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अन्तमुहुत्तम्मि गए, अन्तमुहुत्तम्मि सेसए चेव। लेसाहिं परिणयाहिं जीवा, गच्छन्ति परलोयं ॥
-उत्त.अ.३४,गा.५८-६० ३४. लेस्साणं पडुच्च गब्भ पजणण परूवणं
प. कण्हलेस्से णं भंते ! मणूसे कण्हलेस्सं गब्भंजणेज्जा?
उ. हंता, गोयमा !जणेज्जा। प. कण्हलेस्से णं भंते ! मणूसे णीललेस्सं गब्भ जणेज्जा?
उ. हंता, गोयमा ! जणेज्जा।
एवं काउलेस्सं तेउलेस्सं पम्हलेस्सं सुक्कलेस्सं छप्पि आलावगा भाणियव्या।
एवंणीललेसेण विकाउलेसेण वि तेउलेसेण वि पम्हलेसेण वि सुक्कलेसेण वि एवं एए छत्तीसं आलावगा।
प. कण्हलेस्सा णं भंते ! इत्थिया कण्हलेस्सं गभंजणेज्जा?
उ. हंता,गोयमा !जणेज्जा,
एवं एए वि छत्तीसं आलावगा। प. कण्हलेस्से णं भंते ! मणूसे कण्हलेसाए इत्थियाए
कण्हलेस्संगभंजणेज्जा? उ. हंता,गोयमा !जणेज्जा,
एवं एए विछत्तीसं आलावगा। प. कम्मभूमयकण्हलेस्से णं भंते ! मणुस्से कण्हलेस्साए
इत्थियाए कण्हलेस्सं गब्भंजणेज्जा? उ. हंता गोयमा !जणेज्जा,
एवं एए वि छत्तीसं आलावगा। प. अकम्मभूमयकण्हलेस्से णं भंते ! मणूसे __अकम्मभूमयकण्हलेस्साए इत्थियाए अकम्मभूमय
कण्हलेस्सं गभंजणेज्जा? उ. हंता, गोयमा !जणेज्जा,
णवर-चउसु लेसासु सोलस आलावगा एवं अंतरदीवगा वि भाणियव्वा।
-पण्ण.प.१७, उ.६, सु.१२५८ ३५. लेस्सं पडुच्च चउवीस दंडएसु अप्प-महाकम्मत्त परूवणं
द्रव्यानुयोग-(२) लेश्याओं की परिणति होने पर जब अन्तर्मुहूर्त व्यतीत हो जाता है और अन्तर्मुहूर्त शेष रहता है उस समय जीव परलोक में
जाते हैं। ३४. लेश्याओं की अपेक्षा गर्भ प्रजनन का प्ररूपणप्र. भंते ! क्या कृष्णलेश्या वाला मनुष्य कृष्णलेश्या वाले गर्भ को
उत्पन्न करता है? उ. हां, गौतम ! वह उत्पन्न करता है। प्र. भंते ! क्या कृष्णलेश्या वाला मनुष्य नीललेश्या वाले गर्भ को
उत्पन्न करता है? उ. हां, गौतम ! वह उत्पन्न करता है।
इसी प्रकार कापोतलेश्या, तेजोलेश्या, पद्मलेश्या और शुक्ललेश्या वाले गर्भ की उत्पत्ति के विषय में छह आलापक कहने चाहिए। इसी प्रकार नीललेश्या वाले, कापोतलेश्या बाले, तेजोलेश्या वाले, पद्मलेश्या वाले और शुक्ललेश्या वाले प्रत्येक मनुष्य के छः छः आलापक कहने चाहिए और इस प्रकार ये सब
छत्तीस आलापक हुए। प्र. भंते ! क्या कृष्णलेश्या वाली स्त्री कृष्णलेश्या वाले गर्भ को
उत्पन्न करती है? उ. हां, गौतम ! उत्पन्न करती है।
इस प्रकार ये भी छत्तीस आलापक कहने चाहिए। प्र. भंते ! कृष्णलेश्या वाला मनुष्य क्या कृष्णलेश्या वाली स्त्री से
कृष्णलेश्या वाले गर्भ को उत्पन्न करता है? उ. हां, गौतम ! वह उत्पन्न करता है।
इस प्रकार ये भी छत्तीस आलापक हुए। प्र. भंते ! कर्मभूमिक कृष्णलेश्या वाला मनुष्य कृष्णलेश्या वाली
स्त्री से कृष्णलेश्या वाले गर्भ को उत्पन्न करता है? उ. हां, गौतम ! वह उत्पन्न करता है।
इस प्रकार ये भी छत्तीस आलापक हुए। प्र. भंते ! अकर्मभूमिक कृष्णलेश्या वाला मनुष्य अकर्मभूमिक
कृष्णलेश्या वाली स्त्री से अकर्मभूमिक कृष्णलेश्या वाले गर्भ
को उत्पन्न करता है? उ. हां, गौतम ! वह उत्पन्न करता है। विशेष-चार लेश्याओं के कुल सोलह आलापक होते हैं। इसी प्रकार अन्तरद्वीपज के भी सोलह आलापक कहने
चाहिए। ३५. लेश्याओं की अपेक्षा चौवीसदंडकों में अल्प-महाकर्मत्व की
प्ररूपणाप्र. दं. १. भंते ! क्या कृष्णलेश्या वाला नैरयिक कदाचित्
अल्पकर्मवाला और नीललेश्या वाला नैरयिक कदाचित्
महाकर्मवाला होता है? उ. हां, गौतम ! कदाचित् ऐसा होता है।
प. दं. १. सिय भंते ! कण्हलेस्से नेरइए अप्पकम्मतराए,
नीललेस्से नेरइए महाकम्मतराए?
उ. हंता, गोयमा ! सिया।
१. (क) विया. स. १९, उ.२, सु.१
(ख) सम. सु. १५३ (३)