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प. सुहुमसंपरायसंजया णं भंते ! केवइयं कालं अंतर होइ?
उ. गोयमा !जहन्नेणं-एक्कं समयं,
उक्कोसेणं-छम्मासा।
अहक्खायाणं जहा सामाइयसंजयाणं। ३१. समुग्घाय-दारंप. सामाइयसंजयस्सणं भंते ! कइ समुग्घाया पण्णत्ता? उ. गोयमा !छ समुग्घाया पण्णत्ता,तं जहा
१.वेयणासमुग्घाए जाव ६.आहारसमुग्घाए।
एवं छेदोवट्ठावणियस्स वि। प. परिहारविसुद्धियसंजयस्स णं भंते ! कइ समुग्घाया
पण्णत्ता? उ. गोयमा ! तिन्नि समुग्घाया पण्णत्ता,तं जहा
१.वेयणासमुग्घाए, २. कसायसमुग्घाए,
३. मारणंतियसमुग्घाए। प. सुहुमसंपरायस्स णं भंते ! कइ समुग्घाया पण्णता? उ. गोयमा ! नत्थि एक्को वि। प. अहक्खायसंजयस्सणं भंते ! कइ समुग्घाया पण्णत्ता? उ. गोयमा ! एगे केवलिसमुग्घाए पण्णत्ते। ३२. खेत्त-दारंप. सामाइयसंजएणं भंते ! लोगस्स किं
संखेज्जइ भागे होज्जा, असंखेज्जइ भागे होज्जा, संखेज्जेसु भागेसु होज्जा, असंखेज्जेसु भागेसु होज्जा,
सव्वलोए होज्जा? उ. गोयमा ! नो संखेज्जइ भागे होज्जा,
असंखेज्जइ भागे होज्जा, नो संखेज्जेसु भागेसु होज्जा, नो असंखेज्जेसु भागेसु होज्जा, नो सव्वलोए होज्जा,
एवं जाव सुहुमसंपराए। प. अहक्खायसंजए णं भंते ! लोगस्स किं संखेज्जइ भागे
होज्जा जाव सव्वलोए होज्जा? उ. गोयमा ! नो संखेज्जइ भागे होज्जा,
असंखेज्जइ भागे होज्जा, नो संखेज्जेसु भागेसु होज्जा, असंखेज्जेसु भागेसु होज्जा, सव्वलोएवा होज्जा।
द्रव्यानुयोग-(२) प्र. भन्ते ! अनेक सूक्ष्म संपराय संयतों का कितने काल का अन्तर
होता है? उ. गौतम ! जघन्य-एक समय,
उत्कृष्ट-छः मास।
यथाख्यात संयत सामायिक संयत के समान जानना चाहिए। ३१. समुद्घात-द्वारप्र. भन्ते ! सामायिक संयत के कितने समुद्घात कहे गए हैं ? उ. गौतम ! छः समुद्घात कहे गए हैं, यथा
१. वेदना समुद्घात यावत् ६. आहारक समुद्घात।
इसी प्रकार छेदोपस्थापनीय संयत भी जानना चाहिए। प्र. भन्ते ! परिहारविशुद्धिक संयत के कितने समुद्घात कहे
गए हैं? उ. गौतम ! तीन समुद्घात कहे गए हैं, यथा
१. वेदना समुद्घात, २. कषाय समुद्घात,
३. मारणान्तिक समुद्घात। प्र. भन्ते ! सूक्ष्म संपराय संयत के कितने समुद्घात कहे गए हैं ? उ. गौतम ! एक भी समुद्घात नहीं है। प्र. भन्ते ! यथाख्यात संयत के कितने समुद्घात कहे गए हैं ? उ. गौतम ! एक केवली समुद्घात कहा गया है। ३२. क्षेत्र-द्वारप्र. भन्ते ! सामायिक संयत क्या
लोक के संख्यातवें भाग में होता है, असंख्यातवें भाग में होता है, संख्यात भागों में होता है, असंख्यात भागों में होता है या
सर्वलोक में होता है? उ. गौतम ! संख्यात भाग में नहीं होता है,
असंख्यात भाग में होता है, संख्यात भागों में नहीं होता है, असंख्यात भागों में नहीं होता है, सम्पूर्ण लोक में नहीं होता है।
इसी प्रकार सूक्ष्म संपराय संयत पर्यन्त जानना चाहिए। प्र. भन्ते ! यथाख्यात संयत क्या लोक के संख्यात भाग में होता है
यावत् सम्पूर्ण लोक में होता है ? उ. गौतम ! संख्यात भाग में नहीं होता है,
असंख्यात भाग में होता है, संख्यात भागों में नहीं होता है, असंख्यात भागों में होता है, सम्पूर्ण लोक में होता है।