Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna

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Page 1221
________________ विवाह विषयसूचि शाखाप्रवर्तक आचार्य --पक्षी एवं ऋषि (ताी) २४४; ब्राह्मण एवं देव वैदिक संहिता-वेदों का निर्माण ५८७; वैदिक साहित्य (ज्येष्ठा ३.) २६७; ब्राह्मण एवं देवता (दत्त) २६१; | का अथांगत्व (भरद्वाज); वेदसंरक्षणार्थ वेदविभाग ब्राह्मण एवं नाग (आस्तीक) ६४; ब्राह्मण एवं पर्वत | (व्यास पाराशर्य) ९१९; वेदों का विभाजन ९२०; वैदिक (जैगीषव्य) २३५, ब्राह्मण एवं मछुआ (गरुड) १८३- | संहिताओं का विशुद्ध स्वरूप ९२४; उपलब्ध वैदिक ग्रंथ १८४; ब्राहाण एवं शूद्र (गौतम) १९५, ब्राह्मण एवं | ९२२; विनष्ट हुए ब्राह्मण ग्रंथ ९२४ । सूत (सत्कर्मन् ) १००६; __ वैद्यकशास्त्रज्ञ--अश्विनीकुमार ४८; चरक २०६; -मनुष्य एवं गंधर्व ( रुचि २, शुक वैयासकि) जीवक ११२९; धन्वन्तरि ३१५-३१७; पतंजलि ३८५; ७५३; ८७५; मनुष्य एवं नदी (दधीच) २६३; मनुष्य पराशर ३९८, पालकाप्य (हस्त्यायुर्वेदतज्ज्ञ) ४१६; एवं पितर (विरजा २; शुक वैयासकि; सुतपस् ) ८७५; पुनर्वसु आत्रेय ४३०; शालिहोत्र (पशुवैद्यकशास्त्रज्ञ). ९७५; १०५२; मनुष्य एवं पिशाच (पंड २.) ९३८; ९६५; सुश्रुत (शल्य चिकित्साशास्त्रज्ञ) १०७८ । मनुष्य एवं राक्षस (शूर्पणखा) ९८१; मनुष्य एवं वानर वैदिक आचार्यपरंपरा-व्यास की ऋशिष्यपरंपरा (विरजा १.) ८५७; मनुष्य एवं सर्प (जनमेजय पारिक्षित; (व्यास पाराशर्य) ९२०; व्यास की यजुःशिष्यपरंपरा नर्मदा ३; श्रुतश्रवस् २२१, २४९; ९९२; ९२३; व्यास की अथर्व शिष्यपरंपरा ९२४; व्यास की -राक्षस एवं ब्राह्मण (कैकसी) १६७; वानर एवं सामशिष्यपरंपरा ९२३; व्यासोत्तर वैदिक वाङ्मय का गंधर्व (नल ९.) २६१; वैश्य एवं शूदः (श्रावण)९८९ । | विकास ९२४। वैद्यकशास्त्र से संबंधित देवता-अवध्यता का देवता विश्वरूपदर्शन-( भगवान् कृष्ण के द्वारा) १६३८; (विष्णु) ८८१; गर्भवृद्धि का देवता (त्वष्ष्ट्र ) २५६; १. अक्रूर से; २. अर्जुन से; ३. उत्तंक ऋषि से; ४. दुर्योधन देवों के धन्वंतरि (अश्विनीकुमार ) ४८; मृत्यु का देवता से; ५. भीष्म से; ६. यशोदा से)। (मृत्यु) ६६०; विषबाधा का निराकरण करनेवाली देवी व्याकरणकार--अन्यतरेय २४; अग्निवेश्यायन ५५; आमवश्यायन ५५ | (मनसा देवी)६०४; अपत्यप्राप्ति (सिनीवाली) १०४१; आत्रेय ५७; आपिशालि ६०; उख्य ७९; उत्तमोत्तरीय शक—(कालगणना)-परशुराम शक ३९४; ११७२; . ८२; औदुंबरायण १०४; औपमन्यव १०४; और्णवाभ विक्रमसंवत् ११७२; कलिसंवत् ( युधिष्ठर शक, भारतीय १०४; कामायन, कांडायन, काण्व १३१; कात्यायन १३२; युद्ध संवत् ) ७०८; ११७२। , काशकृत्स्न १४१; काश्यप १४२, कुणरवाडव १४५; शत्रुत्व-इंद्र-मरुत्त ६२५, कौरव-पांडव ७०१-७०५; कूशांच-(स्वायव लातव्य)१५६; कोण्डरव्य १६८; कौडिन्य १६८; क्रौष्टुकि १७४; गाय॑ १८८; चर्मशिरस् २०८; द्रोण- द्रुपद ३०८- ३०९; परशुराम-कार्तवीर्य अर्जुन ३९०-३९१, वसिष्ठ-विश्वामित्र ८०८ वालिन्-सुग्रीव ८३०॥ जातूकर्ण्य २३२, दाल्भ्य २७०, शस्त्र--झाग एवं हिम (इंद्र) ६९; धनुष्य-बाण --पतंजलि ३८२-३८५, पतंजलि के पूर्वाचार्य ३८४; (मरुत्)६२३; पाश (नरक) ३४७; फौलादी शक्ति पाणिनि ४०५-४१०, पाणिनि के पूर्वाचार्य ४०६ पौष्कर | (धृष्टकेतु) ३३१; मूसल (बलराम; जरासंध) ४९४; सादि; ४५९; प्लाक्षायण ४८५, प्लाक्षि ४८५, वाडभी ५२९; वज्र (प्रजापति; इंद्र) ४६२, ६९-७०; वासवीकार (वाडवीकार) ५०२; भर्तृहरि ५५२; भागुरि ५५४; | शक्ति (घटोत्कच; कर्ण) १९९; १२०; सुदर्शनचक्र माचाकीय; रज्जुभार ७५६, रामकृष्ण ७४२; वरतंतु ७९७, (कृष्ण; शाल्व; जलंधर) १६१, ९६६; २३१; हल वररुचि ७९७; वाडव ८१९; वात्सप्र २०, वाल्मीकि (बलराम; त्रिजट)१४९४, २५१। ८३१ वेदमित्र ९०६; व्याडि दाक्षायण ९१४; शाखाप्रवर्तक आचार्य-उख ७९; औद्भारि १०४; --शाकटायन ( उणादीसूत्रकर्ता) ९५३-९५४; शाकपूणि कठ १११; कात्यायन १३२; कापेय १३३; कौडिन्य ९५३; शाकल्य ९५६; शांतनव ( 'फिट' सूत्रकार) ९६१, १६८; कौथुम पाराशर्य १६९; कौशिक १७०; कौषीतकी शैत्यायन ९८३; शौनक गृत्समद ९८५-९८७; स्फोटायन | १८१; खंडिक औद्भारि १७७; गोखल्य १९३; गोभिल १०९३; स्थविर कौडिन्य १०९२, स्थविर शाकल्य १०९२ १९४; गौतम१९५, चरक २०६; छगलिन् २१६; जैमिनी हनुमत् (ग्यारहवा व्याकरणकार) ११०२, हारीत | २३५; तलवकार २४२; तित्तिरि २४५, देवदर्श २९३; ११०९। देवदत्त शठ २९३; द्राह्यायणि ३०५, पुरुषासक ४३३; १२००

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