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भगवतीमो मूलम्ज इ ण भते १ चमरे असुरिदे, असुरराया एवं महिडीए, जाव एवइय च ण पभू विउवित्तए, चमरस्स ण भते! असुरिंदस्स, असुररणो, सामाणिया देवा के महिडिया, जाव केवइय च ण पभू विउवित्तए ॥ सू०२॥ ___ छाया-यदि भगवान् ! चमर अमरेन्द्र अमुररान एष महद्धिक , यावत एतावञ्च पसु विकुर्वितुम्, चमरस्य भगवन् ! असुरेन्द्रम्य, असुरराजस्य सामानिका देवाः किं महर्दिया यावद-फियच प्रमुर्विवर्वितम् ।।मू० २।। ____टीका-"जरण मते !" यदि खल मदन्त ! "घमरे अमरिंदे असुरराया" घमर अमरेन्द्र अमुरराज "एव महिहीए" एव महर्दिक पूर्वोक्तमहाऋदि
'जइण मते ! चमरे असुरिंदे असुरराया' इत्यादि ।
सूत्रार्थ-(जहण भते ! धमरे अमरिंदे असुरराया एव महिडिए जाव एषय च ण पमू विउव्यित्तए) हे भदन्त ! असुरेन्द्र असुरराज चमर ऐसी पड़ी ऋदिवाला है यावत् पद इस प्रकार की ऐसो २ विकुर्यणा करने की पढी चढ़ी हुई शक्तिघाला है, तो (चमरस्सण मते ! असुरिंदस्स असुररण्णो सामाणिया देवा के महिदिया जाय केवइयं च ण पभूविष्मित्तए) हे मदन्त ! उस असुरेन्द्र असुरराज धमर के जो सामानिक देव हैं कितनी पड़ी द्विधाले. यावत उनकी विक्कुर्वणा शक्ति कितनी है ? सू०२॥
टोकार्य-'जइण मते ! 'हे मदन्त ! यदि 'चमरे असुरिंदे चमर असुरेन्द्र 'मसुरराया' भसुरराज 'एव महिसिए' पूर्वोक्त ऐसी महा
"माण मये! चमरे अमरिंदे अमुरराया" इत्यादि । सा-(माण मते! चमरे अमरिये अमुरराया एवं महिदिए जाव पसार्य य ण पम विउव्यिवए): मन्त! अरेन्द्र, सरस समर આટલી બધી ઋદ્ધ આદિથી યુક્ત છે અને તે આટલી બધી વૈકિય શકિતવાળો છે તે (चमरस्सण मंते ! भमुरिंदस्स अमुररको सामाणिया देवा के महरिया नाव केपाय च णं पम बिउबिचए) शान्त ! सुन्, HAR भरना આન, રેવા દેટલી ઋદ્ધિ આદિથી યુક્ત છે? અને તેને કેવી વૈશિકિત પણ છે?
-"माण भते" या भोतम स्वामी महावीर प्रभुन 20 કે જ અસર અસુરરાજ ચમ૨ માટે બ સતિવાળા છે, અને તે આટી