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क्रिया अध्ययन प. णेरइया णं भंते !जीवाओ कइ किरिया?
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प्र. भंते ! अनेक नैरयिक एक जीव की अपेक्षा कितनी क्रियाओं
वाले हैं? उ. गौतम ! वे कदाचित् तीन, चार या पांच क्रियाओं वाले हैं।
उ. गोयमा ! सिय तिकिरिया, सिय चउकिरिया, सिय पंचकिरिया। एवं जाव वेमाणियाओ।
णवरं-णेरइयाओ देवाओ य पंचमा किरिया णत्थि।
प. णेरइया णं भंते ! जीवेहिंतो कइ किरिया ?
उ. गोयमा ! तिकिरिया वि, चउकिरिया वि,पंचकिरिया वि। प. णेरइया णं भंते !णेरइएहिंतो कइ किरिया ?
उ. गोयमा ! तिकिरिया वि, चउकिरिया वि।
एवं जाव वेमाणिएहिंतो।
णवरं-ओरालियसरीरेहितो जहा जीवेहितो।
प. असुरकुमारे णं भंते ! जीवाओ कइ किरिए?
उ. गोयमा ! जहेव णेरइएणं चत्तारि दंडगा तहेव
असुरकुमारेण वि चत्तारि दंडगा भाणियव्या।
एवं उबउज्जिऊण भाणेयव्वं ति जीवे मणूसे य अकिरिए वुच्चइ, सेसाणं अकिरिया ण वुच्चंति, सव्वे जीवा ओरालियसरीरेहिंतो पंचकिरिया,
इसी प्रकार यावत् एक वैमानिक की अपेक्षा से क्रियाएं कहनी चाहिए। विशेष-एक नैरयिक या एक देव की अपेक्षा पांचवीं क्रिया
नहीं करता। प्र. भंते ! अनेक नारक अनेक जीवों की अपेक्षा कितनी क्रियाओं
वाले हैं ? उ. गौतम ! वे कदाचित् तीन, चार या पांच क्रियाओं वाले हैं। प्र. भंते ! अनेक नैरयिक अनेक नैरयिकों की अपेक्षा कितनी
क्रियाओं वाले हैं ? उ. गौतम ! वे तीन या चार क्रियाओं वाले हैं।
इसी प्रकार यावत् अनेक वैमानिकों की अपेक्षा से क्रियाएँ कहनी चाहिए। विशेष-अनेक औदारिक शरीरधारियों की अपेक्षा क्रियाएं
अनेक जीवों की क्रियाओं के समान कहनी चाहिए। प्र. भंते ! एक असुरकुमार एक जीव की अपेक्षा कितनी क्रियाओं
वाला है? उ. गौतम ! एक नारक की अपेक्षा से जैसे चार दण्डक कहे गये हैं, वैसे ही एक असुरकुमार की अपेक्षा से भी क्रिया संबंधी चार दण्डक कहने चाहिए। इसी प्रकार उपयोगपूर्वक कहना चाहिए कि 'एक जीव और एक मनुष्य' अक्रिय भी कहा जा सकता है, शेष जीव अक्रिय नहीं कहे जाते। सभी जीव औदारिक शरीर वालों की अपेक्षा पांच क्रियाओं वाले हैं। नारकों और देवों की अपेक्षा से पांच क्रियाएं नहीं कही जाती हैं। इसी प्रकार एक-एक जीव के पद में चार-चार दण्डक कहने चाहिए। यों कुल मिलाकर सौ दण्डक होते हैं। ये सब एक जीव आदि
के दण्डक हैं। ३९. जीव-चौबीस दंडकों में पांच शरीरों की अपेक्षा क्रियाओं का
प्ररूपणप्र. भंते ! एक जीव औदारिक शरीर की अपेक्षा कितनी क्रियाओं
वाला है? उ. गौतम ! कदाचित् तीन, चार या पांच क्रियाओं वाला है और
कदाचित् अक्रिय भी है। प्र. दं. १. भंते ! नैरयिक जीव औदारिक शरीर की अपेक्षा
कितनी क्रियाओं वाला है? उ. गौतम ! वह कदाचित् तीन, चार या पांच क्रियाओं वाला है।
णेरइए-देवेहिंतो य पंचकिरिया ण वुच्चंति।
एवं एक्कक्कजीवपए चत्तारि-चत्तारि दंडगा भाणियव्वा।
एवं एयं दंडगसयं। सव्वे वियजीवादीया दंडगा।
-पण्ण. प. २२, सु. १५८८-१६०४ ३९. जीव-चउवीसदंडएसुपंच सरीरेहिं किरियापरूवणं
प. जीवेणं भंते ! ओरालियसरीराओ कइ किरिए?
उ. गोयमा ! सिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए, सिय पंच
किरिए, सिय अकिरिए। प. द.१.नेरइएणं भंते ! ओरालियसरीराओ कइ किरिए?
उ. गोयमा ! सिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए, सिय
पंचकिरिए।