Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
View full book text
________________
प्राचीन चरित्रकोश
वसाति
बढ़ा, तत्र अभिमन्यु ने इसका वध किया ( म. द्रो. ४३. ८-१०) ।
:
२. (सो, कुरु.) एक राजा, जो जनमेजय पारीक्षित उत्पन्न हुए वे कारवाँ पुत्र था (म. आ. ८९.५० ) ।
३. एक लोकसमूह, जो भारतीय युद्ध में भीष्म की रक्षा करता था (म. भी. ४७.१४ ) । अर्जुन ने इन लोगों का संहार किया।
वसातीय - अभिमन्यु के द्वारा मारे गये 'वसाति' राजा का नामान्तर (म. प्र. ४१.८ ) । इसे 'बसात्य' नानान्तर भी प्राप्त था ( म. द्रो. ४३.११; वसाति १. देखिये) ।
वसित - दक्षसावर्णि मन्वन्तर का एक ऋषि । वसिष्ठ - एक ऋषि, जो स्वायंभुव मन्वंतर में उत्पन्न हुए ब्रह्मा के दस मानसपुत्रों में से एक माना जाता है। वसिष्ठ नामक सुविख्यात ब्राह्मणवंश का मूलपुरुष भी यही कहलाता है । यह ब्राह्मणवंश सदियों तक अयोध्या के इक्ष्वाकु राजवंश का पौराहित्य करता रहा।
जन्म- यह ब्रह्मा के प्राणवायु (समान) से उत्पन्न हुआ था ( मा. २.१२.२२) । दक्ष प्रजापति की कन्या ऊर्जा इसकी पत्नी थी। इस प्रकार यह दक्ष प्रजापति का जमाई एवं शिव का साढ़ था । दक्षयज्ञ के समय दक्ष के द्वारा
A
शिव का अपमान हुआ, जिस कारण क्रुद्ध हो कर शिव ने दक्ष के साथ इसका भी वध किया !
विधामित्र से
वसिष्ठवंश के सारे इतिहास में एक उल्लेखनीय घटना के नाते, इन लोगों का विश्वामित्र वंश के लोगों के साथ निर्माण हुए शत्रुत्व की अखंड परंपरा का निर्देश किया जा सकता है। देवराज वसिष्ठ से ले कर मैत्रावरुण वसिष्ठ के काल तक प्राचीन भारत के इन दो श्रेष्ठ ब्राह्मण वंशों में वैर एवं प्रतिशोध का अनि सदियों तक मुलगता रहा। प्राचीन भारतीय राजवंशों में भार्गव वंश ( परशुराम जामदग्न्य) एवं हैहयों का, तथा द्रुपद एवं द्रोण का शत्रुत्य इतिहासप्रसिद्ध माना जाता है। उन्ही के समान पिढीयों तक चलनेवाला र बसि एवं विश्वामित्र इन दो ब्राह्मणवंशों में प्रतीत होता है ।
वसिष्ट
6
( १ ) ऊर्जा की संतति - ऊर्जा से इसे पुंडरिका नामक एक कन्या एवं सप्तर्षि संशक निम्नलिखित सात पुत्र दक्ष ( रत्न), गर्त ऊर्ध्वबाहु सवन, पवन, सुतपस्, एवं शंकु । भागवत में ऊर्जा के पुत्रों के नाम चित्रकेतु आदि बताये गये हैं (भा. ४.१.४१ ) ।
इसकी कन्या पुंडरिका का विवाह प्राण से हुआ था, जिसकी वह पटरानी थी। प्राण से उसे सुतिमत् नामक पुत्र उत्पन्न हुआ था ।
इसके पुत्र 'रत्न' का विवाह मार्कडेयी से हुआ था, जिससे उसे पश्चिम दिशा का अधिपति केतुमत् 'प्रजापति'
--
परिवार इसकी कुल दो पत्नियाँ थी :-१. ऊर्जा जो दक्ष प्रजापति की कन्या थी; २. अरुन्धती, जो कर्दम प्रजापति के नौ कन्याओं में से आठवीं कन्या थी इनके अतिरिक्त इसकी शतरूपा नामक अन्य एक पत्नी भी थी, जो स्वयं इसकी ही ' अयो निसंभवा ' कन्या थी ।
नामक पुत्र उत्पन्न हुआ था (ब्रह्मांड. २.१२.३९-४३) ।
इनके अतिरिक्त इसे हवींद्र आदि सात पुत्र उत्पन्न हुए थे। सुकात आदि पितर भी इसी के ही पुत्र कहलाते हैं ।
( २ ) शतरूपा की संतति - - इसकी ' अयोनिसंभवा' कन्या शतरूपा से इसे वीर नामक पुत्र उत्पन्न हुआ था । वीर का विवाह कर्दम प्रजापति की कन्या काम्या से हुआ था, जिससे उसे प्रिय एवं उत्तानपाद नामक दो पुत्र उत्पन्न हुए थे। इनमें से प्रिय को अपनी माता कांया से ही सम्राट, कुक्षि, विराट एवं प्रभु नामक चार पुत्र उत्पन्न हुए। उत्तानपाद को अत्रि ऋषि ने गोद में लिया थ। (ह. वं.. १.२ ) ।
वसिष्ठकुल में उत्पन्न प्रमुख व्यक्ति - पार्गिटर के अनुसार, कालानुक्रम से देखा जाये तो, वसिष्ठ के वंश में उत्पन्न निम्नलिखित व्यक्ति प्राचीन भारतीय इतिहास में विशेष महत्त्वपूर्ण प्रतीत होते हैं:
( १ ) वसिष्ट देवराज, जो अयोध्या के अय्यरुण, त्रिशंकु एवं हरिश्चंद्र राजाओं का समकालीन था ( वसिष्ठे देवराज देखिये) ।
( २ ) वसिष्ट आपव, जो हैहय राजा कार्तवीर्य अर्जुन का समकालीन था ( वसिष्ठ आप देखिये) ।
( ३ ) वसिष्ट अथर्वनिधि ( प्रथम ), जो अयोध्या के बहु राजा का समकालीन था ( तिष्ठ अथर्वनिषि १ देखिये) ।
( ४ ) वसिष्ठ श्रेष्ठभाज, जो अयोध्या के मित्रसह कल्माषपाद सौदास राजा का समकालीन था ( वसिष्ठ श्रेष्ठभाज देखिये) ।
( ५ ) वसिष्ट अथर्व निधि (द्वितीय), जो अयोध्या के दिलीप खद्योग राजा का समकालीन था ( ब अथर्व निधि २. देखिये) ।
८०४