Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna

View full book text
Previous | Next

Page 1225
________________ पृष्ठ एवं चरित्र ४०० ४१० ४२८ ४२९ ४३३ ४३७ ४४ १ ४५८ ५२७ ५३३ ५३९ ܘ ܐ ५५८ ८६५ ८८१ ८९७ ९२९ १००१ १००५ १००५ १०६२ १०८६ परिक्षित् पाण्डु पीवरी ११२४ १५२८ पुत्र पुरुमीहूळ सौहोत्र पुलस्व पुष्कल ५७० ६०० ६०४ ६१७ ६३२ ७१३ ७२६ ७३० ७३१ ८१९ वातरशन ८४१ विचित्रवीर्य ८५४-८५५ विभीषण विशाल ५. विष्णु ब्रह्मन् भगदत्त भट्टा काशीन ३. भरद्वाज भागवण भीमसेन मत्स्य मधुचैवमित्र मन्दपाल महिषासुर रक्षं राम दाशरथि राम दाशरथि राम दाशरथि वृत्र व्यास पारावार्थ सगर པ་ ཀྰ་ ཟྭ संज्ञा संज्ञा सुंदर शांति सोमदत्त गौतम बुद गौतम बुद अशुद्ध महाभातर जन्मतः पाण्डुरोग से पीड़ित अग्निष्वान्त पितरों की कन्या स्वारोचिप मनु के पुरुमिळ सामूहिक नाम से अश्वमेध यज्ञ का ( म. द्रो. १७१-६४ ) ब्रह्मा से भी आयु में उसका एवं उसके सात पुत्रों को (म. आ. १२०.२३-२६ ) राज्याधिकारी ना कर (सुत्वन् कैरिशीय भागवण) अश्वत्थामा वध मकर देय ने ( प्रातःकालिन स्तुतिस्तोत्र ) लपिता नामावाली दक्षिणी शाश्वत स्थान किया । प्राप्त विरोचन देव्य आँखों में पुत्रकामेष्टी यज्ञ कराया शूर्पणखावच मसीता को ढूंढने के लिए (ऋ. १०.१३२.१०२. भीष्म ने वित्रा एवं अंचालिका इसने ही किया। जो परिक्षित राजा की विष्णुरुच्यते (य साम दुर्विष इसे सगर विषयुक्त नाम छाया को यम से यम को छाया का सुंदर शांतिकर्ण भूरिश्रवस् का अत्यंत निर्घृण बंध किया निम्नलिखित क्रुद्ध विपश्य से प्रमुक बौद्ध सांप्रदाय १२०४ शुद्ध महाभारत जन्मतः पण्डुरोग से पीड़ित अग्निष्वात्त पितरों की कन्या स्वायंभुव मनु के पुरुमीहळ सामूहिक नाम से अश्वमेधयज्ञ का में ( म. द्रो. १७१.६४) ब्रह्मा से भी आयु उसको एवं उसके सात पुत्रों को (म. आ. ११२.३३ ) राज्याधिकारी बना कर (सुत्वन कैरिशिय भागण ) अश्वत्थामा मणिहरण शंख देखने ( प्रातःकालीन स्तुतिस्तोत्र ) लपिता नामवाली पक्षिणी शाश्वतस्थान प्राप्त किया । विरोचन देव्य आँखों में पुत्रकामेष्टि यज्ञ कराया शूर्पणखाविरूपत्य सीता को ढूंढने के लिए १. १०.१३६.२० भीष्म ने अंबिका एवं अंबालिका इसने ही किया था । जो विक्षित राजा की विष्णुरुच्यते . (ऋक्, यद्य, सामं ऊम्पेष इसे सगर ( विषयुक्त ) नाम छाया को सूर्य से सूर्य को छाया का सुंदर शांतिकर्ण भूरिश्रवस् के हाथ काट डाले निम्नलिखित बुद्ध विपश्य से प्रमुख बौद्ध सांप्रदाय

Loading...

Page Navigation
1 ... 1223 1224 1225 1226 1227 1228