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८३५ छेदोपस्थापनीय संयत, सूक्ष्म संपराय संयत, संयमासंयम या
असंयम को प्राप्त करता है। प्र. भन्ते ! छेदोपस्थापनीय संयत, छेदोपस्थापनीय संयतपन को
छोड़ता हुआ क्या छोड़ता है और क्या प्राप्त करता है? उ. गौतम ! छेदोपस्थापनीय संयतपन को छोड़ता है,
सामायिक संयत, परिहारविशुद्धिक संयत, सूक्ष्म संपराय संयत, संयमासंयम या असंयम को प्राप्त करता है।
संयत अध्ययन
छेदोवट्ठावणियसंजयं वा, सुहमसंपरायसंजय वा,
संजमासंजमं वा,असंजमं वा उवसंपज्जइ। प. छेदोवट्ठावणियसंजए णं भंते ! छेदोवठ्ठावणियसंजयत्तं
जहमाणे किं जहइ, किं उवसंपज्जइ? उ. गोयमा ! छेदोवट्ठावणियसंजयत्तं जहइ,
सामाइयसंजय वा, परिहारविसुद्धियसंजयं वा, । सुहमसंपरायसंजय वा, संजमासंजमं वा, असंजमं वा
उवसंपज्जइ। प. परिहारविसुद्धियसंजए णं भंते ! परिहारविसुद्धिय
संजयत्तं जहमाणे किं जहइ, किं उपसंपज्जइ? उ. गोयमा ! परिहारविशुद्धियसंजयत्तं जहइ, ।
छेदोवट्ठावणियसंजय वा, असंजमं वा उवसंपज्जइ। प. सुहुमसंपरायसंजए णं भंते ! सुहुमसंपरायसंजयत्तं
जहमाणे किंजहइ.किंउवसंपज्जइ? उ. गोयमा ! सुहुमसंपरायसंजयत्तं जहइ,
सामाइयसंजयं वा, छेदोवट्ठावणियसंजय वा, अहक्खायसंजय वा, असंजमं वा उवसंपज्जइ। अहक्खायसंजए णं भंते ! अहक्खायसंजयत्तं जहमाणे किं
जहइ, किं उवसंपज्जइ? उ. गोयमा ! अहक्वायसंजयत्तं जहइ,
सुहुमसंपरायसंजयं वा, असंजमं वा, सिद्धिगई वा
उवसंपज्जइ। २५. सण्णा -दारंप. सामाइयसंजए णं भंते ! किं सण्णोवउत्ते होज्जा, नो
सण्णोवउत्ते होज्जा? उ. गोयमा ! सण्णोवउत्ते वा होज्जा, नो सण्णोवउत्ते वा
होज्जा।
एवं जाव परिहारविसुद्धियसंजए। प. सुहमसंपरायसंजए णं भंते ! किं सण्णोवउत्ते होज्जा, नो
सण्णोवउत्ते होज्जा? उ. गोयमा ! नो सण्णोवउत्ते होज्जा।
एवं अहक्खायसंजए वि। २६. आहार-दारंप. सामाइयसंजए णं भंते ! किं आहारए होज्जा, अणाहारए
होज्जा? उ. गोयमा ! आहारए होज्जा, नो अणाहारए होज्जा।
एवं जाव सुहुमसंपरायसंजए। प. अहक्वायसंजए णं भंते ! किं आहारए होज्जा,
अणाहारए होज्जा? उ. गोयमा ! आहारए वा होज्जा, अणाहारए वा होज्जा। २७. भव-दारप. सामाइयसंजएणं भंते ! कइ भवग्गहणाई होज्जा ? उ. गोयमा ! जहन्नेणं-एक्कं, उक्कोसेणं-अट्ठ।
एवं छेदोवट्ठावणयसंजए वि।
प्र. भन्ते ! परिहारविशुद्धिक संयत, परिहारविशुद्धिक संयतपन
को छोड़ता हुआ क्या छोड़ता है और क्या प्राप्त करता है? उ. गौतम ! परिहारविशुद्धिक संयतपन को छोड़ता है,
छेदोपस्थापनीय संयत को या असंयम को प्राप्त करता है। प्र. भन्ते ! सूक्ष्म संपराय संयत, सूक्ष्म संपराय संयतपन को छोड़ता
हुआ क्या छोड़ता है और क्या प्राप्त करता है? उ. गौतम ! सूक्ष्म संपराय संयतपन को छोड़ता है,
सामायिक संयत, छेदोपस्थापनीय संयत, यथाख्यात संयत या
असंयम को प्राप्त करता है। प्र. भन्ते ! यथाख्यात संयत, यथाख्यात संयतपन को छोड़ता हुआ
क्या छोड़ता है और क्या प्राप्त करता है? उ. गौतम ! यथाख्यात संयतपन को छोड़ता है,
सूक्ष्म संपराय संयत को या असंयम को प्राप्त करता है अथवा
सिद्धि गति को प्राप्त करता है। २५. संज्ञा-द्वारप्र. भन्ते ! सामायिक संयत क्या संज्ञोपयुक्त होता है या संज्ञोपयुक्त
नहीं होता है? उ. गौतम ! संज्ञोपयुक्त भी होता है और संज्ञोपयुक्त नहीं भी
होता है।
इसी प्रकार परिहारविशुद्धिक संयत पर्यन्त जानना चाहिए। प्र. भन्ते ! सूक्ष्म संपराय संयत क्या संज्ञोपयुक्त होता है या
संज्ञोपयुक्त नहीं होता है? उ. गौतम ! संज्ञोपयुक्त नहीं होता है।
इसी प्रकार यथाख्यातसंयत भी जानना चाहिए। २६. आहार-द्वारप्र. भन्ते ! सामायिक संयत क्या आहारक होता है या अनाहारक
होता है? उ. गौतम ! आहारक होता है, अनाहारक नहीं होता है।
इसी प्रकार सूक्ष्म संपराय संयत पर्यन्त जानना चाहिए। प्र. भन्ते ! यथाख्यात संयत क्या आहारक होता है या अनाहारक
होता है? उ. गौतम ! आहारक भी होता है, अनाहारक भी होता है। २७. भव-द्वार
प्र. भन्ते ! सामायिक संयत कितने भव ग्रहण करता है ? उ. गौतम ! जघन्य-एक भव, उत्कृष्ट-आठ भव।
इसी प्रकार छेदोपस्थापनीय संयत भी जानना चाहिए।