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अप्पणिज्जियाओ देवीओ अभिमुंजिय-अभिजुंजिय परियारेइ अप्पाणमेव अप्पणा विकुब्विय-विकुब्विय परियारेइ।
द्रव्यानुयोग-(२) कुछ देव अपनी देवियों का आलिंगन कर-कर परिचारणा करते हैं, कुछ देव अपने बनाए हुए विभिन्न रूपों से परिचारणा करते हैं। कुछ देव अन्य देवों की देवियों का आलिंगन कर-कर परिचारणा नहीं करते, अपनी देवियों का आलिंगन कर-कर परिचारणा करते हैं,
अपने बनाए हुए विभिन्न रूपों से परिचारणा करते हैं। ३. कुछ देव अन्य देवों की देवियों से आलिंगन कर-कर
परिचारणा नहीं करते, अपनी देवियों का आलिंगन कर-कर परिचारणा नहीं करते,
२. एगे देवे णो अन्नेसिं देवाणं देवीओ अभिजिय
अभिजुंजिय-परियारेइ, अप्पणिज्जियाओ देवीओ अभिमुंजिय-अभिजुंजिय परियारेइ,
अप्पाणमेव अप्पणा विकुव्विय-विकुव्विय परियारेइ। ३. एगे देवे णो अन्नेसिं देवाणं देवीओ अभिजुंजिय
अभिमुंजिय परियारेइ, णो अप्पणिज्जियाओ देवीओ अभिजुंजिय-अभिजुंजिय परियारेइ, अप्पाणमेव अप्पणा विकुव्विय-विकुव्विय परियारेइ।
-ठाणं अ.३.उ.१.सु.१३० १५. संवासस्स विविहारूवा
चउव्विहे संवासे पण्णत्ते,तं जहा१. देवे णाममेगे देवीए सद्धिं संवासंगच्छेज्जा, २. देवे णाममेगे छवीए सद्धिं संवासं गच्छेज्जा, ३. छवी णाममेगे देवीए सद्धिं संवासं गच्छेज्जा, ४. छवी णाममेगे छवीए सद्धिं संवासं गच्छेज्जा।
__-ठाण अ.४, उ.१,सु.२४८/२ चउबिहे संवासे पण्णत्ते,तं जहा१. दिव्वे,२.आसुरे,३. रक्खसे, ४. माणुसे। चउबिहे संवासे पण्णत्ते,तं जहा१. देवे णाममेगे देवीए सद्धिं संवासं गच्छइ, २. देवे णाममेगे असुरीए सद्धिं संवासं गच्छइ, ३. असुरे णाममेगे देवीए सद्धिं संवासं गच्छइ, ४. असुरे णाममेगे असुरीए सद्धिं संवासं गच्छइ। चउविहे संवासे पण्णत्ते,तं जहा१. देवेणाममेगे देवीए सद्धिं संवासं गच्छइ, २. देवेणाममेगे रक्खसीए सद्धिं संवासं गच्छइ, ३. रक्खसे णाममेगे देवीए सद्धिं संवासं गच्छइ, ४. रक्खसे णाममेगे रक्खसीए सद्धिं संवासं गच्छइ। चउविहे संवासे पण्णत्ते,तं जहा१. देवे णाममेगे देवीए सद्धिं संवासं गच्छइ, २. देवेणाममेगे मणुस्सीए सद्धिं संवासं गच्छइ, ३. मणुस्से णाममेगे देवीए सद्धिं संवासं गच्छइ, ४. मणुस्से णाममेगे मणुस्सीए सद्धिं संवासं गच्छइ। चउबिहे संवासे पण्णत्ते,तंजहा१. असुरे णाममेगे असुरीए सद्धिं संवासं गच्छइ, २. असुरे णाममेगे रक्खसीए सद्धिं संवासं गच्छइ, ३. रक्खसे णाममेगे असुरीए सद्धिं संवासं गच्छइ,
कुछ देव केवल अपने बनाए हुए विभिन्न रूपों से परिचारणा
करते हैं। १५. संवास के विविध रूप
संवास (सम्भोग) चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. कुछ देव, देवी के साथ सम्भोग करते हैं, २. कुछ देव, नारी या तिर्यंच स्त्री के साथ सम्भोग करते हैं, ३. कुछ मनुष्य या तिर्यञ्च, देवी के साथ सम्भोग करते हैं, ४. कुछ मनुष्य या तिर्यञ्च, मानुषी या तिर्यञ्च स्त्री के साथ
सम्भोग करते हैं। संवास चार प्रकार का कहा गया है, यथा१. देवताओं का, २. असुरों का, ३. राक्षसों का, ४. मनुष्यों का। संवास चार प्रकार का कहा गया है, यथा१. कुछ देव देवियों के साथ संवास करते हैं, २. कुछ देव असुरियों के साथ संवास करते हैं, ३. कुछ असुर देवियों के साथ संवास करते हैं, ४. कुछ असुर असुरियों के साथ संवास करते हैं। संवास चार प्रकार का कहा गया है, यथा१. कुछ देव देवियों के साथ संवास करते हैं, २. कुछ देव राक्षसियों के साथ संवास करते हैं, ३. कुछ राक्षस देवियों के साथ संवास करते हैं, ४. कुछ राक्षस राक्षसियों के साथ संवास करते हैं। संवास चार प्रकार का कहा गया है, यथा१. कुछ देव देवियों के साथ संवास करते हैं, २. कुछ देव मानुषियों के साथ संवास करते हैं, ३. कुछ मनुष्य देवियों के साथ संवास करते हैं, ४. कुछ मनुष्य मानुषियों के साथ संवास करते हैं। संवास चार प्रकार का कहा गया है, यथा१. कुछ असुर असुरियों के साथ संवास करते हैं, २. कुछ असुर राक्षसियों के साथ संवास करते हैं, ३. कुछ राक्षस असुरियों के साथ संवास करते हैं,