Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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काष्ठा प्राचीन चरित्रकोश
कीर्तिमत् काष्ठा--प्राचेतस दक्ष प्रजापति तथा असिनी की | २. धर्मपुत्र संकट का पुत्र । इससे भूमि पर के दुर्गाभिकन्या । यह कश्यप की पत्नी थी (कश्यप देखिये)। नानी देव उत्पन्न हुए (भा. ६.६)।
काष्टाहारिण--कश्यपगोत्रीय एक गोत्रकार । कीचक--केकय तथा मालवी के एक सौ छः पुत्रों में कासार-व्यास की ऋशिष्यपरंपरा के बाष्कलि | ज्येष्ठ । इसके छोटे भ्राताओं को उपकीचक कहते थे। का शिष्य (व्यास देखिये)।
विराट की पत्नी सुदेष्णा इसकी सौतेली मौसेरी बहन थी। कासोरु--अंगिरागोत्रीय एक गोत्रकार ।
यह बाण का अंशावतार था (म. वि. परि. १.१९. काहोडि--अगल का पैतृक नाम ।
२५-२७)। विराट ने इसे अपना सेनापति बनाया था। किंकर-एक राक्षस । विश्वामित्र की आज्ञानुसार यह एक बार सुदेष्णा के महल में, सैरंध्री का वेश धारण कल्माषपाद गजा के शरीर में प्रविष्ट हुआ था। की हुई द्रौपदी इसे दिखाई दी। पूछताछ करने के बाद
किंकिण--(सो. क्रोष्ट.) सात्वतपुत्र भजमान की यह उससे अनुनय करने लगा। द्रौपदी ने इसका दूसरी स्त्री के तीन पुत्रो में दूसरा । विष्णुमत में इसे कृकण धिक्कार किया। उसने इसे धमकी दी कि, उसके गंधर्वपति तथा मत्स्यमत में कृमिल नाम है।
इसका वध कर डालेंगे। बहन से सलाह कर, यह सैरंध्री किंदम-मृगरूप ले कर मृगी के साथ क्रीडा करने को अपने घर ले आया, तथा उससे अतिप्रसंग करने लगा। वाला एक ऋषि । इसका वध पांडुराजा ने किया, अतः परंतु वहाँ से भाग कर वह राजदरबार में गई। वहाँ इसने पांडुराजा को शाप दिया (म. आ. १०९)। भरी सभा में, उस पर लत्ताप्रहार कर, इसने उसकी चोटी
किन्नर--(सू. इ. भविष्य.) विष्णु तथा वायु के मत | पकड कर नीचे गिरा दिया। कीचक के घर जाते समय द्रौपदी में सुनक्षत्र का पुत्र । मत्स्यपुराण में किन्नराश्व पाठमेद है। ने सूर्य की प्रार्थना की। सूर्य से निजरक्षा के लिये प्राप्त इसका मुख्य नाम पुष्कर था।
राक्षस ने इसे दूर फेंक दिया। सैरंध्री ने यह समाचार भीम किन्नराश्व-किन्नरं देखिये।
से कहा । उसने बडी ही कुशलता से इस को काबू में ला किम्पुरुष-आग्नीध्र के नौ पुत्रों में दूसरा । इसकी | कर, इसका वध किया (म. वि. २१. ६२; भीमसेन पत्नी का नाम प्रतिरूपा । यह किंपुरुषवर्ष का ही अधिपति | देखिये)। था (भा. ५.२; आग्नीध्र देखिये)।
२. भारतीय युद्ध का दुर्योधनपक्षीय राजा। २. स्वारोचिष मन्वन्तर का एक मनुपुत्र।
कीर्ति--कुन्ति २. देखिये । किरात-एक शिवावतार । मूक नामक दानव का |
२. दक्ष प्रजापति की कन्या, तथा धर्म की पत्नी (म. इसने सूकर रूप में वध किया (असमाति देखिये)। ।
ने देखिये )। आ. ६०.१३)। - किर्मीर--एक नरभक्षक राक्षस । बकासुर का भ्राता
का माता । ३. प्रियव्रत राजा की ज्येष्ठ पत्नी (गणेश.२.३२.१३; (म. आर. १२.२२)। यह काले रंग का था तथा | विनियो। वैत्रकीय नामक वन में (बेत के वन में) रहता था।
४. सुतपदेवों में से एक । हस्तिनापुर से निकल कर पांडव जब काम्यकवन में आये।
कीर्तिधर्मन--भारतीययुद्ध में पांडवपक्ष का एक राजा तब भीमसेनद्वारा अपने भाई के वध का प्रतिशोध लेने के लिये, यह उस वन में आया। इसने पांडवों का | (मद्रा. १३३.२७)। मार्ग चारों ओर से रोक दिया। भीमसेन के साथ इसका | कीर्तिमत्--(सू. इ.) नृगपुत्र। इसने वैशाख घनघोर युद्ध हुआ । उसमें इस की मृत्यु हो गई (म.
माहात्म्य के बल से यमलोक निर्जन बनाया (स्कन्द. २. व. १२.६७)। बाद में पांडव द्वैतवन गये।
७.१२-१३)। किलकिल--ब्रह्मांडमतानुसार किलकिला नगरी में । २. उत्तानपाद तथा सुनृता के दो पुत्रों में से कनिष्ठ । राज्य करनेवाला एक राजवंश ।
ध्रुव्र का भ्राता। किशोर-बलि दैत्य के पुत्रों में से एक (मत्स्य. | ३. भागवत, विष्णु, मत्स्य तथा वायु के मतानुसार
देवकी से जनित वसुदेवपुत्र । कंस ने इसका वध किया। कीकट--(स्वा. प्रिय.) भागवतमतानुसार ऋषभ | यह कृष्ण का बड़ा भाई था। वादे के अनुसार न मारते हुए तथा जयंती का पुत्र। .
कंस ने इसे छोड़ दिया था, परंतु नारद के उपदेश के