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द्रव्यानुयोग-(२) २७. क्रिया अध्ययन
२७. किरिया-अज्झयणं
सूत्र
सूत्र
१. क्रिया अध्ययन का उपोद्घात_ 'क्रिया और अक्रिया नहीं है ऐसी संज्ञा नहीं रखनी चाहिए, अपितु
क्रिया भी है और अक्रिया भी है ऐसी मान्यता रखनी चाहिए।
२. क्रिया रुचि का स्वरूप
दर्शन, ज्ञान, चारित्र, तप, विनय, सत्य, समिति और गुप्ति आदि क्रियाओं में जिसकी भाव से रुचि है वह क्रिया रुचि है।
१. किरिया-अज्झयणस्स उक्खेवो
णत्थि किरिया अकिरिया वा,णेवं सन्नं निवेसए। अत्थि किरिया अकिरिया वा, एवं सन्नं निवेसए॥
-सूय. सु.२, अ.५, गा. ७७२ २. किरियारुई सरूवं
दंसणनाणचरित्ते,तव विणए सच्च समिइ गुत्तीसु। जो किरिया भावरुई, सो खलु किरियारुई नाम ।
-उत्त.अ.२८,गा.२५ ३. जीवेसु सकिरियत्त-अकिरियत्त परूवणं
प. जीवाणं भंते ! किं सकिरिया, अकिरिया? उ. गोयमा ! जीवा सकिरिया वि, अकिरिया वि। प. से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चइ
“जीवा सकिरिया वि, अकिरिया वि"? उ. गोयमा ! जीवा दुविहा पण्णत्ता,तं जहा
१. संसारसमावण्णगा य,२.असंसारसमावण्णगाय। १. तत्थ णं जे ते असंसारसमावण्णगा ते णं सिद्धा,
सिद्धा अकिरिया। २. तत्थ णं जे ते संसारसमावण्णगा ते दुविहा पण्णत्ता,
तं जहा१. सेलेसिपडिवण्णगा य,२.असेलेसिपडिवण्णगा य। १. तत्थ णं जे ते सेलेसिपडिवण्णगा ते णं अकिरिया। २. तत्थ णं जे ते असेलेसिपडिवण्णगा ते णं सकिरिया।
३. जीवों में सक्रियत्व-अक्रियत्व का प्ररूपण
प्र. भंते ! जीव सक्रिय होते हैं या अक्रिय होते हैं ? उ. गौतम ! जीव सक्रिय भी होते हैं और अक्रिय भी होते हैं। प्र. भंते ! किस कारण से ऐसा कहा जाता है कि
“जीव सक्रिय भी होते हैं और अक्रिय भी होते हैं ?" उ. गौतम ! जीव दो प्रकार के कहे गए हैं, यथा
१. संसारसमापन्नक.२. असंसारसमापन्नक। १. उनमें से जो असंसारसमापन्नक (संसारमुक्त) हैं वे सिद्ध
जीव हैं और जो सिद्ध हैं वे अक्रिय हैं। २. उनमें से जो संसारसमापन्नक (संसारप्राप्त) हैं, वे भी दो
प्रकार के हैं, यथा१. शैलेशीप्रतिपन्नक, २. अशैलेशी प्रतिपन्नक। १ उनमें से जो शैलेशी-प्रतिपन्नक (अयोगी) हैं वे अक्रिय हैं। २. उनमें से जो अशैलेशी-प्रतिपन्नक (सयोगी) हैं, वे
सक्रिय हैं। इस कारण से गौतम ! ऐसा कहा जाता है कि"जीव सक्रिय भी हैं और अक्रिय भी हैं।'
से तेणठेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ"जीवा सकिरिया वि, अकिरिया वि।"
-पण्ण.प.२२, सु. १५७३ ४. ओहेण किरियाएगा किरिया।
-ठाणं अ.१,सु.४ ५. विविहावेक्खया किरियाणं भेयप्पभेयाओ
दो किरियाओ पण्णत्ताओ,तं जहा
१. जीवकिरिया चेव, २. अजीवकिरिया चेव। १. जीवकिरिया दुविहा पण्णत्ता,तं जहा
१. सम्मत्तकिरिया चेव, २. मिच्छत्तकिरिया चेव। २. अजीवकिरिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा
१. इरियावहिया चेव, २. संपराइया चेव। दो किरियाओ पण्णत्ताओ, तं जहा
४. एक प्रकार की क्रिया
क्रिया एक है। ५. विविध अपेक्षाओं से क्रियाओं के भेद-प्रभेदक्रिया दो प्रकार की कही गई है, यथा१. जीव क्रिया,
२. अजीव क्रिया। १. जीव क्रिया दो प्रकार की कही गई है, यथा
१. सम्यक्त्व क्रिया, २. मिथ्यात्व क्रिया। २. अजीव क्रिया दो प्रकार की कही गई है, यथा
१. ऐर्यापथिकी (कषायमुक्त की क्रिया), २. साम्परायिकी (कषाययुक्त की क्रिया)। क्रिया दो प्रकार की कही गई है, यथा
१. सम.सम.१,सु.५