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लेश्या अध्ययन
८५७ देवकुरुउत्तरकुरु-अकम्मभूमयमणुस्साणं एवं चेव।
देवकुरु और उत्तरकुरु क्षेत्र के अकर्मभूमिज मनुष्यों में भी इसी
प्रकार चार लेश्याएं कहनी चाहिए। एएसिं मणुस्सीणं एवं चेव।
इनकी मनुष्यस्त्रियों में भी इसी प्रकार चार लेश्याएं कहनी
चाहिए। धायइसंडपुरिमद्धे एवं चेव, पच्छिमद्धे वि।
धातकीखण्ड के पूर्वार्द्ध और पश्चिमार्द्ध में भी इसी प्रकार चार
लेश्याएँ कहनी चाहिए। एवं पुक्खरद्धे विभाणियव्वं।
इसी प्रकार पुष्कराद्ध द्वीप में भी चार लेश्याएं कहनी चाहिए। -पण्ण.प.१७,उ.६.सु.१२५७(१-१६) ४. देवेसु लेस्साओ
४. देवों में लेश्याएंप. देवाणं भंते ! कइ लेस्साओ पण्णत्ताओ?
'प्र. भंते ! देवों में कितनी लेश्याएं कही गई है? उ. गोयमा !छ लेस्साओ पण्णत्ताओ,तं जहा
उ. गौतम ! छह लेश्याएं कही गई है, यथा१. कण्हलेस्सा जाव ६ सुक्कलेस्सा।'
१. कृष्णलेश्या यावत् ६. शुक्ललेश्या। प. देवीणं भंते ! कइ लेस्साओ पण्णत्ताओ?
प्र. भंते ! देवियों में कितनी लेश्याएं कही गई हैं ? . उ. गोयमा ! चत्तारि लेस्साओ पण्णत्ताओ,तं जहा
उ. गौतम ! चार लेश्याएं कही गई हैं, यथा१. कण्हलेस्सा जाव ४. तेउलेस्सा।
१. कृष्णलेश्या यावत् ४. तेजोलेश्या। -पण्ण. प.१७, उ. २, सु. ११६५ असुरकुमाराणं चत्तारि लेस्साओ पण्णत्ताओ,तं जहा
१. असुरकुमारों में चार लेश्याएं कही गई है, यथा१. कण्हलेस्सा, २. नीललेस्सा,
१. कृष्णलेश्या, २. नीललेश्या, ३. काउलेस्सा, ४. तेउलेस्सा ।
३. कापोतलेश्या, ४. तेजोलेश्या। एवं जाव थणियकुमाराणं। -ठाण. अ.४, उ.३, सु.३१९
इसी प्रकार स्तनितकुमारों पर्यन्त चार लेश्याएं कहनी चाहिए। एवं भवणवासिणीण वि।
इसी प्रकार भवनवासी देवियों में भी चार लेश्याएं कहनी -पण्ण.प.१७, उ.२,सु.११६६ (२)
चाहिए। २. वाणमंतरदेवाणं देवीण विएवं चेव।
२. इसी प्रकार वाणव्यंतर देव और देवियों में भी चार
लेश्याएं कहनी चाहिए। ३. जोइसियाणं जोइसिणीण विएगा तेउलेस्सा।
३. ज्योतिष्क देव और देवियों के एक तेजोलेश्या है। -पण्ण. १७, उ.२, सु.११६७-११६८ प. ४. सोहम्मीसाणेसु णं भंते ! कप्पेसु देवाणं कइ लेस्साओ प्र. ४.भंते ! सौधर्म और ईशान कल्प में देवों की कितनी लेश्याएं पण्णत्ताओ?
कही गई हैं? उ. गोयमा ! एगा तेउलेस्सा पण्णत्ता।
उ. गौतम ! एक तेजोलेश्या कही गई है। -जीवा. पडि.३, उ.२, सु.२०१ प. (सोहम्मीसाणं) वेमाणिणी णं भंते ! कइ लेस्साओ प्र. (सौधर्म-ईशान) वैमानिक देव स्त्रियों में कितनी लेश्याएं कही
पण्णत्ताओ? उ. गोयमा ! एगा तेउलेस्सा पण्णत्ता,
उ. गौतम ! एक तेजोलेश्या है। -पण्ण.प.१७, उ.२, सु.११६९(२) सणंकुमारमाहिंदेसु एगा पम्हलेस्सा,
सनत्कुमार और माहेन्द्र में एक पद्मलेश्या है। एवं बम्हलोगे वि पम्हा।
इसी प्रकार ब्रह्मलोक में भी एक पद्मलेश्या है। लंतए एगा सुक्कलेस्सा जाव गेवेज्जा,
लान्तक कल्प से ग्रैवेयकों पर्यन्त एक शुक्ललेश्या है। अणुत्तरोववाइयाणं एगा परम सुक्कलेस्सा।
अनुत्तरोपपातिक देवों में एक परमशुक्ललेश्या है। -जीवा. पडि.३, उ.२,सु.२०१ २०. संकिलिट्ठाऽसंकिलिट्ठ विभागगय लेस्साणं सामित्त २०. संक्लिष्ट-असंक्लिष्ट विभागगत लेश्याओं के स्वामित्व का परूवणं
प्ररूपणअसुरकुमाराणं तओ लेस्साओ संकिलिट्ठाओ पण्णत्ताओ, असुरकुमारों के तीन संक्लिष्ट लेश्याएं कही गई हैं, यथा
तं जहा१. जीवा. पडि. १, सु. ४२ (४ लेश्या)
(ख) विया. स. १६, उ. ११ सु. २, ३. ठाणं. अ. २, उ. ४, सु. १२४ २. (क) विया. स. १७, उ. १३-१७
(ग) विया. स. १६, उ. १२-१४