Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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चित्ररथ
प्राचीन चरित्रकोश
चित्रशिखंडिन
से भी करने को कहा । इसी कारण दोनों राजाओं को पुत्र २. पार्वती की सखी । पूर्वजन्म में यह शतशंग की हुए। इसे चतुरंग नाम एक पुत्र हुआ (भा. ९.२३. | कन्या थी । जन्म से ही इसे बकरी का मुख था । ७-२०)।
इसके पूर्वजन्म में यह बकरी थी। महीसागर संगम में ८. दशरथ का सारथि।
केवल इसका धड़ गिरा। इसके धड़ ने राजकुल में जन्म ९. (सो. क्रोष्ट.) भागवत मतानुसार रुशेकु तथा | लिया । सिर अलग जा गिरने के कारण, वह उसी रूप में मत्स्य मतानुसार सौम्य का पुत्र (रुशेकु देखिये)। जन्मा। बाद में स्तंभतीर्थ पर इसने व्रत, उद्यापन आदि १०. वृष्णिपुत्र (चित्र ५. देखिये)।
किया। सिर हूँढ कर उसका भस्म कर संगम में डाला । स्कन्द ११. मार्तिकावतक देशीय राजा। यह जमदग्नि का | के द्वारा बाँधा गया मंदिर जीण हो गया था। उसे सोने समकालीन था। इसकी क्रीड़ा देखते रहने के कारण,
का बना कर इसने उसका जीर्णोद्धार किया। तब शंकर ने रेणुका को नदी से घर वापस आने में देर हुई (म. व. इससे कहा, तुम्हारे 'कुमारी' नाम के कारण, मैं यहाँ ११६.६; जमदग्नि देखिये;)।
"कुमारीश" के नाम से प्रसिद्ध होऊंगा। शंकर ने इसे
महाकाल नामक सिद्ध से विवाह करने के लिये कहा। १२. भारतीययुद्ध में पांडवों के पक्ष का एक शैब्य
तदनंतर उससे विवाह कर के यह रुद्रलोग में गई । वहाँ राजा (म. द्रो. २२.५१)।
पार्वती ने इसे चित्रलेखा नामक अपनी सखी बनायी १३. (सो. नील.) द्रुपदपुत्र । द्रोणाचार्य ने इसका
(स्कन्द. १.२.३.९)। वध किया । इसे वीरकेतु, चित्रवर्मा तथा सुधन्वा नामक तीन भाई थे (म. द्रो. ९८.३७)।
३. चित्रगुप्त देखिये। १४. अंग देश का राजा। इसकी स्त्री प्रभावती, ऋषि
चित्रवती-वसु की पत्नी । देवशर्मा की रुचि नामक स्त्री की बहन थी। प्रभावती के
चित्रवर्मन् (सो. कुरु.) धृतराष्ट्र का पुत्र । भीम घर होनेवाले विवाह समारंभ में अप्सराओं द्वारा | ने इसका वध किया (म. द्रो. १११.१८-१९:)। नीचे डाले गये पुष्पों में से कुछ पुष्प, रुचि ने अपने २. (सो. नील.) द्रुपदपुत्र पांचाल । भारतीय युद्ध में बालों में लगाये। यह देख कर प्रभावती ने कहा, 'मुझे द्रोण ने इसका वध किया (म. द्रो. ९८.३७-४१.)। भी ऐसे पुष्प दो। तब रुचि ने यह बात अपने पति को | इसका बंधु वीरकेतु। . बताई। उसके पति देवशर्मा ने अपने शिष्य विपुल द्वारा ३. पांचाल सुचित्र का पुत्र । भारतीययुद्ध में द्रोण ने ऐसे पुष्प मँगवाये (म. अनु. ७७. कुं.)।
इसका वध किया (म. क. ४.७८)। १५. (सो. कुरु. भविष्य.) भविष्य मतानुसार निश्चक्र ४. सीमंतिनी देखिये। का पुत्र । मत्स्य मतानुसार भूरिपुत्र, भागवत मतानुसार | चित्रवाहन-मणलूर नगर का पांड्य राजा । प्रभंजन उक्तपुत्र, वायु तथा विष्णु मतानुसार उष्णपुत्र । इसने | इसका मूल (आदि) पुरुष था । मलयध्वज तथा प्रवीर एक हजार वर्ष राज्य किया।
इसके अन्य नाम हैं। अर्जुन तीर्थयात्रा करने जाने लगा। चित्ररूप--रुद्रगणों में से एक ।
उस समय इसने अपनी कन्या चित्रांगदा, अर्जुन की इच्छाचित्ररेखा--कृष्ण की प्रिय गोपी ( पन. पा. ७७)। नुसार, विवाहविधि से इसे दी। बाद में अर्जुन से उसे
२. बाणासुर के कुंभांड नामक प्रधान की कन्या। यह बभ्रुवाहन नामक पुत्र हुआ। उसी के हाथ में इसने राज्यउषा की सखी थी। यह चित्रकला में कुशल थी। इसने सूत्र दिये (म. आ. २०७.१४; स. परि. १. ऋ. १५)। कृष्ण के नाती अनिरुद्ध को योगसामर्थ्य से उठा लाया था। भारतीययुद्ध में अश्वत्थामा ने इसका वध किया (म. क. चित्रलेखा भी इसका नाम है. (भा. १०.६२.१४)। । ५६.)।
चित्ररेफ--(स्वा. प्रिय.) मेघातिथि के सात पुत्रों | चित्रवेगिक--एक सर्प (म. आ. ५२.१७)। में से एक । इसका खंड इसी के नाम से प्रसिद्ध है (भा. चित्रशिखंडिन्--मरीचि, अंगिरा, अत्रि, पुलस्त्य, १०.६२.१४)।
पुलह, ऋतु, तथा वसिष्ठ इन सप्तर्पियों के समुदाय के चित्रलेखा--एक अप्सरा । पुरूरवस् ने केशिन् नामक | लिये यह संज्ञा दी गयी है (भवि. ब्राह्म. २२; म. शां. दैत्य को मार कर इसे मुक्त किया था ।
| ३२२.२७)। २१२