________________ 41 धर्म का मर्म : पूज्यपाद व्याख्यान वाचस्पति जाचार्य भगवंत श्रीमद् विजयरामचन्द्रसूरीश्वरजी महाराजश्रीके प्रभावक प्रवचनोमें से सकलित मनन-निदिध्यासन सभर सुविचारपूर्ण सदुपदेश कंडिकाए उद्बोधक एवं जीवन में अतिशय प्रेरणाप्रद. संपादक विद्वान पू. मुनिराजश्री पूर्णचन्द्रविजयजी म.श्रीने सुदर परिश्रम लेकर सुचारु रुपसे संपादित कीया हुआ यह ग्रंथरत्नको गुजरातीमे दो आवृत्ति प्रकाशित हुई है. ગુજરાતી તથા હિંદી દરેક પ્રકારના અમારાં પ્રકાશન માટે નીચે મુજબના સરનામે स.५४ साधा विनति छे. प्राप्ति स्थान : 1. विमल आशन महि२ . .. C./o. मणिला स३५ भाटीया है. उस२-निवास, गार शश, पाटण ( 8. शुशत) पान न. 384 265 2. सोमय . शाह C./o. सुधाषा आयर्यालय, पालीताए। (शुभरात) चीन न. 394 270 P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust