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प्रमेयचन्फिा टीश २ ३ ४ १ ममिभूति प्रति भगवदुत्तर ३३ सामानिकदेव तिर्यग-असरच्ययान, द्वीपसमुद्रान बहुमिरमरकुमार देवेश देवी मिय आफीर्णान, व्यतिकीर्णान, उपम्तीर्णान, सस्तीर्णान् , स्पृष्टान्, अवगाढाव गाहान् पर्नु म, एप ग्वलु गौतम ! ममरम्य अमरेन्द्रस्य, असुरराजस्प एकेकस्य सामानिकटेवस्य अयम् एतपो विषय , पियमानम् उदितम्, नोचैव खल सम्मत्या म्याकापुर्वा, विकुर्वन्ति वा विकृर्विष्यन्ति वा । मु० ॥३॥ सखेने दीयममुद्दे पाहिं असुरकुमारे देवेहिं देवीरिंय आइण्णे वितिकिपणे उपत्यढे मथडे फुडे अबगाढावगादे करेतरा पभू ] उस असुरेन्द्र असुरराज चमर का एक एक मामानिक देव इस तिर्यग्लोक में असह्यात दीपों और समुद्रों तक के स्थलको अनेक असुरकुमार दवा से और अनेय देवियोंसे आकीर्ण, व्यतिकीर्ण, ऊपस्तीर्ण, सस्तीर्ण, स्पृष्ट, ग्व अवगादारगाढ फरने के लिये समर्थ है। [एस ण गोयमा ! चमरस्स असुरिंदस्स असुररण्णो एगमेगस्स सामाणियदेवस्स अयमेयारवे विस, विसयमेत्ते चुइए णा घेव ॥ सपनीए विकृधिसु वा विकुन्यति घा, विकुन्विस्सति चा] हे गौतम ! असुरेन्द्र असुरराज घमर के एकर सामानिक देव का जो यह पूर्वोक्त रूपसे विपय कहा गया है-यह फेघल विपयमान ही है अर्थात्-इस कथन से यही प्रकट किया गया है कि एक सामानिक देव में इतनी२ विक्रिया करने की शक्तिह पर आजतक उसने ऐमी विक्रिया नहीं की है, न वह करता है और न वह आगे भी करेगा ।। सू० ३॥ एगमेगे सामाणियदेवे तिरियममखेग्जे दीवसमुदं यहहिं अमरकुमारेहि देवेर्हि देवीहि य आइपणे मितिकिपणे उचत्यरे, सयडे, फटे अवगावावगाटे परेचए पम्) કે મોતમ ! તે અસરન્દ્ર અસરરાજ શમના પ્રત્યેક સામાનિક દેવ તિયકના બસ ખ્યાત દ્વીપ અને સમુદ્રને પશુ અનેક અમરકુમાર દે અને દેવીથી આgિ" વ્યતિકી, ઉપસ્તી, સપ્તીર્ણ પૃષ્ટ અને અવગાહિત કરવાને સમર્થ છે (एस ण गोयमा ! चमरस्स अमरिंदस्स असुररण्णो एगमेसरस सामाणियदेवस्स अपमेयारवे पिसए, विसयमेसे पुरए णो चेव ण सपत्तीए बिब्धिमु या पियंति वा, विकुन्मिस्सति वा) गीतभ । भसुरेन्द्र सु२१५ यमरना प्रत्या સામાનિક દેવની વકિવ શકત બતાવવાને માટે જ ઉપરોક્ત વર્ણન કરવામાં આવ્યું છે પણ તેમણે ખાલી કરી એક એવી વિહ્યા કરી નથી, વર્તમાન કાળે પણ તેઓ એવી વિકિયા જતા નથી અને ભવિષ્યમાં પણું કરશે ની છે જ. તે છે કે