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९०४ उ. गोयमा ! जस्स णं जीवस्स पारियावणिया किरिया
कज्जइ, तस्स पाणाइवायकिरिया सिय कज्जइ, सिय णो कज्जइ,
द्रव्यानुयोग-(२) उ. गौतम ! जिस जीव के पारितापनिकी क्रिया होती है,
जस्स पुण पाणाइवायकिरिया कज्जइ,
तस्स पारियावणिया किरिया णियमा कज्जइ। प. जस्स णं भंते !णेरइयस्स काइया किरिया कज्जइ,
तस्स आहिगरणिया किरिया कज्जइ? उ. गोयमा !जहेव जीवस्स तहेवणेरइयस्स वि।
एवं णिरंतरं जाव वेमाणियस्स।
प. जं समयं णं भन्ते ! जीवस्स काइया किरिया कज्जइ,
तं समयं आहिगरणिया किरिया कज्जइ, जं समयं आहिगरणिया किरिया कज्जइ,
तं समयंकाइया किरिया कज्जइ? उ. गोयमा ! एवं जहेव आइल्लाओ दंडओ भणिओ तहेव
भाणियव्वो जाव वेमाणियस्स। प. जं देसंणं भंते ! जीवस्स काइया किरिया कज्जइ,
तं देसंणं आहिगरणिया किरिया कज्जइ? उ. गोयमा ! एवं जहेव आइल्लाओ दंडओ भणिओ तहेव
जाव वेमाणियस्स। प. जंपएसंणं भंते ! जीवस्स काइया किरिया कज्जइ,
तंपएसं आहिगरणिया किरिया कज्जइ? उ. गोयमा ! एवं जहेव आइल्लाओ दंडओ भणिओ तहेव
जाव वेमाणियस्स। एवं एए-१.जस्स २.जं समयं , ३.जं देसं, ४.जं पएसं णं चत्तारि दंडगा होति।
-पण्ण. प.२२, सु. १६०७-१६१६ १०. चउवीसदंडएसु आओजिया किरियाणं परवणं
प. कइणं भंते ! आओजिया किरियाओ पण्णत्ताओ?
उसके प्राणातिपात क्रिया कदाचित् होती है और कदाचित् नहीं होती है, किन्तु जिस जीव के प्राणातिपात क्रिया होती है,
उसके पारितापनिकी क्रिया निश्चित होती है। प्र. भंते ! जिस नैरयिक के कायिकी क्रिया होती है
क्या उसके आधिकरणिकी क्रिया होती है ? उ. गौतम ! जिस प्रकार सामान्य जीवों का कथन है उसी प्रकार
नैरयिकों के संबंध में भी समझ लेना चाहिए। इसी प्रकार निरंतर वैमानिक पर्यन्त (क्रियाओं का परस्पर
सहभाव) कहना चाहिए) प्र. भंते ! जिस समय जीव कायिकी क्रिया करता है,
क्या उस समय आधिकरणिकी क्रिया करता है ? जिस समय आधिकरणिकी क्रिया करता है,
क्या उस समय कायिकी क्रिया करता है? उ. गौतम ! जिस प्रकार क्रियाओं का प्रारम्भिक दण्डक कहा है,
उसी प्रकार यहां भी वैमानिक पर्यन्त कहना चाहिए। प्र. भंते ! जिस देश में जीव कायिकी क्रिया करता है,
क्या उसी देश में आधिकरणिकी क्रिया करता है? उ. गौतम ! जिस प्रकार क्रियाओं का प्रारम्भिक दण्डक कहा है,
उसी प्रकार वैमानिक पर्यन्त यहां भी कहना चाहिए। प्र. भंते ! जिस प्रदेश में जीव कायिकी क्रिया करता है,
क्या उसी प्रदेश में आधिकरणिकी क्रिया करता है? उ. गौतम ! जिस प्रकार क्रियाओं का प्रारम्भिक दण्डक कहा
है उसी प्रकार वैमानिक पर्यन्त यहां भी कहना चाहिए। इस प्रकार (१) जिस जीव के (२) जिस समय में (३) जिस देश में (४) जिस प्रदेश में ये चार दण्डक होते हैं।
१०. चौबीस दंडकों में आयोजिका क्रियाओं का प्ररूपणप्र. भंते ! आयोजिका (जीव को संसार से जोड़ने वाली) क्रियाएं
कितनी कही गई हैं ? उ. गौतम ! आयोजिका क्रियाएं पांच कही गई हैं, यथा
उ. गोयमा ! पंच आओजिया किरियाओ पण्णत्ताओ,
तं जहा१.काइया जाव ५.पाणाइवायकिरिया। दं.१-२४ एवं नेरइयाणं जाव वेमाणियाणं।
१. कायिकी यावत् ५. प्राणातिपात क्रिया। दं. १-२४. इसी प्रकार नैरयिकों से वैमानिकों पर्यन्त पांचों क्रियाओं का कथन करना चाहिए। प्र. भंते ! जिस जीव के कायिकी आयोजिका क्रिया है,
प. जस्स णं भंते ! जीवस्स काइया आओजिया किरिया
अस्थि ,
तस्स आहिगरणिया आओजिया किरिया अस्थि, जस्स आहिगरणिया आओजिया किरिया अस्थि,
तस्स काइया आओजिया किरिया अस्थि? उ. गोयमा ! एवं एएणं अभिलावेणं ते चेव चत्तारि दंडगा
भाणियव्वा,तं जहा
क्या उसके आधिकरणिकी आयोजिका क्रिया है ? जिसके आधिकरणिकी आयोजिका क्रिया है,
क्या उसके कायिकी आयोजिका क्रिया है ? उ. गौतम ! इस प्रकार इन आलापकों से उन चार दण्डकों का
कथन करना चाहिए, यथा