Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna

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Page 1219
________________ युद्ध विषयसूचि वंश -परशराम-हैहय संग्राम ३९१-३९२ (निःक्षत्रिय कर मृत्यु ( जरासंध) २३०; सामान्य श्वापद जैसा मृत्य पृथ्वी देखिये); बाणासुर संग्राम (बाण ) ५०३; भारतीय (कार्तवीर्य अर्जुन) ३९० । युद्ध (भीमसेन; युधिष्ठिर) ५६६-५७०; ७०१-७०६; व्रत--अनशन (चित्रसेन) २१३; अशून्यशयन (भारतीय युद्ध देखिये); भूरिश्रवस्-सात्यकि युद्ध (भूरि- (दिव्यादेवी) २७३; उपवास (च्यवन) २१६; श्रवस् ) ५८३; मौसल युद्ध (कृष्ण; सांब) १६२, १०३६; --एकादशी-इंदिरा (इंद्रसेन ) ७६; कमला (हरिमित्र) --राम-रावणयुद्ध (राम दाशरथि) ७३१-७३५, ११०५, त्रिस्पृशा (इंद्र; गंगा) ७१, १८०; पक्षवर्धिनी ७४७-७४८ ( राम-रावण युद्ध देखिये )। (ध्रुव १; वसिष्ठ ); ३३६, ८१०; पापनाशिनी (ककुत्स्थ) युद्धवार्ताहर--संजय गावल्गणि १००४-१००५, १०८; योगिनी (हेममालिन् ) १११४; युद्धवार्ता का कथन १००५; युद्धवार्ताहर संघ-वातिक --गौरी (इंद्राणी; पार्वती) ६०६; ४१५ त्रिरात्र ८२० । (सावित्री) १०४०; दमनक (कुशध्वज) १५२; योद्धा विभिन्न श्रेणि (अतिरथ; अर्धरथ; एकरथ; --द्वादशी (पुष्पवाहन; मुद्गल; मालिनी) ४४२, ६५७; चक्ररक्षक; महारथ; रथ; रथमुख्य; रथयूथपयूथप; ६५०; भीम (इंद्र) ६९; रथवर; रथसत्तम; रथिन् ; रथोत्तम; रथोदार) ५७५ । --बाल (श्रीधर)९९०; भीष्मपंचक (भृगु २०. वसिष्ठ) संशप्तक योद्धा (सुशर्मन् ) १०७८ ।। ५८७, ८१०; मूक (सोमश्रवस् ) १०८७; राधाष्टमी . राजसूय यज्ञकर्ता राजा-- दो प्रमुख प्रकार:-(१) (लीलावती ५.) ७८७; लक्ष्मीव्रत (श्यामबाला ) ९८८; : देवराजन्--जो उपाधि यह यज्ञ करनेवाले देवों के राजाओं लिंगपूजा (धुंधुमूक) ३२४, सोमप्रदोष (सीमन्तिनी) को प्राप्त होती थी [ वक्षीवत् (काक्षीवत) दीर्घश्रवस्; पृथु; सिंधुक्षित] २९६; (२) मनुष्यराजन्--जो उपाधि । वंश, जो राजवंश एवं ऋषियों के वंश, एवं मानवेतर - यह यज्ञ करनेवाले मनुष्यों के राजाओं को प्राप्त होती | वंश में विभाजित है :--- थी (दैवोदास; वाध्यश्व; वैतहव्य )। -(१) राजवंश-अजमीढ वंश ११४५५; अनु वंश राजनीतिशास्त्रज्ञ-मातंग ६३७; मनु प्राचेतस ६१०, ११४५; अनेनस वंश ११४५; अंधक वंश ११४५ विष्णुगुप्त चाणक्य ८८८-८८९; विष्णुगुप्त चाणक्य के अमावसु वंश ११४५; 'आनव वंश ११४५, आंध्र वंश पूर्वाचाय ८८८-८८९; विश्ववेदिन् ८७०; ११३; आयु वंश ६१; ११४५, इक्ष्वाकु वंश ११३९; राक्षससत्र-पराशरकृत ३९६; . उशीनर ११४६; उत्तानपाद ११५१; ऐल ११४६; रामरावणयुद्ध-७३१-७३५, ७४७-७४८; लंका पर --कष ११४६, काण्वायन ११५३; काश्य ११४६; कुकुर आक्रमण ७३१; सेतुबंध ७३९; लंका का अवरोध ७३२; ११४६; कुरु ११४६; कुशांच ११४६; कृष्ण ११४६; दूतप्रेषण ७३२, रावणसेना का वर्णन ७४७; प्रथम दिन क्रोष्ट ११४६; क्षत्रवृद्ध ११४६; चेदि (चैद्य) ११४७; से अंतिम दिन तक के युद्ध का वर्णन ७३२-७३४; - जमु ११४७; ज्यामघ ११४७; तितिक्षु ११४७; तुर्वसु रावणवध ७३४; राक्षस संग्राम का तिथिनिर्णय ७३५ | २४८; ११४७; द्रुह्य ११४७; दिष्ट ११४०; द्विमीढ . ७३७-७३८। ११४७; नभग ११४२; नरिष्यंत ११४२, नृग ११४२; रोगविशेष -अपस्मार (स्कंद) १०९२, कुष्ठरोग | नंद ११५४; नाभि ११५१; निमि ११४१; नीप ११४८; (घोषा, नंद, रजन कोणेय,विदारुण, सांब, सुयज्ञ, सोमकान्त, | नील ११४८; सोमनाथ) २००,३४२, ७१५, ८४३, १०३६, १०७१, --पुरुरवस् ११४८; पुरु ४४५११४८; प्रति१०८६, १०८७; त्वक्रोग ( देवापि अर्टिषेण) ३००; | क्षत्र ११४९; प्रद्योत ११५४; प्रियव्रत ११५१; बालेय राजयक्ष्मा (चंद्र, विचित्रवीर्य) २०२, ८४१; शीतज्वर क्षत्रिय ११४९; बभ्र ११४९; भजमान ११४९; भरत (ज्वर) २३८ । ५४८; ११४९; भोजवंश ५९१, ११४९; मगध ११४९; वध-अपने ही शाप से मृत्यु (वृद्धक्षत्र) ८९९; मनुवंश ६१२; मौर्य ११५४; यदु ६७३; ११४९; ययाति अपने ही सर पर हाथ रख कर मृत्यु (भस्मासुर) ५५४; ११५०; रजि ११५०, रम्भ ११५१, वसुदेव ११५१; क्लेशदायक मृत्यु (बिंबिसार श्रेणिय) ११३०; वक्षःस्थल वासव ११५१; विदूरथ ११५१; विष्णु ११५१, वैशाल फोड कर मृत्यु (दुःशासन) २७७; शरीर के दो टुकडे हो | वंश ८६४; वृष्णि ९०३, ११५१; सहस्रजित् ११५१;

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