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क्रिया अध्ययन
१. पाडुच्चिया चेव,
२. सामन्तोवणिवाइया चेव। १. पाडुच्चिया किरिया दुविहा पण्णत्ता,तं जहा
१. जीवपाडुच्चिया चेव,
२. अजीवपाडुच्चिया चेव। २. सामन्तोवणिवाइया किरिया दुविहा पण्णत्ता,तं जहा
१. जीवसामन्तोवणिवाइया चेव,
२. अजीवसामन्तोवणिवाइया चेव।
दो किरियाओ पण्णत्ताओ,तं जहा१. साहत्थिया चेव,
२. णेसत्थिया चेव। १. साहत्थिया किरिया दुविहा पण्णत्ता,तं जहा
१. जीवसाहत्थिया चेव,
२. अजीवसाहत्थिया चेव।
२. णेसत्थिया किरिया दुविहा पण्णत्ता,तं जहा
१. जीवणेसत्थिया चेव, २. अजीवणेसत्थिया चेव। दो किरियाओ पण्णत्ताओ,तं जहा१. आणवणिया चेव,
२. वेयारणिया चेव। १. आणवणिया किरिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा
१. जीवआणवणिया चेव, २. अजीवआणवणिया चेव।
९०१ १. प्रातीत्यिकी (बाह्य पदार्थों से की जाने वाली क्रिया),
२. सामन्तोपनिपातिकी (प्रशंसा सुनने पर होने वाली क्रिया)। १. प्रातीत्यिकी क्रिया दो प्रकार की कही गई है, यथा
१. जीवप्रातीत्यिकी (जीव के निमित्त से होने वाली क्रिया),
२. अजीवप्रातीत्यिकी (अजीवके निमित्त से होने वाली क्रिया)। २. सामन्तोपनिपातिकी क्रिया दो प्रकार की कही गई है, यथा१. जीवसामन्तोपनिपातिकी क्रिया (अपने सजीव पदार्थों की
प्रशंसा), २. अजीवसामन्तोपनिपातिकी क्रिया (अपने अजीव पदार्थों
की प्रशंसा सुनने पर होने वाली क्रिया)। क्रिया दो प्रकार की कही गई है, यथा१. स्वहस्तिकी (अपने हाथ से होने वाली क्रिया),
२. नैसृष्टिकी (किसी वस्तु के फेंकने से होने वाली क्रिया)। १. स्वहस्तिकी क्रिया दो प्रकार की कही गई है, यथा१. जीवस्वहस्तिकी (अपने हाथ में रहे हुए जीव से दूसरे
जीव को मारने की क्रिया), २. अजीवस्वहस्तिकी (अपने हाथ में रहे हुए शस्त्र से दूसरे
जीव को मारने की क्रिया)। २. नैसृष्टिकी क्रिया दो प्रकार की कही गई है, यथा
१. जीव नैसृष्टिकी (जीव को फेंकने से होने वाली क्रिया), २. अजीव नैसृष्टिकी (अजीव को फेंकने से होने वाली क्रिया)। क्रिया दो प्रकार की कही गई है, यथा१. आज्ञापनी (आज्ञा देने से होने वाली क्रिया),
२. वैदारिणी (पदार्थों को छिन्न-भिन्न करने की क्रिया)। १. आज्ञापनी क्रिया दो प्रकार की कही गई है, यथा
१. जीव-आज्ञापनी (अन्य व्यक्तियों को आज्ञा देने की क्रिया), २. अजीव-आज्ञापनी (अजीव पदार्थों के संबंध में आज्ञा देने
__ की क्रिया)। २. वैदारिणी क्रिया दो प्रकार की कही गई है, यथा
१. जीव-वैदारिणी (जीवों को छिन्न-भिन्न करने की क्रिया), २. अजीव-वैदारिणी (अजीवों को छिन्न-भिन्न करने की क्रिया)। क्रिया दो प्रकार की कही गई है, यथा१. अनाभोगप्रत्यया (असावधानी से होने वाली क्रिया), २. अनवकांक्षाप्रत्यया (परिणाम सोचे बिना की जाने वाली
क्रिया)। १. अनाभोगप्रत्यया क्रिया दो प्रकार की कही गई है, यथा१. अनायुक्त-आदानता (असावधानी से वस्त्र आदि लेने की
क्रिया), २. अनायुक्त प्रमार्जनता (असावधानी से पात्र आदि के
प्रतिलेखन की क्रिया)। २. अनवकांक्षाप्रत्यया क्रिया दो प्रकार की कही गई है, यथा१. आत्मशरीर अनवकांक्षाप्रत्यया (स्व शरीर की अपेक्षा न
रखकर की जाने वाली क्रिया),
२. वेयारणिया किरिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा
१.जीववेयारणिया चेव, २. अजीववेयारणिया चेव। दो किरियाओ पण्णत्ताओ,तं जहा१. अणाभोगवत्तिया चेव, २. अणवकंखवत्तिया चेव।
१. अणाभोगवत्तिया किरिया दुविहा पण्णत्ता,तं जहा.
१. अणाउत्तआइयणया चेव,
२. अणाउत्तपमज्जणया चेव।
२. अणवकंखवत्तिया किरिया दुविहा पण्णत्ता,तं जहा
१. आयसरीरअणवकंखवत्तिया चेव,