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वेद अध्ययन
४. रक्खसे णाममेगे रक्खसीए सद्धिं संवास गच्छइ । चउव्विहे संवासे पण्णत्ते, तं जहा
१. असुरे णाममेगे असुरीए सद्धिं संवासं गच्छइ, २. असुरे णाममेगे मणुस्सीए सद्धिं संवासं गच्छइ, ३. मणुस्से णाममेगे असुरीए सद्धिं संवासं गच्छइ, ४: मणुस्से णाममेगे मणुस्सीए सद्धिं संवास गच्छइ । चउयि संवासे पण्णले त जहा
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१. रक्खसे णाममेगे रक्खसीए सद्धिं संवासं गच्छइ, २. रक्खसे णाममेगे मणुस्सीए सद्धिं संवासं गच्छद ३. मणुस्से णाममेगे रक्खसीए सद्धिं संवास गच्छद ४. मणुस्से णाममेगे मणुस्सीए सद्धिं संवासं गच्छइ ।
१६. कामस्स चउव्विहत्त परूवणं
- ठाणं. अ. ४, सु. ३५३
चउव्विहा कामा पण्णत्ता, तं जहा
१. सिंगारा, २. कलुणा, ३ . बीभच्छा, ४. रोद्दा ।
१. सिंगारा कामा देवाणं,
२. कलुणा कामा मणुयाणं
३. बीभच्छा कामा तिरिक्खजोणियाणं,
४. रोद्दा कामा णेरइयाणं ।
- ठाणं. अ. ४, उ. ४, सु. ३५७
४. कुछ राक्षस राक्षसियों के साथ संवास करते हैं। संवास चार प्रकार का कहा गया है, यथा१. कुछ असुर असुरियों के साथ संयास करते हैं, २. कुछ असुर मानुषियों के साथ संवास करते हैं,
३. कुछ मनुष्य असुरियों के साथ संवास करते हैं, ४. कुछ मनुष्य मानुषियों के साथ संवास करते हैं। संवास चार प्रकार का कहा गया है, यथा
१. कुछ राक्षस राक्षसियों के साथ संवास करते हैं, २. कुछ राक्षस मानुषियों के साथ संवास करते हैं, ३. कुछ मनुष्य राक्षसियों के साथ संवास करते हैं, ४. कुछ मनुष्य मानुषियों के साथ संवास करते हैं।
१६. काम के चतुर्विधत्व का प्ररूपण
काम चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. शृंगार, २. करुण, ३. बीभत्स, ४. रौद्र । १. देवताओं के काम शृंगार-रस प्रधान होते हैं, २. मनुष्यों के काम करुण रस प्रधान होते हैं, ३. तिर्यञ्चों के काम बीभत्स रस प्रधान होते हैं, ४. नैरयिकों के काम रौद्र रस प्रधान होते हैं।
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