणामस्स ।
३४.दुभगणामए जहा अथिरणामस्स।
'३५.सूसरणामए जहा थिरणामस्स।
३६. दूसरणामए जहा अथिरणामस्स।
- ११९१ ) अबाधाकाल जितनी न्यून कर्म स्थिति में ही कर्म निषेक
होता है। प्र. ३0. भंते ! अस्थिर नामकर्म की स्थिति कितने काल की
कही गई है? उ. गौतम ! जघन्य स्थिति पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम
सागरोपम के सात भागों में से दो भाग (२/७) की है। उत्कृष्ट स्थिति बीस कोडाकोडी सागरोपम की है। इसका अबाधाकाल दो हजार वर्ष का है। अबाधाकाल जितनी न्यून कर्म स्थिति में ही कर्म निषेक होता है। ३१. शुभनामकर्म की स्थिति आदि स्थिर नाम कर्म के समान है। ३२. अशुभनामकर्म की स्थिति आदि अस्थिर नाम कर्म के समान है। ३३. सुभगनामकर्म की स्थिति आदि स्थिर नाम कर्म के समान है। ३४. दुर्भग नाम कर्म की स्थिति आदि अस्थिर नाम कर्म के समान है। ३५. सुस्वर नामकर्म की स्थिति आदि स्थिर नामकर्म के समान है। ३६. दुःस्वर नामकर्म की स्थिति आदि अस्थिर नामकर्म के समान है। ३७. आदेय नामकर्म की स्थिति आदि स्थिर नामकर्म के समान है। ३८.अनादेय नामकर्म की स्थिति आदि अस्थिर नामकर्म के समान है। प्र. ३९. भंते ! यश कीर्तिनामकर्म की स्थिति कितने काल
की कही गई है? उ. गौतम ! जघन्य स्थिति आठ मुहूर्त की है,
उत्कृष्ट स्थिति दस कोडाकोडी सागरोपम की है। इसका अबाधाकाल एक हजार वर्ष का है। अबाधाकाल जितनी न्यून कर्म स्थिति में ही कर्म निषेक
होता है। प्र. ४0.भंते ! अयश कीर्तिनामकर्म की स्थिति कितने काल की
कही गई है? उ. गौतम ! यह अप्रशस्तविहायोगतिनामकर्म की स्थिति आदि
के समान है, ४१. इसी प्रकार निर्माणनामकर्म की स्थिति आदि के विषय
में जानना चाहिए। प्र. ४२. भंते ! तीर्थकरनामकर्म की स्थिति कितने काल की
कही गई है? उ. गौतम ! जघन्य स्थिति अन्तःकोडाकोडी सागरोपम की है,
उत्कृष्ट स्थिति भी अन्तः कोडाकोडी सागरोपम की है।
३७. आएज्जणामए जहा थिरणामस्स।
३८.अणाएज्जणामए जहा अथिरणामस्स।
प. ३९. जसोकित्तिणामए णं भंते ! कम्मस्स केवइयं कालं
ठिई पण्णत्ता? उ. गोयमा ! जहण्णेणं अट्ठ मुहुत्तं
उक्कोसेणं दस सागरोवमकोडाकोडीओ, दस य वाससयाई अबाहा, अबाहूणिया कम्मठिई, कम्मणिसेगो।
प. ४0. अजसोकित्तिणामस्स णं भंते ! कम्मस्स केवइयं
कालं ठिई पण्णत्ता? उ. गोयमा ! जहा अपसत्थविहायगइणामस्स।
४१. एवं णिम्माणणामए वि।
प. ४२. तित्थगरणामस्स णं भंते ! कम्मस्स केवइयं कालं
ठिई पण्णत्ता? उ. गोयमा !जहण्णेणं अंतोसागरोवमकोडाकोडीओ,
उक्कोसेण वि अंतोसागरोवमकोडाकोडीओ, १. ठाणं अ.८,सु.६५८