Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna

View full book text
Previous | Next

Page 1218
________________ माहात्म्य प्राचीन चरित्रकोश युद्ध जवदना १०२४; सिद्धसमाधि १०४१; सुकर्मन् (१.)। वैरोचन, बाहु, भरत दौःषान्ति, मरुत्त आविक्षित, मित्रसह १०४६; सुनंद (२.) १०६०; सुशर्मन् (४.) १०७७; | कल्माषपाद, युधिष्ठिर, राम दाशरथि, वसुदेव, विजिताश्व, -गोमाहात्म्य--(कल्माषपाद; च्यवन) १२५, २१५ । शर्यात मानव, श्विन, सगर, सुदास पैजान) ६१७५; गोदान (नचिकेतस् ) ३४१; ७३; २२१, २५०; २९४; ३०४; ३५०; ४९९; ५०९; --गौतमीमाहात्म्य( शूरसेन ) ९८१; गौरीव्रत ( इंद्राणी) | ५४७; ६२५; १२४; ७०७; ७३६; ८४२; ९५०;९९९; ७६; चिताभस्ममाहात्म्य (शबर २.) ९४४; १००१, १०५६; अश्वमेध यज्ञ का शास्त्रार्थ (मुंडिभ-तुलसीमाहात्म्य (धर्मदत्त १; पवित्र १; भक्षक; शबर ३.); | औदन्य) ६५६; एकोनपंचाशद्रात्र याग (वसिष्ठ मैत्रा३१९: ४०४, ५३२, ९४४: त्रितकप (त्रित ) २५२, | वरुणि) ८०९; गोमेध (इंद्र जित् ) ७३: गोवर्धन याग दीप (निष्ठुर १.) ३७२; दीपदान (बुध १०; वृद्ध गार्ग्य) (इंद्र) १६; ५१३, ८९९; देवी भागवत ( लोमश. १. ) ७९०; नदी | --चतुरात्रयाग-(अत्रि जमदग्नि) १६; २२२; ज्योतिष्टोम (गौतम ) १८५; पिता पितृमाहात्म्य ( नरोत्तम )३४९; | याग-(अरुंधती, मेधातिथि) २०, ३४; ६६२, तृष्टोम पातिव्रत्य ( इंद्र; कौशिक) ७३; १७०, पादत्राण (शंख क्षत्रधृति यज्ञ (वृद्धद्युम्न आभिप्रतारिण)८९९; दाशरात्र २.) ९३७, प्रयाग (मार्कडेय)६४८; ब्राह्मण ( इंद्र) याग- (उर्दक शौल्बायन) ८३ ६८; ७३; भागवत (वज्रनाभ ४.) ७९३; भूमिदान | --सप्तरात्र याग-(कुसुरुबिंदु औद्दालकि) २५५ (भद्रमति) ५३८; माहेश्वरव्रत ( शारदा २.) ९६४; दाक्षायण याग-(देवभाग श्रौतर्ष, सहदेव साजय) २९३, माघस्नान (कार्तवीर्य); भद्रक (हारीत ७.) १३५, १०२९; द्विरात्रयाग-(कपिवन भौवायन, चित्ररथ )११५, ५३७; ११०९; २११; धनुर्याग-(कंस, कूट, चाणूर) १०७; २५५,२०९; --रामनाममाहात्म्य--(अरिष्टनेमिः जीवंती) ३२ | नरमेध (शुनःशेप, सोमक साहदेव्य) ९७८; १०८६; २३५, रुद्र (आलंबायन )६३, वाराणसी तीर्थ (वंजुल) नवमास यज्ञ (नवग्व) ३५५, नेत्रपाप्ति यज्ञ (रजन .७९३; वेतसी-वेत्रवती संगम (धरापाल) ३१७; वैशाख कोणेय ) ७१५, पंचरात्र याग (शौचेय सार्वसेनि ) ९८५; (कीर्तिमत्; रुपवती; शंख २.) १४३, ७६८; ९३७; --पुत्रकामेष्टि यज्ञ (इल; जनक; दशरथ; दिवोदास) ७७; व्याघेश्वरं (दुंदुभि निहा ) २७८; २२०; ७२६; २७२, बहुसुवर्णक यज्ञ (इंद्रजित् ) ७३; . --शमीमाहात्म्य ( पिंगल ९.) ४१८; शिवभक्ति माहेश्वर याग (इंद्रजित् )७३। (भद्रसार ३.) ५३८; शिवसहस्रनाम (तंडि) २४०; --राजसूय यज्ञ (इंद्रजित्, कृष्ण, जैत्रायण सहोजित; संगमस्नान (विदुर) ८४६; सत्यनारायण ( लीलावती) मांधातृ, युधिष्ठिर, हरिश्चंद्र) ७३; १६१; २३५, ६४३; ७८७; सरस्वती बीजमंत्र (सत्यतपस् ) १००८ साभ्रमती ६९७; २२२, वक्तृत्त्व याग (बबर प्रावाहणि) ४२९; (गंगा; विकर्तन) १७९; ८३९; सूर्योपासना (कौथुमि; वाजपेय यज्ञ (औपावि जानश्रुतेय; सीरध्वज) १०४; भद्रेश्वर ) १६९; ५३० । १०४६; विश्वजित् यज्ञ (बक दाल्भ्य; बलि वैरोचन; मुख-अश्वमुख ( हयग्रीव ) ११०३; चतुर्मुख रघु) ४८७; ४९८; ७१४; वैष्णव यज्ञ( इंद्रजित् , मुद्गल) (ब्रह्मन् ) ५२७; वानरमुख ( हनुमत् ) १०१९; षण्मुख | ७३, ६५७ । (स्कंद) १०९०; -शमनीचमेद् (कुषीतक सामश्रवस् ) १५५; स्तोम मेगॅस्थिनिस कृत इंडिका कौटिलीय अर्थशास्त्र से | (शुनस्कर्ण बाष्किह) ९७९; शांत्युदक (युवन् कौशिक ) तुलना ८८८। ७०९; सर्वमेध यज्ञ (विश्वकर्मन) ८६७; सप्तरात्रयाग यज्ञविशेष- अग्निचयन (कालकंज, शांडिल्यायन, (कुसुरुबिंद औदालकि, ऋतुजित जानकि) १५५; १७३; सीरध्वज) १३७,९६१,१०४६; अग्निष्टोम (इंद्रजित् सोमयाग (वम्र, श्यापर्ण।) ७९६, ९८७, सौत्रामणि भंगास्वन) ७३, ५३६; अंसुग्रह (राम औपतस्विनि) (दुष्टरितु पौंस्यायन) २८७; संततिदायी यज्ञ (वीतहव्य ७२४; अतिरात्र(भौवायन) ५९३; अभिचार (भद्रसेन श्रायस) ८९१)। आजातशत्रव) ५३९; | युद्ध--इंद्र-बलिसंग्राम (बलि वैरोचन) ४९८; तारका-अश्वमेध (अंबष्ठय, इंद्रद्युम्न, इंद्रजित्, जनमेजय | सुरसंग्राम (स्कंद) १०९१; त्रिपुर संग्राम (त्रिपुर) २५२, पारिक्षित, त्रसदस्यु पौरुकुत्स, जनक दैवराति, नल, बलि | दाशराज्ञयुद्ध (सुदास ) १०५६; ११९७

Loading...

Page Navigation
1 ... 1216 1217 1218 1219 1220 1221 1222 1223 1224 1225 1226 1227 1228