Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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ब्राह्मण शाखा
विषयसूचि
माहात्म्य
ब्राह्मण शाखा--काण्वायन ६६२; चरक ६४७; मैत्रेय | पंचाक्षर (धुंधमूक) ३२४; शिवषडक्षर (धुंधुमूक) ३२४; ६६६ ।
षडक्षर (जमदग्नि) ३२३; संजीवनी ( उलूपी; कच भृगु बौद्धधर्म-गौतमबुद्ध का जीवनचरित्र ११२४; बुद्धों की २.)५८५; सामर्थ्य (परुच्छेद दैवोदासि) ४०२। । नामावलि ११२४; प्रमुख बौद्ध सांप्रदाय ११२८; तत्त्व- महाभारत---प्रणयन ( व्यास, वैशंपायन; सौति) ज्ञान ११२८; बौद्ध धर्म के प्रसारक ११२९; बौद्ध धर्म | ९२७; ९१२; १०८८; महाभारत के पर्व एवं उपपर्व के प्रमुख तीर्थस्थान ११२९; बौद्धधर्म ग्रन्थ-त्रिपिटक ९२८; व्यास की महाभारतशिष्यपरंपरा ९२९; महाभारत ११२४।
का खिलपर्व (हरिवंश) ९२८; भारतीय युद्ध--५६६-६७०, ७०१ ७०६, कृष्ण- --प्रमुख उपपर्व-आस्तीकपर्व (वैशंपायन ) ९१२ दौत्य ७०१; पांडव पक्ष के देश ७०१; कौरवपक्ष के देश | प्रजागरपर्व (विदुर ) ८४५, मार्कडेयसमस्यापर्व ७०२, कौरव एवं पांडवसेना का बलाबल ५७५-५७६; (मार्कंडेय) ६४८; शुकानुप्रश्न (शुक्र) ५७६ । सांख्यिक बल ७०३; युद्धशिबिर ७०३; सेनाप्रमुख एवं | मानव (मनुष्येतर) जातिसमूह-गंधर्व १८२, देव सेनापति ७०३; युद्ध का प्रारंभ ७०४; प्रथम दिन से २९०-२९२, दैत्य ३०३; नाग ३५७-३५८; पिशाच अठारहवें दिन तक का युद्धवृत्तांत ५६६-५७०; युद्ध से
४२६-४२८; भूत ५८०; मरुत् ६२४; यक्ष ६६९, रक्षस् बचे हुए वीर ७०५।
७११-७१४; वानर ८२२-८२४; विद्याधर ८४९; वैताल __ भौगोलिक स्थान--जिनमें निम्नलिखित विभाग प्रमुख | ९०५, सर्प १२२४;
--मानवेतर वंश११५५। --(१)द्वीप--पृथ्वी के सात द्वीप, एवं उनका संभाव्य मानस में प्राप्त चरित्रचित्रण-भरत दाशरथि ५४७; . आधुनिकस्थान १०९६; सागरोपद्वीप (सगर) १००२; . राम दाशरथि ७४०;रावण दाशग्रीव ७४८; लक्ष्मण ७४०; --(२) वर्ष--जंबूद्वीप के सात वर्ष (इलावृत; रम्यक | सीता १०४५; सुमित्रा १०६९; हनुमत् ११०२ . हिरण्य; कुरु, भद्राश्व, किंपुरुष, नाभि) १०९६;
माहात्म्य--अन्नदान (रतिविदग्धा ) ७१६: अरुणाचल -(३) देश-(देश, लोकसमूह, एवं गणराज्य देखिये)। (नंदिन; पार्वती; वज्रांगद) ३४४, ४१५, ७९३; आकाश--(४) नगर--मथुरा-९४२, लंका- ७३५, वैजयंत- | दीप (वालखिल्य) ८२९; ३६९; वैशाली ८६४; श्रावस्ति ९९०, सांची १००१ । । --एकादशी--अधिक माह की एकादशी ( जयशर्मन्) --(५) पर्वत-गृध्रकूट ५१७; हिमवत् १११०। २३८; कार्तिकी एकादशी (अंबरीष) २८; जया
मन्वंतर-मानव जाति का पिता-मनु आदिपुरुष ६०५ | एकादशी ( माल्यवत् ; पुष्पदंती) ६५१, ४४२, पापमन्वंतरों का निर्माण ६८६१; चौदह मन्वंतर ६०६; | मोचनी एकादशी ( मेधाविन् ) ६६३, रमा एकादशी पाठभेद-६०७; विभिन्न मन्वंतरों के मनु, ऋषि, इंद्र (शोभन ) ९८५, विजया एकादशी (बक दाल्भ्य) ४८८% आदि की जानकारी (६०७-६१०)।
| सफला एकादशी (लुपक) ७८७;; मंत्र-अश्लील ( अभ्यग्नि ऐतशायन )२७; अष्टाक्षर | -कमल (लोमश, पुष्पवाहन) ४४२, ७८९; कार्तिक (जय-विजय) २२७; उत्कर्ष ( वसिष्ठ वैडव)८१०, कन्या (देवशर्मन् )२९८; काशी ( दमन) २६५, श्रीरकुण्ड प्राप्ति (श्राद्धदेव ) ९८९; गर्भाधान (आत्रेय ) ५७; (मुद्गल ) ६५७; -तीन अक्षरी (सुवर्ण २.) १०७५, दीर्घायुष्य ( वत्सप्रि | --गंगामहात्म्य (पद्मावती) ३८७; मही ६३३; रत्नाकर भालंदन) ७९४; पठण (औपमन्यव) १०४; पारीक्षित | ७१६; वसु (३६.) ८१६; सागर १००२, सत्यधर्मन् (परीक्षित् )३९९;
१००९; --भूतखेत (कश्यप)१३१; भैरव ( भैरव १.) ५९१; | -गया नदी (युगादिदेव) ६९५; भोज (प्रगाथ) ४५९; (काण्व) १३१; मतभेद -गीतामाहात्म्य-कुशीबल १५४; खड्गधर १७७; (भस्मासुर)५५४; महामृत्युंजय (१ वसिष्ठ)८०६; राम | चंद्रशर्मन् (२.) २०४; ज्ञानश्रुति २३७; दुःशासना (२.) (वाल्मीकि)८३३; वाग्भव (औत्तम; चाक्षुष)१०३, २०८ | २७७; देवशर्मन् (६.) २९८; धीरधी ३२३; सिंगल -शांति ( उपरि बभ्रवः कांकायन; कोरुपथि; जाटिकायन) (६.)४८८; बटु ४८८; माधव ( ६.) ६४१; मित्रवत् ८८; १३१, १६९; २३२, शिव (दाशाई )२७०; शिव-६५३; शंकुकर्ण ( ९.) ९३५; सरभभेरुंड १०२३; सरो
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