Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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देवतासमूह
विषयसूचि
नियोगज संतति
देवतासमूह-आदित्य (ग्यारह ) ९८; तुषित २४८; --मग (निक्षुभ) ३६८; मगध ५९४; मत्तमयूर ५९९; पितर ४४९; प्रजापति (इक्कीस) ६२१; याम ६९३; यूथग | मत्स्य ६००-६०१; मत्स्याहारिन् ३३८; मद्र ६०२; मलद ७१०; योगेश्वर ७१०; वशवर्तिन् ८०३; वसु (अष्ट) ७२६; महीषक ६३४; माचेल्लक ६३४; मालव ६४९; ८११-८१३; वातस्कंध ८२०; विश्वेदेव ८७७; साध्य | मार्तिकावत ६४९; मावेलक ६५१, मेकल ६६१, मूतिब . १०३४-१०३५ सप्तर्षि १०१९, सूर्य (सप्त) १०८१।। (विश्वामित्र) ९७०, देवासुर-संग्राम--- द्वादश देवासुर संग्राम २९१; इंद्र
--यमक ६७७; यवन (नकुल; मनु, विश्वामित्र ) ६८३; वृत्रयुद्ध ८९६-८९७; इंद्र- बलियुद्ध (समुद्रमंथन के |
३३८; ६०५, ९७०; याद ६९३; रामठ ७४२; रोमक पश्चात् ) ४९८; स्कंदतारकासुर-युद्ध १०९१ ।
७७१; रोहीतक ७७५; लंपाक ७८४; ललाटाक्ष ७८५; देश,लोकसमूह अथवा जातिसमूह-जो वैदिक,पाणिनि
--वर्मक ८०३; वश ८०३; वाहीक ८३८; विदर्भ (४.) कालीन, सर्वसामान्य एवं सिकंदरकालीन, इन चार उप-८४३; विषाणिन (शिष्ट ) ९७४; वैकर्ण ९०८; व्याध विभागों में विभाजित हैं:
(एकलव्य) १००; शबर १४४; शिबि ९६९; --(१) पाणिनिकालीन लोकसमूह--४०८;
| --शक (नकुल, भीम, मनु)३३८; ५६१; ६०५, शबर --(२) वैदिक लोकपमूह-अनु २१; तृत्सु २४९; (विश्वामित्र) ९७०; शिबि ९६९; शिव (शिष्ट ९७४) दृह्य ३०६, पक्थ ३७०; पंचजन ३७८; पंचाल ३८० | शूद्र (नकुल) ३३२, श्रोणिमत् (भीम) ५६९; सप्तसिंधु
८१, पारावत ४१४; पूरु ४४४; बालक ५०२ १०२०; सारस्वत १०३८ साल्व १०३८; सिंहल १०४०; भरत ५४०; मूजवन्त् ६५८; यक्षु ६७०; यति ६७१; सिंधु १०४२, सुमित्र १०६९; सोमधेय (भीम) ५६१; . यमक ६७७;
सौदन्ति ( विश्वामित्र ) ९७५; --यौगंधर ७१०; रथकार ७१७; वारशिख ७९८; -हारहण (नकुल) ३३८; हैहय (और्व) १०४ विषाणिन् ८७८; वृचिवत् ८९६; वैकरण ९०८; वैतहव्य
धनुष--गांडीव (अर्जुन) ५७; माहेंद्र ( युधिष्टिर) ५७; ९०९; शांडिल ८९५; शिबि ९६९;
विजय (रुक्मिन् ) ७५३; वायव्य ( भीमसेन )५६१। .. --(३) सिकंदरकालीन लोकसमूह--अभिसार ११३२;
___ धर्मशास्त्र-मनु स्वायंभुव के द्वारा धर्मशास्त्र का अंबष्ठ ११३२, आग्रेय ११३२; आश्वकायन ११३३;
निर्माण ६१४; मानवधर्मशास्त्र, का पुनर्सस्करण ६४०; आश्वायन ११३३;कठ ११३३; केकय ५१३३; क्षतृ (क्षुद्रक)
मनुस्मृति की विषयानुक्रमणिका ६१४ । ११३३; गांधार (पश्चिम) ११३४; गांधार (पूर्व ) ११३४;
धर्मशास्त्रकार-अंगिरस् ११, उशनस् ९१; नारद ३६५ ग्लुचुकायन ११३४; नुसा ११३४; पातानप्रस्थ ११३४; ब्राह्मणक ११३४; मद्र ११३४; मालव ११३४; मूचिकर्ण
पराशर ३९७; पितामह ४२२; पुलस्त्य ४३८; पैठीनसि ११३४; वसाति ११३५शकस्थान ११३; शिबि ११३५,
४५५, प्रचेतस् ४६०, प्रजापति ४६५: बुध ५१२; भरद्वाज सुग्ध ११३८; सौभूति ११३८; हरउवती ११३८ ।
५५१, भागुरि ५९५, मनु स्वायंभुव (मनुस्मृति ) ६१३; --(४) सर्वसामान्य लोकसमूह--अश्व (विश्वामित्र) ९७०%,
यम वैवस्वत ६७७; याज्ञवल्क्य ६९३; शंख ९३६, व्यास
९१६, विश्वामित्र ८७६ । आंध्र (मनु) ६९५; आभीर (अष्टावक्र)४°; उत्सवसंकेत ३३२; कांबोज ( मनु) ६०५; किरात (विश्वामित्र) ९७०;
। निःक्षत्रिय पृथ्वी (परशुराम-हैहय संग्राम) ३८९कुरु (कुरु ३.) १५१; कोलगिरेय (अर्जुन) ३५; कोलि
३९२, हैहयों से शत्रुत्व ३८९; युद्ध ३९०; कार्तवीर्यवध (गरुड) १८३; गज (इरावती २.) ७६; ग्रामणीय
३९०; जमदग्निवध ३९०; हैहयविनाश ३९१; निःक्षत्रिय (नकुल) ३३२; चीन (मनु) ६११; जालंधरायण २३४;
पृथ्वी ३९१; अश्वमेध यज्ञ ३९२, नया हत्याकांड ३९२; ---दस्यु (कायव्य ) १३४; द्रविड (मनु) ६११; द्वारपाल
हत्याकांड से बचे हुए क्षत्रिय ३९२, परशुरामकथा का (नकुल) ३३८; नाग (कायव्य)१३४नैमिषीय ३७७;
अन्वयार्थ ३९२; पक्थ (शिष्ट ) ९७४; पटच्चर ३८१; पन्नग १४०; परशु --हत्त्याकांड की समाप्ति, एवं परशुराम के द्वारा शूर्पारक ४०३; पह्नव (नकुल, विश्वामित्र ) ३३८, ९७०; पांचाल | देश की स्थापना ( ३९२ )। ४०४; पारद ४१३; पुण्ड ९७०; पुलिंद ९७०, पौरवक | नियोगज संतति--८४१; धृतराष्ट्र ३२५; पाण्डु ४१०; ४५८; प्रियमेध (कर्ण, नकुल, भीम) ११७; ३३८,५६१; । हीनकुलीनत्व (विदुर) ८४४ ।
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