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आश्रव अध्ययन
"परिणयवया अस्सा-हत्थी-गवेलग-कुक्कडा य किज्जंतुकिणावेहय विक्केह।" “पयह य सयणस्स देह पिय य दासि-दास भयग-भाइल्लगा य सिस्सा य पेसकजणो-कम्मकरा य किंकरा य एए सयण परिजणो यकीसं अच्छति।"
"भारिया भे करेत्तु कम्म।" "गहणाई वणाई खेत्त-खिल-भूमि-वल्लराई उत्तणगणसंकडाई डझंतु सूडिज्जंतु य रुक्खा।"
"भिज्जंतु जंतभंडाइयस्स उवहिस्स कारणाए बहुविहस्स य अट्ठाए।"
"उच्छू दुज्जंतु।" “पीलिज्जंतु य तिला।" "पयावेह य इट्टकाउ मम घरट्ठयाए।" "खेत्ताई कषह कसावेह य।" "लहुँ गाम आगर-नगर-खेड-कव्वडे निवेसेह अडवीदेसेसु विपुलसीमे।" "पुष्पाणि य फलाणि य कंद मूलाई काल पत्ताई गेण्हेह।" "करेह संचयं परिजणट्ठयाए।" "साली-वीही-जवा य लुच्चंतु मलिज्जंतु उप्पणिज्जंतु य लहुंच पविसंतु य कोट्ठागारं।" "अप्प-मह-उक्कोसगा य हमंतु पोयसत्था।" "सेणा णिज्जाउ।" "जाउ डमरं।" "घोरा वटेंतु य संगामा।" "पवहंतु य सगडवाहणाई।" "उवाणयणं चोलग विवाहो जन्नो अमुगम्मि उ होउ दिवसेसु करणेसु मुहुत्तेसु नक्खत्तेसु तिहिसुया"
१००५ "परिणत आयु वाले इन अश्वों, हाथियों, भेड़, बकरियों, मुर्गों को खरीदो, खरीदवाओ और इन्हें बेच दो।" "पकाने योग्य वस्तुओं को पकाओ, स्वजनों को दे दो, पेय मदिरा आदि पीने योग्य पदार्थों का पान करो, दास दासी भृतक भागीदार, शिष्य प्रेष्यजन संदेशवाहक कर्मकर-कर्म करने वाले किंकर क्या करूँ? इस प्रकार पूछ कर कार्य करने वाले, ये सब प्रकार के कर्मचारी तथा ये स्वजन और परिजन क्यों कैसे बैठे हुए है?" "ये भरण-पोषण करने योग्य हैं और अपना काम करें।" ये सघन वन, खेत, बिना जोती हुई भूमि, बल्लर-विशिष्ट खेत जो उगे हुए घास-फूस से भरे हैं इन्हें जला डालो, घास कटवाओ या उखड़वा डालो।" "यन्त्रों-घानी गाड़ी आदि भांड-कुंडे आदि उपकरणों के लिए हल आदि साधनों और नाना प्रकार के प्रयोजनों के लिए वृक्षों को कटवाओ।" "इक्षु-ईख-गन्नों को उखाड़ डालो।" "तिलों को पेलो इनका तेल निकालो।" "मेरा घर बनाने के लिए ईंटों को पकाओ, खेतों को जोतो और जुतवाओ।" "विस्तत सीमा वाले अटवी प्रदेश में शीघ्र ही ग्राम, आकर, नगर, खेड़ और कर्बट कुनगर आदि को बसाओ। "पुष्प फल और कन्दमूल जो पक चुके है उन्हें तोड़ लो।" "अपने परिजनों के लिए इनका संचय करो।" "शाली-धान-ब्रीहि-अनाज आदि और जौ को काट लो और मसलो, दानों को भूसे से पृथक् करके शीघ्र कोठार में भर लो। छोटे मध्यम और बड़े नौकायात्रियों के समूह को नष्ट कर दो।" "सेना युद्धादि के लिए प्रयाण करे।" "संग्रामभूमि में जाए," "घोर युद्ध प्रारम्भ हो," "गाड़ी और नौका आदि वाहन चलें," "उपनयन-यज्ञोपवीत संस्कार, चोलक-शिशु का मुण्डनसंस्कार, विवाहसंस्कार, यज्ञ ये सब कार्य अमुक दिनों में वालव आदि करणों में,अमृतसिद्धि आदि मुहूतों में, अश्विनी पुष्य आदि नक्षत्रों में और नन्दा आदि तिथियों में होने चाहिए।" "आज स्नपन-सौभाग्य के लिए स्नान करना चाहिए अथवा सौभाग्य एवं समृद्धि के लिए प्रमोद स्नान कराना चाहिए-आज प्रमोदपूर्वक बहुत विपुल मात्रा में खाद्य पदार्थों एवं मदिरा आदि पेय पदार्थों के भोज के साथ सौभाग्यवृद्धि अथवा पुत्रादि की प्राप्ति के लिए वधू आदि को स्नान कराओ तथा डोरा बांधमा आदि कौतुक करो।" . "सूर्यग्रहण, चन्द्रग्रहण और अशुभ स्वप्न के फल को निवारण करने के लिए विविध मंत्रादि से संस्कारित जल से स्नान और शान्तिकर्म करो।" "अपने कुटुम्बजनों की अथवा अपने जीवन की रक्षा के लिए कृत्रिम-आटे आदि से बकरे आदि के प्रतिशीर्षकों सिरों को बनाकर चण्डी आदि देवियों को भेंट चढ़ाओ।"
"अज्ज होउ ण्हवणं मुदितं बहुखज्ज-पिज्ज-कलियं कोतुकं विण्हावणगं।"
"संति कम्माणि कुणह" "ससि-रवि-गहोवराग-विसमेसु।"
"सज्जण-परियणस्स य नियगस्स य जीवियस्स परिरक्खणट्ठयाए पडिसीसगाई च देह।"