________________
भगवतीमुत्रे
मूलम् - जइ ण भते १ चमरे असुरिंद, असुरराया एव महिहीए, जाव एवइय व णं पभू विउवित्तए, चमरस्स णं भते ! असुरिंदस्स, असुररण्णो, सामाणिया देवा के महिड़िया, जाव केवड्य च ण पभू विउवित्तए ॥ सू० २ ॥
छाया - यदि भगवान् ! चमर असुरेन्द्रः असुरराज एव महद्धिनः, याta area म विकुर्वितुम्, चमरस्य भगवन् ! असुरेन्द्रस्य, असुरराजस्य सामानिका देवा कि महर्द्धिमाः यावत् क्रियच मर्विकुर्विम् || २ ||
२८
टीका - "जइण भते !" यदि खलु मदन्त ! " चमरे असुरिंदे असुररामा " चमरः अनुरेन्द्र अनुरराज "एव महिहीए" एव महर्द्धिकः पूर्वोक्तमहाऋद्धि
4
जण मते । चमरे असुरिंदे असुरराया' इत्यादि ।
सूत्रार्थ - ( जण भते ! चमरे असुरिंदे असुरराया एव महिदिए जव एवइये चण पभू विउन्वितए) हे भदन्त ! असुरेन्द्र असुरराज मर ऐसी पड़ी ऋद्धिवाला है यावत् यह इस प्रकार की ऐसो २ विकर्षणा करने की पढी घटी हुई शक्तिषाला है, तो ( थमरस्सन मते ! असुरिंदस्स असुररण्णो सामाणिया देवा के महिडिया जाब hurय चणं पभूषिष्मियए) हे भदन्त ! उस असुरेन्द्र असुरराज चमर के जो सामानिक देव हैं वे कितनी पड़ी ऋद्धिषाले हैं यावत् उनकी विकर्षणा शक्ति कितनी है ? ||०२||
टीकार्य - 'अइण भते ! ' हे भदन्त ! यदि 'चमरे असुरिंदे' चमर असुरेन्द्र 'अनुरराया' असुरराज 'एष महिसिए' पूर्वोक्त ऐसी महा ' जण मते ! चमरे असुरिंदे असुरराया " इत्यादि ।
66
सूत्रार्थ - ( जण भवे ! चमरे अमरिंदे ममुरराया एव महिदिए जान एव य ण प विविधर) से सहत ! ले सुरेन्द्र शर આટલી બષી ઋદ્ધિ ાથી મુક્ત છે અને તે આટલી બધી વૈક્રિય શકિતવાળે છે તે ( मरस्समंते ! दिस्स असुररण्णो सामाणिया देवा के महट्टिया जान के चणे पर विपि १) व असुरेन्द्र, असुरराम भरना a સામાનિક તેવા રેટી ઋષિ ભાતિથી યુક્ત છે ? અને તે કેવી વૈક્રિયક્તિ ધાવે છે? टीडार्थ- "मण भते त्याहि गौत्तम स्वाभी महावीर अने
Q
કેલ્સિ અસુરન' અરરાજ શ્રમર આટા મા હિવાળે છે, અને તે આટલી