________________
८८०
एवं हेछिल्लएहिं अट्ठहिं नजाणइन पासइ, उवरिल्लएहिं
चउहिं जाणइ पासइ। -विया. स. ६, उ. ९, सु. १३, ४१. समणं निग्गंथस्स तेउलेस्सोप्पइकारणाणि
तिहिं ठाणेहिं समणे णिग्गंथे संखित्तविउलतेउलेस्से भवंत्ति, तंजहा१. आयावणताए, २. खंतिखमाए,
३. अपाणगेणं तवोकम्मेणं। -ठाणं. अ. ३, उ.३, सु. १८८ ४२. तेउलेस्साए भासकरण कारणाणि
दसहिं ठाणेहिं सह तेयसा भासं कुज्जा, तं जहा
१. केइ तहारूवं समणं वा, माहणं वा अच्चासातेज्जा, से य
अच्चासातिए समाणे परिकुविए तस्स तेयं णिसिरेज्जा। से तं परितावेइ, से तं परितावेत्ता तामेव सह तेयसा भासं
कुज्जा। २. केइ तहारूवं समणं वा, माहणं वा अच्चासातेज्जा, से य
अच्चासातिए समाणे देवे परिकुविए तस्स तेयं णिसिरेज्जा। से तं परितावेइ, से तं परितावेत्ता तामेव सह तेयसा भासं कुज्जा।
३. केइ तहारूवं समणं वा, माहणं वा अच्चासातेज्जा से य
अच्चासातिए समाणे परिकुविए देवे वि य परिकविए ते दुहओ पडिण्णा तस्स तेयं णिसिरेज्जा। से तं परिताति, से तं परितावेत्ता तामेव सह तेयसा भासं कुज्जा।
द्रव्यानुयोग-(२) देव प्रारम्भ के आठ भंगों में नहीं जानता-देखता और अंतिम
चार भंगों में जानता देखता है। ४१. श्रमण निर्ग्रन्थ की तेजोलेश्या की उत्पत्ति के कारण
तीन स्थानों से श्रमण निर्ग्रन्थ संक्षिप्त की हुई विपुल तेजोलेश्या वाले होते हैं, यथा१. आतापना लेने से, २. क्रोधशान्ति व क्षमा करने से,
३. जल रहित तपस्या करने से। ४२. तेजोलेश्या से भस्म करने के कारण
दस कारणों से श्रमण माहन अपमानित करने वाले को तेज से भस्म कर डालता है, यथा१. कोई व्यक्ति तथारूप-तेजोलब्धि सम्पन्न श्रमण माहन का
अपमान करता है। वह अपमान से कुपित होकर, उस पर तेज फेंकता है, वह तेज उस व्यक्ति को परितापित कर देता है, परितापित कर उसे तेज से भस्म कर देता है। कोई व्यक्ति तथारूप-तेजोलब्धि सम्पन्न श्रमण माहन का अपमान करता है। उसके अपमान करने पर कोई देव कुपित होकर अपमान करने वाले पर तेज फेंकता है, वह तेज उस व्यक्ति को परितापित करता है, परितापित कर उसे तेज से
भस्म कर देता है। ३. कोई व्यक्ति तथारूप-तेजोलब्धि सम्पन्न श्रमण माहन का
अपमान करता है। उसके अपमान करने पर मुनि और देव दोनों कुपित होकर उसे मारने की प्रतिज्ञा कर उस पर तेज फेंकते हैं। वह तेज उस व्यक्ति को परितापित करता है और
परितापित कर उसे तेज से भस्म कर देता है। ४. कोई व्यक्ति तथारूप-तेजोलब्धि सम्पन्न श्रमण माहन का
अपमान करता है। तब वह अपमान से कुपित होकर उस पर तेज फेंकता है। तब उसके शरीर में स्फोट (फोड़े) उत्पन्न होते हैं। वे फूटते हैं और फूटकर उसे तेज से भस्म कर देते हैं। ५. कोई व्यक्ति तथारूप-तेजोलब्धि सम्पन्न श्रमण माहन का
अपमान करता है। उसके अपमान करने पर कोई देव कुपित होकर, उस पर तेज फेंकता है। तब उसके शरीर से स्फोट (फोड़े) उत्पन्न होते हैं, वे फूटते हैं और फूटकर उसे तेज से
भस्म कर देते हैं। ६. कोई व्यक्ति तथारूप-तेजोलब्धि सम्पन्न श्रमण माहन का
अपमान करता है। उसके अपमान करने पर मुनि व देव दोनों कुपित होकर मारने की प्रतिज्ञा कर उस पर तेज फेंकते हैं। तब उसके शरीर में स्फोट (फोड़े) उत्पन्न होते है, वे फूटते और
फूटकर उसे तेज से भस्म कर देते हैं। ७. कोई व्यक्ति तथारूप-तेजोलब्धि सम्पन्न श्रमण माहन का
अपमान करता है। तब वह अपमान करने पर कुपित होकर उस पर तेज फेंकता है, तब उसके शरीर में स्फोट (फोड़े) उत्पन्न होते हैं। वे फूटते हैं उससे छोटी-छोटी कुंसियां निकलती हैं, वे फूटती हैं और फूटकर उसे तेज से भस्म कर देती हैं।
४. केइ तहारूवं समणं वा, माहणं वा अच्चासातेज्जा, से य
अच्चासातिए समाणे परिकुविए, तस्स तेयं णिसिरेज्जा. तत्थ फोडा संमुच्छंति, ते फोडा भिज्जति, ते फोडा भिण्णा
समाणा तामेव सह तेयसा भासं कुज्जा। ५. केइ तहारूवं समणं वा, माहणं वा अच्चासातेज्जा, से य
अच्चासातिए समाणे देवे परिकुविए तस्स तेयं णिसिरेज्जा। तत्थ फोडा संमुच्छंति, ते फोडा भिज्जति, ते फोडा भिण्णा समाणा तामेव सह तेयसा भासं कुज्जा।
६. केइ तहारूवं समणं वा, माहणं वा अच्चासातेज्जा, से य
अच्चासातिए समाणे परिकुविए देवे वि य परिकविए ते दुहओ पडिण्णा तस्स तेयं णिसिरेज्जा, तत्थ फोडा संमुच्छंति, ते फोडा भिज्जति, ते फोडा भिण्णा समाणा
तामेव सह तेयसा भासं कुज्जा। ७. केइ तहारूवं समणं वा, माहणं वा अच्चासातेज्जा से य
अच्चासातिए समाणे परिकुविए तस्स तेयं णिसिरेज्जा तत्थ फोडा संमुच्छंति, ते फोडा भिज्जति, तत्थ पुला संमुच्छंति, ते पुला भिज्जंति, ते पुला भिण्णा समाणा तामेव सह तेयसा भासं कुज्जा।