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उक्कोसेणं सयपुहत्तं, पुव्वपडिवन्नए पडुच्चजहन्नेणं कोडिसयपुहत्तं, उक्कोसेणं वि कोडिसयपुहत्तं,
एवं पडिसेवणाकुसीला वि, प. कसायकुसीला णं भंते ! एगसमएणं केवइया होज्जा? उ. गोयमा ! पडिवज्जमाणए पडुच्चसिय अत्थि, सिय नत्थि, जइ अस्थि जहन्नेणं-एक्को वा, दो वा, तिण्णि वा, उक्कोसेणं सहस्स पुहत्तं। पुव्वपडिवन्नए पडुच्चजहन्नेणं कोडिसहस्स पुहत्तं,
उक्कोसेण वि कोडिसहस्स पुहत्तं। प. नियंठाणं भंते ! एगसमए णं केवइया होज्जा? उ. गोयमा ! पडिवज्जमाणए पडुच्च
सिय अस्थि, सिय नत्थि, जइ अस्थि जहन्नेणं एक्को वा, दो वा, तिण्णि वा, उक्कोसेणं बावट्ठ सयं, अट्ठसयं खवगाणं, चउप्पण्णं उवसामगाणं, पुव्वपडिवन्नए पडुच्चसिय अस्थि, सिय नत्थि, जइ अत्थि जहन्नेणं-एक्को वा, दो वा, तिण्णि वा,
उक्कोसेणं-सयपुहत्तं, प. सिणाया णं भंते ! एगसमएणं केवइया होज्जा? उ. गोयमा ! पडिवज्जमाणए पडुच्च
सिय अस्थि, सिय नत्थि, जइ अस्थि जहन्नेण-एक्को वा,दी वा, तिण्णि वा, उक्कोसेणं अट्ठसयं। पुव्वपडिवन्नए पडुच्चजहन्नेणं कोडिपुहत्तं,
उक्कोसेण वि-कोडिपुहत्तं, ३६. अप्पबहुत्त-दारंप. एएसि णं भंते ! १. पुलाग, २. बउस,
३. पडिसेवणाकुसील, ४. कसायकुसील, ५. णियंठ, ६. सिणायाणं कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा जाव
विसेसाहिया वा? उ. गोयमा ! १. सव्वत्थोवा णियंठा,
२. पुलागा संखेज्जगुणा, ३. सिणाया संखेज्जगुणा, ४. बउसा संखेज्जगुणा, ५. पडिसेवणाकुसीला संखेज्जगुणा, ६. कसायकुसीला संखेज्जगुणा,
-विया.स.२५, उ.६.सु.१-२३५
द्रव्यानुयोग-(२) उत्कृष्ट-अनेक सौ होते हैं। पूर्वप्रतिपन्न की अपेक्षाजघन्य भी अनेक सौ करोड़ होते हैं, उत्कृष्ट भी अनेक सौ करोड़ होते हैं।
इसी प्रकार प्रतिसेवना कुशील का कथन करना चाहिए। प्र. भन्ते ! कषायकुशील एक समय में कितने होते हैं? उ. गौतम ! प्रतिपद्यमान की अपेक्षा
कभी होते हैं और कभी नहीं होते हैं, यदि होते हैं तो जघन्य-एक, दो या तीन, उत्कृष्ट-अनेक हजार होते हैं। पूर्वप्रतिपन्न की अपेक्षाजघन्य भी अनेक हजार करोड़ होते हैं।
उत्कृष्ट भी अनेक हजार करोड़ होते हैं। प्र. भन्ते ! निर्ग्रन्थ एक समय में कितने होते हैं ? उ. गौतम ! प्रतिपद्यमान की अपेक्षा
कभी होते हैं और कभी नहीं होते हैं, यदि होते हैं तो जघन्य-एक, दो, तीन, उत्कृष्ट-एक सौ बासठ होते हैं, उसमें क्षपक-एक सौ आठ, उपशामक-चौपन। पूर्वप्रतिपन्न की अपेक्षाकभी होते हैं और कभी नहीं होते हैं, यदि होते हैं तो जघन्य-एक, दो, तीन,
उत्कृष्ट-अनेक सौ होते हैं। प्र. भन्ते ! स्नातक एक समय में कितने होते हैं ? उ. गौतम ! प्रतिपद्यमान की अपेक्षा
कभी होते हैं और कभी नहीं होते हैं। यदि होते हैं तो जघन्य-एक, दो, तीन, उत्कृष्ट-एक सौ आठ होते हैं। पूर्वप्रतिपन्न की अपेक्षाजघन्य भी अनेक करोड़ होते हैं,
उत्कृष्ट भी अनेक करोड़ होते हैं। ३६. अल्प-बहुत्व-द्वारप्र. भन्ते ! १. पुलाक, २.बकुश, ३. प्रतिसेवनाकुशील,
४. कषायकुशील, ५. निर्ग्रन्थ और ६.स्नातक इनमें से कौन किससे अल्प यावत् विशेषाधिक है?
उ. गौतम ! १. सबसे अल्प निर्ग्रन्थ हैं।
२. (उनसे) पुलाक संख्यातगुणे हैं। ३. (उनसे) स्नातक संख्यातगुणे हैं। ४. (उनसे) बकुश संख्यातगुणे हैं। ५. (उनसे) प्रतिसेवनाकुशील संख्यातगुणे हैं। ६. (उनसे) कषायकुशील संख्यातगुणे हैं।