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२९. थिरणामे, ३०. अथिरणामे, ३१. सुभणामे, ३२. असुभणामे, ३३. सुभगणामे, ३४. दुभगणामे, ३५. सुसरणामे, ३६. दुसरणामे, ३७. आदेज्जणामे, ३८. अणादेज्जणामे, ३९. जसोकित्तिणामे, ४०. अजसोकित्तिणामे, ४१. णिम्माणणामे, ४२. तित्थगरणामे। प. (१) गइणामे णं भंते ! कम्मे कइविहे पण्णत्ते? उ. गोयमा ! चउव्विहे पण्णत्ते,तं जहा
१. णिरयगइणामे, २. तिरियगइणामे,
३. मणुयगइणामे, ४. देवगइणामे। प. (२)जाइणामे णं भंते ! कम्मे कइविहे पण्णत्ते? उ. गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तंजहा
१.एगिंदियजाइणामे जाव ५.पंचेंदियजाइणामे। प. (३) सरीरणामे णं भंते ! कम्मे कइविहे पण्णते? उ. गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते,तं जहा
१.ओरालियसरीरणामे जाव ५.कम्मगसरीरणामे। प. (४)सरीरंगोवंगणामे णं भंते ! कम्मे कइविहे पण्णत्ते?
उ. गोयमा ! तिविहे पण्णत्ते,तं जहा
१. ओरालियसरीरंगोवंगणामे, २. वेउव्वियसरीरंगोवंगणामे,
३. आहारगसरीरंगोवंगणामे। प. (५) सरीरबंधणणामे णं भंते ! कम्मे कइविहे पण्णते?
द्रव्यानुयोग-(२) २९. स्थिरनाम,
३०. अस्थिरनाम, ३१. शुभनाम,
३२. अशुभनाम, ३३. सुभगनाम,
३४. दुर्भगनाम, ३५. सुस्वरनाम,
३६. दुःस्वरनाम, ३७. आदेयनाम, ३८. अनादेयनाम, ३९. यशःकीर्तिनाम, ४०. अयशःकीर्तिनाम,
४१. निर्माणनाम, ४२. तीर्थंकरनाम। प. (१) भंते ! गतिनाम कर्म कितने प्रकार का कहा गया है? उ. गौतम ! वह चार प्रकार का कहा गया है, यथा
१. नरकगतिनाम कर्म, २. तिर्यञ्चगतिनाम कर्म,
३. मनुष्यगति नाम कर्म, ४. देवगतिनाम कर्म। प्र. (२) भंते ! जातिनामकर्म कितने प्रकार का कहा गया है? उ. गौतम ! वह पांच प्रकार का कहा गया है, यथा
१.एकेन्द्रियजातिनाम कर्म यावत् ५.पंचेन्द्रियजातिनाम कर्म। प्र. (३) भंते ! शरीरनामकर्म कितने प्रकार का कहा गया है ? उ. गौतम ! वह पांच प्रकार का कहा गया है, यथा
१.औदारिकशरीरनाम कर्म यावत् ५. कार्मणशरीरनाम कर्म। प्र. (४) भंते ! शरीरांगोपांगनाम कर्म कितने प्रकार का कहा
गया है? उ. गौतम ! वह तीन प्रकार का कहा गया है, यथा
१. औदारिकशरीरांगोपांग नाम कर्म, २. वैक्रियशरीरांगोपांग नाम कर्म,
३. आहारकशरीरांगोपांग नाम कर्म। प्र. (५) भंते ! शरीरबन्धननाम कर्म कितने प्रकार का कहा
गया है? उ. गौतम ! वह पांच प्रकार का कहा गया है, यथा
१.औदारिकशरीरबन्धननाम कर्म यावत्
५. कार्मणशरीरबन्धन-नाम कर्म। प्र. (६) भंते ! शरीरसंघातनाम कर्म कितने प्रकार का कहा
गया है? उ. गौतम ! वह पांच प्रकार का कहा गया है, यथा
१. औदारिकशरीरसंघात नाम कर्म यावत्
५. कार्मणशरीरसंघात- नाम कर्म। प्र. (७) भंते ! संहनननाम कर्म कितने प्रकार का कहा गया है? उ. गौतम ! वह छह प्रकार का कहा गया है, यथा
१. वज्रऋषभनाराचसंहनननाम कर्म, २. ऋषभनाराचसंहनननाम कर्म, ३. नाराचसंहनननाम कर्म, ४. अर्द्धनाराचसंहनननाम कर्म, ५. कीलिकासंहनननाम कर्म,
६. सेवार्तसंहनननाम कर्म। प्र. (८) भंते ! संस्थाननामकर्म कितने प्रकार का कहा गया है?
उ. गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते,तं जहा
१.ओरालियसरीरबंधणणामे जाव
५.कम्मगसरीरबंधणणामे। प. (६) सरीरसंघायणामे णं भंते ! कम्मे कइविहे पण्णते?
उ. गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते,तं जहा
१.ओरालियसरीरसंघायणामे जाव
५.कम्मगसरीरसंघायणामे। प. (७) संघयणणामे णं भंते ! कम्मे कइविहे पण्णत्ते? उ. गोयमा ! छव्विहे पण्णत्ते, तं जहा
१. वइरोसभणारायसंघयणणामे, २. उसभणारायसंघयणणामे, ३. णारायसंघयणणामे, ४. अद्धणारायसंघयणणामे, ५. खीलियासंघयणणामे,
६. छेवट्ठसंघयणणामे। प. (८) संठाणणामे णं भंते ! कम्मे कइविहे पण्णत्ते?
१. सम. सम.४२, सु.६